प्रदेश
पुलिस थानों में सवा सौ सालों से प्रचलित शब्दावली की जगह हिन्दी शब्दों का होगा उपयोग
महावीर अग्रवाल
मंदसौर १४ मई ;अभी तक; पुलिस थानांे में पिछले सवा सौ सालों से भी अधिक समय से हिन्दी के बजाय उर्दू, फारसी आदि शब्दों का उपयोग होता था इसके स्थान पर हिन्दी की शब्दावली उपयोग किए जाने की मांग को लेकर नियम 117 के अधीन 7 दिसम्बर 2022 को मप्र विधानसभा में अशासकीय संकल्प प्रस्तुत करते हुए मांग की थी जिस पर गृह विभाग ने निर्णय किया और पुलिस मुख्यालय द्वारा आज पूरे प्रदेश मंे इसे लागू करने के आदेश जारी कर दिए गऐ जिसके बाद अब थानों की रोजमर्रा की कार्रवाहीं में प्रचलित उर्दू और फारसी शब्दों की जगह हिन्दी की शब्दावली का प्रयोग किया जाऐगा।
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता एवं पूर्व विधायक यशपालसिंह सिसोदिया ने बताया कि विधायक रहते 7 दिसम्बर 2022 को विधानसभा में नियम 117 के अधीन अशासकीय संकल्प प्रस्तुत करते हुए मांग की थी न्याय प्रकिृया के अंतर्गत तथा पुलिस प्रशासन विभाग के अंतर्गत भारतीय दंड संहिता से संबंधित जारी होने वाले नोटिस-सूचना पत्र में जो शब्द अंकित है वे दंड संहिता की वर्ष 1896 से चली आ रहीं व्यवस्था से संबंधित शब्दावली है। इसमे कई ऐसे क्लिस्टि शब्द है जिन्हें न तो भेजने वाला समझ पाता है और न ही प्राप्त करने वाला। श्री सिसोदिया ने उदाहरण देते हुए बताया था कि उर्दू और हिन्दी के शब्द जैसे अदालत-न्यायालय, बनाम-विरूद्ध, वल्द- पिता, साकिन-पता, इल्जाम-आरोप, मुलाहिजा-देखभाल, पुश्त-पीछे की और, कैफियत-कारण पुछना, दस्तखत-हस्ताक्षर आदि अनेकों शब्द अभी भी उपयोग में आ रहे है, जिन्हें परिवर्तित करते हुए हिन्दी शब्दकोष के शब्दों का उपयोग किया जाना उचित होगा।
तात्कालिक विधायक श्री सिसोदिया की इस मांग पर चर्चा और विमर्श शासन स्तर पर प्रारंभ हुआ जिसके बाद शासन ने निर्णय लिया कि न्याय प्रकिृया में पुलिस विभाग द्वारा प्रयुक्त किए जाने वाले उर्दू एवं फारसी आदि शब्दों के स्थान पर हिन्दी शब्दावली का उपयोग किया जाऐ। गृह विभाग के निर्णय के बाद पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को इस सम्बन्ध में आदेश जारी कर दिए। अब थानों में राजमर्रा की कार्रवाहीं में हिन्दी शब्दावली का ही उपयोग होगा।
श्री सिसोदिया ने इस निर्णय पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव व पुलिस विभाग का आभार व्यक्त किया और कहा कि न्याय प्रकिृया में हिन्दी शब्दों के उपयोग से न केवल आम व्यक्ति को समझने में आसानी होगी बल्कि हिन्दी का भी उपयोग बढेगा।