प्रदेश

प्रभु को समझ लिया तो दुख नहीं होगा – आचार्य देव श्री नयचंद्रसागर सुरीश्वर जी म.सा.

अरुण त्रिपाठी

रतलाम, 7 अगस्त ;अभी तक ;   आभास को कभी वास्तविकता मानकर नहीं चलना चाहिए। यदि चलेंगे तो उसके परिणाम भयानक आएंगे। हम सुख प्राप्ति की कामना लिए दौड़ रहे हैं, लेकिन सुख मिलता नहीं है। सुख का आभास खतरनाक है। जीवन में कौन दुखी नहीं है, दुख का कारण यह है कि प्रभु को हम समझ ही नहीं पाए है।

यह बात वर्धमान तपोनिधि पूज्य आचार्य देव श्री नयचंद्रसागर सुरीश्वर जी म.सा. ने सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज में चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान कही। उन्होने कहा कि प्रभु में लिप्त होने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं होता है। चाहे कितना भी दुख या संकट आ जाए। यदि आप दुखी होते हैं तो समझ लेना कि प्रभु का शासन अब तक आपको प्राप्त नहीं हुआ है। आत्मा की भावना जागती है तो परमार्थ की शुरुआत होती है। आचार्य श्री ने कहा कि जगत के पदार्थ अनर्थ कारी लगे तो उसे अनर्थकारी बनाने के लिए प्रभु की आराधना करो। प्रभु की आराधना से ही मोह का बंधन छूटेगा। सम्यक की आत्मा हर दुख को स्वीकार कर लेती है। पुण्य का उदय होने पर फल मिलता है और कर्म के अधीन हर कार्य होता है। कर्म यदि खुश होकर देता है तो बुरे समय में ले भी लेता है। गणिवर्य डॉ. अजीतचंद्र सागर जी म.सा. ने भी प्रवचन में प्रभु की आराधना कर मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होने का आह्वान किया। श्री देवसुर तपागच्छ चारथुई जैन श्री संघ गुजराती उपाश्रय रतलाम एवं श्री ऋषभदेव जी केसरीमल जी जैन श्वेतांबर पेढ़ी रतलाम ने समाजजनो से प्रवचन श्रृंखला में अधिक से अधिक उपस्थित रहकर धर्मलाभ लेने का आव्हान किया।

Related Articles

Back to top button