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अब तो करो या मरो की बारी है क्योंकि भारत पर संकट भारी है: धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री 

रवीन्द्र व्यास 
छतरपुर १७ नवंबर ;अभी तक ;  बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं.धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की हिंदू सनातन एकता यात्रा 21 नवंबर 24   से शुरू  होगी  | .बाबा बागेश्वर 160  किलोमीटर पैदल चलकर ओरछा रामराजा सरकार के मंदिर मे २९ नवम्बर को यात्रा का  समापन करेंगे | यात्रा  के दौरान  बाबा ना तो   फूलमाला पहनेंगे और ना ही खड़ाऊ पहनेगे |  पदयात्रा को लेकर उन्होंने कहा  संकल्प  बहुत बडा है जब तक वह हिंदूओं को जगा नही देगे तब तक यात्रा करते रहेगे ,| उनकी इस यात्रा को गुरु देव रामभद्राचार्य जी प्रथम दिवस भगवा  ध्वज दिखा कर रवाना करेंगे ।
     
                                     पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जात पात को मिटाने के लिए भेदभाव को दूर करने के लिए भारत का सबसे बड़ा कैंसर रोग है जात -पांत |  हम बागेश्वर से ओरछा तक 160 किलोमीटर की पदयात्रा कर रहे हैं अब तो करो या मरो की बारी  है क्योंकि भारत पर संकट भारी है। हम भारत के लोगों को हिंदुओं को बांग्लादेश जैसा चलता हुआ बिखरता हुआ नहीं देख सकते। हम हिंदुओं को एक करने निकले हैं। 
 
                                मुस्लिम और ईसाई  पदयात्रा में शामिल होने के सवाल पर  उन्होंने कहा अगर उनको लगता है कि हम कार्य बहुत अच्छा कर रहे हैं तो देश की भागीदारी में उनको भी भूमिका निभाना चाहिए। इस देश में जितने भी मुस्लिम और ईसाई रहते हैं वह सब कन्वर्टेड हैं। उनके दादा परदादा सभी हिंदू ही थे तो  उनका ही कार्य हम कर रहे हैं ।अगर आए तो वेलकम ना आए तो भीड़ कम।
                             इन लोगों को पीले चावल  देने के सवाल  पर उन्होंने कहा हम तो नहीं बांट रहे आप बांट आओ , क्योंकि जब युद्ध होता है रण क्रांति होती है तो बुलाया नहीं जाता जिसका जमीर  जिंदा होता है वह आता है \ एक बात उन्होंने और भी रहेगी हम इस पदयात्रा में ना तो खड़ाऊ पहनेंगे और ना  फूल मालाओं का स्वागत स्वीकार करेंगे ना हम फूल माला पहनेंगे ,  इसके पीछे उन्होंने  वजह बताइ की यात्रा को हम शोभायात्रा नहीं बनने जा रहे हैं यह पदयात्रा विचारों की क्रांति यात्रा बनाने जा रहे हैं।

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