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लोटस सिल्क का मेकेनिज़्म लांजी में तैयार हुआ, दिल्ली विज्ञान प्रदर्शनी में मिली सराहना

आनंद ताम्रकार
बालाघाट 27 अक्टूबर ;अभी तक ;  करीब एक साल पहले शिरोमणि का छोटा भाई आदित्य विज्ञान की किताब में लोटस सिल्क के बारें पढ़ा तो कुछ देर का पॉज लेकर रुक गया। क्योंकि उनके घर के पास ही बड़ा सा तालाब है। यहाँ कई सारे लोटस वर्षो से देखतें आ रहा हैं। लोटस सिल्क यानी रेशम प्रश्न उठा तो घर में लोटस से बनें सिल्क के बारें में चर्चा ने जोर पकड़ा। पापा शिवनारायण दहीकर के मन में भी जिज्ञासा जागी। तो इस जिज्ञासा को किताबों और नेट के सहयोग से शांत किया और इस पर आगे रोचक जानकारियाँ मिली। बस यही से बेटी शिरोमणि दहीकर कक्षा 11 वी को विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित होने वाली इंस्पायर अवॉर्ड में शामिल होने का आइडिया आया। इस पर आगे विचार करने पर लोटल सिल्क को मैकेनाइज्ड फॉर्म में लाकर उत्पादन करने का मॉडल बनाने का विचार आया। इस आइडिया को शिरोमणि ने विभाग के पोर्टल पर पंजीयन कराया। इस पोर्टल पर करीब 8 लाख विद्यार्थियों ने अपने-अपने आइडिया अपलोड किए थे। इसमें से 10 प्रतिशत यूनिक आइडिया चुनें गए।
           इन 80 हजार में एक मॉडल लांजी के मनेरी गांव की शिरोमणि दहीकर का भी था। प्रथम स्तर पर चयन के बाद मॉडल बनाने के लिए शासन से खातें में 10 हजार रुपये की राशि प्राप्त हुई। जो मॉडल बनाने के लिए शासन द्वारा दी जाती है।
राशि मिली तो आइडिया को मौलिक रूप देने की तैयारी शुरू हुई
छात्रा के पिता शिवनारायण ने बताया कि नेट में सर्च करने के दौरान पता चला कि मणिपुर की विजयाशान्ति नाम महिला है जो लोटस सिल्क का काम हैंडवर्क से करती है। इस काम को मशीन के माध्यम से करने पर ही शिरोमणि के आइडिया को पसन्द किया गया और दिल्ली में चुना गया। जिला स्तर पर हुई प्रदर्शनी में स्टेट के लिए चयन हुआ था।
ऐसे करता है मॉडल काम
लोटस जिसे कमल के नाम से जाना जाता है। प्राचीन समय में कमल की डंडी जिसमें से फूल निकलता है, उसके कपड़े बनाये जाते थे। जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक माने जाते थे। शिरोमणि ने पापा के मार्गदर्शन में बनाये मॉडल में एक मोटर और हाइड्रोलिक के द्वारा लोटस की लंबी व हरी डंडी में मौजूद रेशे को अलग करने की मशीन बनाने में कामयाबी मिली। जब इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर भोपाल में चुना गया तो मैनिट के विशेषज्ञ श्री अखिलेश बर्वे द्वारा मॉडल में सामान्य मोटर के स्थान पर 24 वॉट की स्टेपर मोटर लगाई गई, साथ ही लोटस की हरी डंडी को घुमाने व हटाने के लिए सेंसर, हाइड्रोलिक और आर्डिनो सेंसर लगाया गया। साथ ही इसकी प्रोग्रामिंग भी की गई।
       हाइड्रोलिक से लोटस की डंडियों को स्टेपर मोटर से कनेक्ट कटर से जुड़ी प्लेट पर पहुँचाया जाता है। इसके बाद सेंसर द्वारा प्लेट से कटर के पास से गुजारा जाता है,कटर हरी डंडी को काटता है। इसके बाद उसके भीतर के रेशे एक अन्य सेंसर द्वारा अलग कर दिए जाते हैं और स्टोरेज बॉक्स में एकत्रित हो जाते है।
दिल्ली के प्रगति मैदान पर सितम्बर में हुआ था प्रदर्शन
विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा 16 से 18 सितम्बर को दिल्ली के प्रगति मैदान पर देश के 345 मॉडल्स का प्रदर्शन किया गया। जिसमें से 31 मॉडल्स को चुना गया। इसमें मप्र के विद्यार्थियों के 3 मॉडल्स चुने। इन तीन में लांजी की शिरोमणि का मॉडल भी शामिल है। प्रदेश से 10 मॉडल राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए भेजें गए थे। जिला शिक्षा अधिकारी श्री एके उपाध्याय ने बताया कि 25 अक्टूबर को भोपाल में आयोजित हुए राज्य शिक्षक सम्मान समारोह में शिरोमणि को राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा सम्मानित किया गया।

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