प्रदेश
प्रगतिशील लेखक संघ का वार्षिक आयोजन संपन्न, लेखकों से अन्याय के खिलाफ अभिव्यक्त होने का अनुरोध
महावीर अग्रवाल
मंदसौर ६ जून ;अभी तक; हरिशंकर परसाई, हबीब तनवीर, शैलेंद्र जैसे लेखकों,संस्कृति कर्मियों के क्रांतिकारी विचारों को आत्मसात करते हुवे उनको जनता तक पहुँचाने का प्रयास करना चाहिए। लेखकों को निरंकुश शासन की जन विरोधी नीतियों का विरोध करना होगा। अन्याय,अत्याचार के ख़िलाफ़ खड़ा होना ही लेखक का धर्म होना चाहिए।
ये उद्गार डॉक्टर जे .सी. गुप्ता ने व्यक्त किए वे प्रगतिशील लेखक संघ मंदसौर इकाई की वार्षिक साधारण सभा को संबोधित कर रहे थे। डाक्टर गुप्ता ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में लेखकों का दायित्व दोगुना हो गया है। हमे जनता की आवाज़ को सजगता से उठाना होगा।
प्र .ले .सं. इकाई अध्यक्ष कैलाश जोशी ने कहा कि हमे समान विचार वाले साथियों और संगठनों को साथ लेकर चलना होगा। विघटनकारी ताक़तें जो देश को साम्प्रदायिकता की आग में झोंकने के षड्यंत्र कर रही है उसे नाकाम करना होगा।
प्रांतीय सचिवमण्डल के सदस्य असअद अन्सारी ने रंगकर्मी हबीब तनवीर की मन्दसौर आगमन की यादों का ज़िक्र करते हुवे बताया कि मौजूदा दौर की चुनोतियों का सामना करने के लिए राष्टीय प्रगतिशील लेखक संघ का सम्मेलन 20,21 अगस्त को जबलपुर में आयोजित किया जा रहा है ।यह सम्मेलन महान साहित्यकार हरिशंकर परसाई की जन्म शताब्दी के अवसर पर हो रहा है। जिसमें देश और विदेश से लगभग 500 साहित्यकारों के सम्मिलित होने की संभावना है। सम्मेलन में प्रमुख रूप से अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोकतन्त्र विरोधी शक्तियों से उत्पन्न चुनौतियों पर विचार -विमर्श होगा।
सभा को सम्बोधित करते हुवे डॉ. चन्द्रशीला गुप्ता ने कहा कि हमारा देश वर्तमान में जिन परिस्थितियों से गुज़र रहा है वह भयावह है। जनता के सामने अनेक चुनोतियाँ हैं इन से मुक़ाबला करने के लिए हमें राजनीति से आगे साहित्य की मशाल ले कर चलना होगा। प्रेमचन्द ने कहा था कि साहित्य राजनीति का पथ प्रदर्शक होता है।
निर्वाचन संपन्न-
सम्मेलन में प्रगतिशील लेखक संघ मन्दसौर इकाई का पुनर्गठन किया गया, जिसमें सर्वानुमति से अध्यक्ष रामनिवास शर्मा,उपाध्यक्ष प्रकाश गुप्ता डॉ. स्वप्निल ओझा ,सचिव दिनेश बसेर ,कोषाध्यक्ष एम .यू. अन्सारी निर्वाचित घोषित किए गए।
