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जिनवाणी को श्रद्धापूर्वक श्रवण करो, उसे जीवन में आत्मसात करो- साध्वी श्री रमणीक कुंवरजी

महावीर अग्रवाल
मन्दसौर ७ अगस्त ;अभी तक ;   जिनवाणी ज्ञान का भण्डार है, आगमों का सार है। इसे हमे श्रद्धापूर्वक श्रवण करना चाहिये। इसे अपने जीवन में हमें पूर्ण आदर व श्रद्धाभाव से ग्रहण करना चाहिये तथा उसे अपने आचरण में भी लाना चाहिये।
                             उक्त उद्गार प.पू. जैन साध्वी श्री रमणीककुंवरजी म.सा. ने कहे। आपने बुधवार को नईआबादी स्थित श्री जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में साध्वी श्री चंदनाश्रीजी म.सा. की पावन उपस्थिति में आयोजित धर्मसभा में कहा कि हम राम, कृष्ण व महावीर की कथा तो रोज सुनते है लेकिन उसे आचरण में नहीं लाते। जीवन में हमें महापुरूषों की भांति महानता को प्राप्त करना है तो महापुरूषों की कथायें और जिनवाणी को पूरे आदर व सम्मान से श्रवण करना पड़ेगा और उसे जीवन में आत्मसात करना पड़ेगा तभी हम आत्मसुख प्राप्त कर पायेंगे।
कल का काम आज करो- साध्वीजी ने कहा कि कोई भी कार्य कल पर नहीं टाले जो काम कल करना है वह आज ही करे। कल का काम आज करने से हम आगामी समय से आकस्मिक रूप से होने वाली हानि से बच सकते है।
प्रतिकूल परिस्थिति आने पर हिम्मत रखो- साध्वीजी ने कहा कि जीवन में प्रतिकूल परिस्थिति या दुख का क्षण कभी आ सकता है। ऐसे समय में घबराना नहीं चाहिये।
सेवा सिद्धि प्रार्थना जाप का होगा आयोजन- आज 8 अगस्त को प्रातः 9 से 10 बजे तक जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में सेवा सिद्धी प्रार्थना जाप का आयोजन किया जायेगा। धर्मालुजन जाप में शामिल होकर धर्मलाभ ले।

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