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ललितपुर से पानी लेने को लेकर राजनिति ; पानी तो नहीं आया लेकिन दो पूर्व विधायक क्रेडिट लेने के चक्कर में रहे

पुष्पेंद्र सिंह
टीकमगढ़ 11 जून !’अभीतक ‘टीकमगढ़ नगरपालिका के कुछ पार्षदों ने नगर में जल संकट को लेकर जिस तरह से  नपा के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की,यदि ईमानदारी से उसी तरह के प्रयास जल समस्या को दूर करने के लिए किये जाते तो किसी हद तक समस्या का हल हो गया होता!यद्यपि उप्र से पानी तो नहीं आया लेकिन इस मामले में बीजेपी के दो पूर्व विधायक भी क्रेडिट लेने के चक्कर में रहे कि यदि ललितपुर जिला प्रशासन ने अपने यहाँ से पानी छोड़ा तो वह किसके प्रयासों से आया? लेकिन वहाँ से पानी आया ही नहीं!ऐसा पहली बार देखने में आया कि ललितपुर से पानी लेने को लेकर जिस तरह से राजनिति की गयी उसे अच्छा नहीं माना जा सकता!
                             गर्मियों के दिनों में आमतौर पर शहर में जल स्तर नीचे पहुंच जाता है इसलिए कई इलाकों में पानी के बोर आम दिनों की तरह आपूर्ति नहीं कर पाते लेकिन इतना पानी तो बारीघाट में अभी भी है कि दो दिन के अंतराल से नगर में आपूर्ति की जा रही है!
                            सीएमओ श्रीमती गीता मांझी ने बताया कि शहर में पेयजल आपूर्ति निर्बाध रूप से की जा रही है और जिन वार्डों में समस्या है वहाँ के पार्षद और नपा प्रशासन टेंकरों के जरिये पानी पंहुचा रहे है!इस मामले में कथित तौर पर कुछ पार्षद अपने पद का दुरप्रयोग करके वार्ड में पानी देने के बजाय ,अपने कुछ करीबी ऐसे लोगों को टेंकर से पानी दे रहे हैं जिनके मकान निर्माण का काम चल रहा है!
                              नपा के सूत्र बताते हैं कि कुछ पार्षद अपने वार्डों की समस्या निदान करने के स्थान पर, सीएमओ मांझी के खिलाफ माहौल बनाने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं सूत्रों ने बताया कि ऐसे ही कुछ पार्षद कलेक्टर को पत्र लिखते रहते हैं!ताकि कलेक्टर नपा के प्रभार किसी अधिकारी को सौंप दें!सूत्रों के अनुसार नपा अधिकारी गलत भुगतान पर रोक लगा देती हैं जो कुछ जनप्रतिनिधियों को नागवार लगता है इसी कारणवश कथित रूप से कुछ समस्याओं की आड़ में नकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश की जाती है!
                                पिछले सालों में  गर्मियों में पानी छोड़ने को लेकर टीकमगढ़ कलेक्टर, ललितपुर डीएम को पत्र लिख कर यहाँ के लिए पानी देने का अनुरोध करते थे और ललितपुर जिला प्रशासन तुरंत जिले के लिए पानी छोड़ देता था लेकिन इस बार सम्बंधित जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने “पानी “की आड़ में जो राजीनीति की उसका नतीजा सामने है कि न ललितपुर से पानी आया और न ही प्रशासन उनके मामलों (पत्रों )को गंभीरता से लेता है!

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