नव निर्वाचित कार्यकरिणी को सम्बोधित करते हुवे अध्यक्ष रामनिवास शर्मा ने कहा कि वर्तमान में लोकतांत्रिक मूल्यों का लगातार ह्रास हो रहा है। ऐसी परिस्थितियों में लोकतंत्र विरोधी कार्यों का संगठन और लेखनी के माध्यम से निरंतर मुक़ाबला करना होगा।यही हमारे समक्ष प्रमुख चुनौती है। उपाध्यक्ष डॉ. स्वप्निल ओझा ने कहा कि समाज और देश मे सोशल मीडिया के माध्यम से जो नफ़रत फैलाई जा रही है और झूठी तथा भ्रामक जानकारियां परोसी जा रही हैं यह एक प्रमुख चुनौती है। हमें इस नफ़रत की चेन को तोड़ने का प्रयास गम्भीरता से करना होगा। सचिव दिनेश बसेर ने परसाई जी को याद करते हुवे कहा कि हरिशंकर परसाई का लेखन उद्देश्य प्रधान हैं,उनकी रचनाएं समाज मे फैले हुवे भ्रष्टाचार और कुरीतियों पर कुठाराघात करती हैं ।
प्रस्ताव पारित हुए-
संगठन के वरिष्ठ कीर्ति नारायण कश्यप ने प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुवे कहा कि पिछले 35 दिनों से जंतर मंतर पर अनशन पर बैठी महिला पहलवान जिन्होंने औलम्पिक सहित कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है,उनके विरूद्ध शासन की दमनकारी नीतियों का हम विरोध करते हैं और आरोपी सांसद को गिरफ़्तार किया जा कर आवश्यक कानूनी कार्यवाही करने की मांग करते हैं। देश का गौरव बढ़ाने वाली महिलाओं को न्याय दिलाया जाना चाहिये।
अन्य प्रस्ताव में उड़ीसा के बालासोर क्षेत्र में रेल दुर्घटना मारे गये यात्रियों, प्रलेसं इकाई के पूर्व अध्यक्ष केसरी सिंह चिडार,शिवकुमार मिश्र रज्जन के असामयिक निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। दिवंगत साथियों आलोक पंजाबी,कमल जैन,शिवनारायण कश्यप,डॉ. चंद्रकांत द्विवेदी को भी याद किया गया। सम्मेलन में उज्जैन के वरिष्ठ शायर रागिब अली हाशमी ने “कल का गौतम और आज का गौतम” नज़्म सुनाई।
कार्यक्रम का आरम्भ हूरबानू सैफई द्वारा शंकर शैलेन्द्र के विख्यात जनगीत ” तू ज़िन्दा है तो ज़िन्दगी की जीत पर यकीन कर…. से हुआ। हूरबानो सैफ़ी ने शंकर शैलेन्द्र के जीवन पर प्रकाश डाला।
अतिथियों द्वारा वरिष्ठ शायर रागिब अली हाशमी को सम्मानित किया गया, साथ ही शिक्षाविद कैलाश जोशी,विजय मोरे, परवीन हाशमी, लोकेश शर्मा,अदिति शर्मा, जे.सी.गुप्ता,वसीम शाह,न्याज़ बानो को स्मृति चिन्ह भेंट किये गए।
कर्यक्रम में नरेंद्र अरोरा, ब्रजेश आर्य,शोभा कश्यप,रेहान सिद्दीक़ी, आसिफ़ अन्सारी, नाज़िया सिद्दीकी, आसिम अन्सारी, वजाहत हाशमी रुहीना सिद्दीकी,शमीम अन्सारी उपस्थित थे। ईशान ख़ान, अदीब एहमद,हेमन्त कछावा का विशेष सहयोग रहा। संचालन असअद अंसारी ने आभार प्रदर्शन प्रकाश गुप्ता ने किया।
सभा को सम्बोधित करते हुवे डॉ. चन्द्रशीला गुप्ता ने कहा कि हमारा देश वर्तमान में जिन परिस्थितियों से गुज़र रहा है वह भयावह है। जनता के सामने अनेक चुनोतियाँ हैं इन से मुक़ाबला करने के लिए हमें राजनीति से आगे साहित्य की मशाल ले कर चलना होगा। प्रेमचन्द ने कहा था कि साहित्य राजनीति का पथ प्रदर्शक होता है।
निर्वाचन संपन्न-
सम्मेलन में प्रगतिशील लेखक संघ मन्दसौर इकाई का पुनर्गठन किया गया, जिसमें सर्वानुमति से अध्यक्ष रामनिवास शर्मा,उपाध्यक्ष प्रकाश गुप्ता डॉ. स्वप्निल ओझा ,सचिव दिनेश बसेर ,कोषाध्यक्ष एम .यू. अन्सारी निर्वाचित घोषित किए गए।
नव निर्वाचित कार्यकरिणी को सम्बोधित करते हुवे अध्यक्ष रामनिवास शर्मा ने कहा कि वर्तमान में लोकतांत्रिक मूल्यों का लगातार ह्रास हो रहा है। ऐसी परिस्थितियों में लोकतंत्र विरोधी कार्यों का संगठन और लेखनी के माध्यम से निरंतर मुक़ाबला करना होगा।यही हमारे समक्ष प्रमुख चुनौती है। उपाध्यक्ष डॉ. स्वप्निल ओझा ने कहा कि समाज और देश मे सोशल मीडिया के माध्यम से जो नफ़रत फैलाई जा रही है और झूठी तथा भ्रामक जानकारियां परोसी जा रही हैं यह एक प्रमुख चुनौती है। हमें इस नफ़रत की चेन को तोड़ने का प्रयास गम्भीरता से करना होगा। सचिव दिनेश बसेर ने परसाई जी को याद करते हुवे कहा कि हरिशंकर परसाई का लेखन उद्देश्य प्रधान हैं,उनकी रचनाएं समाज मे फैले हुवे भ्रष्टाचार और कुरीतियों पर कुठाराघात करती हैं ।
प्रस्ताव पारित हुए-
संगठन के वरिष्ठ कीर्ति नारायण कश्यप ने प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुवे कहा कि पिछले 35 दिनों से जंतर मंतर पर अनशन पर बैठी महिला पहलवान जिन्होंने औलम्पिक सहित कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है,उनके विरूद्ध शासन की दमनकारी नीतियों का हम विरोध करते हैं और आरोपी सांसद को गिरफ़्तार किया जा कर आवश्यक कानूनी कार्यवाही करने की मांग करते हैं। देश का गौरव बढ़ाने वाली महिलाओं को न्याय दिलाया जाना चाहिये।
अन्य प्रस्ताव में उड़ीसा के बालासोर क्षेत्र में रेल दुर्घटना मारे गये यात्रियों, प्रलेसं इकाई के पूर्व अध्यक्ष केसरी सिंह चिडार,शिवकुमार मिश्र रज्जन के असामयिक निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। दिवंगत साथियों आलोक पंजाबी,कमल जैन,शिवनारायण कश्यप,डॉ. चंद्रकांत द्विवेदी को भी याद किया गया। सम्मेलन में उज्जैन के वरिष्ठ शायर रागिब अली हाशमी ने “कल का गौतम और आज का गौतम” नज़्म सुनाई।
कार्यक्रम का आरम्भ हूरबानू सैफई द्वारा शंकर शैलेन्द्र के विख्यात जनगीत ” तू ज़िन्दा है तो ज़िन्दगी की जीत पर यकीन कर…. से हुआ। हूरबानो सैफ़ी ने शंकर शैलेन्द्र के जीवन पर प्रकाश डाला।
अतिथियों द्वारा वरिष्ठ शायर रागिब अली हाशमी को सम्मानित किया गया, साथ ही शिक्षाविद कैलाश जोशी,विजय मोरे, परवीन हाशमी, लोकेश शर्मा,अदिति शर्मा, जे.सी.गुप्ता,वसीम शाह,न्याज़ बानो को स्मृति चिन्ह भेंट किये गए।
कर्यक्रम में नरेंद्र अरोरा, ब्रजेश आर्य,शोभा कश्यप,रेहान सिद्दीक़ी, आसिफ़ अन्सारी, नाज़िया सिद्दीकी, आसिम अन्सारी, वजाहत हाशमी रुहीना सिद्दीकी,शमीम अन्सारी उपस्थित थे। ईशान ख़ान, अदीब एहमद,हेमन्त कछावा का विशेष सहयोग रहा। संचालन असअद अंसारी ने आभार प्रदर्शन प्रकाश गुप्ता ने किया।