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डीपीएम के रवैये से परेशान कर्मचारीयों ने दीपक फाउण्डेशन से दिया स्तीफा, कागजो मे चल रहा कार्यक्रम

दीपक शर्मा

पन्ना १९ जून ;अभी तक;  खतरनाक क्षय रोग (टीबी) अधिकता वाला पन्ना जिला केन्द्र सरकार की मंषानुरूप 2025 में क्या क्षय मुक्त हो पायेगा? यह सवाल बीते कुछ महीनों से जिले के स्वास्थ महकमें के जिम्मेदार अधिकारियों को लगातार बेचैन कर रहा है। दअसल बात कुछ ऐसी है। जिले में टीबी के संक्रमण के नये रोगियों की खोज करने और उनके निक्षय होने तक उन्हें नियमित रूप से उपचार मुहैया कराने के लिए कार्यरत स्वमसेबी संस्था दीपक फाउण्डेषन में घमासान मचा है। जिसकी वजह संस्था की पन्ना जिले के लिए नियुक्त की गई जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) का हिटलरषाही रवैया है। मेडम के रवैये से परेषान होकर संस्था के अनुभवी कर्मचारी या तो अपनी नौकरी से त्याग पत्र दे चुके है या उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिखाया जा चुका है। संस्था में मची इस उठा पटक का दुष्प्रभाव जिले में टीबी उन्मूलन के प्रयासों पर पड़ रहा है।

                              विदित हो कि पन्ना जिले में एक सप्तादी से अधिक समय से पत्थर और हीरे की खदाने बड़ी संख्या में संचालित हो रही है। वर्तमान में जिले में दर्जनभर स्टोन क्रेसर भी संचालित है। फलस्वरूप पन्ना में टीबी के साथ-साथ सिलीकोसिस के मरीजों की अच्छी खासी तादाद है। बुन्देलखण्ड के पन्ना जिले में तबेदिक यानि टीबी की भयावह स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्रामीण अंचल में जन्म लेने वाले कई मासूम बच्चे टीबी से ग्रसित होते है। वहीं जिले के गरीब अषिक्षित आदिवासी समाज को टीबी तेजी से निगल रही है। इन हालात मे ंपन्ना जिले को 2025 तक टीबी मुक्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए युद्ध स्तर पर ठोस प्रयास करने की जरूरत है। तभी पन्ना के साथ-साथ प्रदेश और देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य किया जा सकता है। लेकिन बिड़म्बना यह है कि पन्ना में टीबी से लड़ने के लिए नियुक्त की गई संस्था दीपक फाउण्डेषन पन्ना की प्रमुख इस खतरनाक बीमारी के उन्मूलन के बजाय अपने कर्मचारियों को प्रताडित करने में उलझी है। टीबी के नये मरीजों की जांच आदि की जिम्मेदारी संभाल रहे लैब टैक्नीशियन ध्रुव कुषवाहा और टीबी मरीजो के रिकार्ड का संधारण करने वाले राजेन्द्र कुमार लोध अपने पद से इस्तीफा दे चुके है।

वहीं फील्ड में नये टीबी  मरीजों को खोजने तथा उनकी जांच कराने वाले कई ब्लाकों के एजेन्ट नौकरी छोड़ चुके है। इसके अलावा हाल ही में सलेहा-गुनौर डीएमसी में कार्यरत स्पूटम एजेन्ट का कार्य संतोषजनक होने के बावजूद उन्हें हटा दिया गया है पन्ना में दीपक फाउण्डेषन की नई डीपीएम आयुषी सैनी  जब से आई है तब से संस्था में भारी उथल-पुथल मची है। इसका मुख्य कारण सुश्री सैनी का अव्यवहारिक और तानाषाहीपूर्ण रवैया है। अपने मातहथों के साथ उनका व्यवहार ऐसा है कि अनुभवी कर्मचारी या तो कर्मचारी मजबूर होकर नौकरी छोड़ रहे है या फिर उन्हें निकाला जा रहा है। दीपक फाउण्डेषन में मची इस उठापटक ने जिले के प्रभारी क्षय अधिकारी एवं प्रभारी मुख्य चिकित्सा  एवं स्वास्थ्य अधिकारी की टेंषन बढ़ा दी है। मालुम हो कि पन्ना जिले में टीबी के नये रोगियों के प्राईवेट नोटिफिकेषन पहले से भी बहुत कम है जिसका सीधा असर जिले के सूचकांग पर पड़ता है। और इससे जिले में क्षय उन्मूलन कार्यक्रम प्रभावित होता है। स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता का सबब यही है कि दीपक फाउण्डेषन से अनुभवी कर्मचारी जिस तरह से एक-एम कर छोड़ते जा रहे है। उससे कहीं क्षय उन्मूलन का दीपक न बुझ जाये। इस स्थिति से चिंतित और नाखुश डॉ. व्हीएस उपाध्याय ने दीपक फाउण्डेशन के कर्मचारियों की लगातार त्यागपत्र देने तथा उन्हें नौकरी से निकाले जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए संस्था की जिला कार्यक्रम प्रबंधक को तलब कर समक्ष में जवाब मांगा था।

डीपीएम को भेजे गये पत्र में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने स्पष्टतौर पर लेख किया है कि संस्था से नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारियों ने आपके रवैये को दोषी ठहराया है। ऐसी स्थिति मे उक्त प्रकरणों में आपके विरूद्ध अनुषासनात्मक कार्यवाही हेतु उच्चाधिकारियों को क्यों न लेख किया जाये। इस पत्राचार से मचे हड़कम्प के बाद डीपीएम ने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए त्याग पत्र दे चुके एक जरूरतमंद कर्मचारी से क्षमा पत्र लिखवाकर वापिस नौकरी पर रख लिया है। जबकि आधा दर्जन कर्मचारी अभी भी बाहर है। क्षमा पत्र लिखवाकर एक मात्र कर्मचारी को वापिस नौकरी पर रख कर डीपीएम यह साबित करना चाहती है कि गलत वह नहीं बल्कि कर्मचारी है। इस तरह डीपीएम अपनी कार्य गुजारियों पर पर्दा डालने के साथ-साथ संस्था में कर्मचारियों के साथ होने वाले गलत व्यवहार को लेकर उच्चाधिकारियों के उदासीन रवैये का भी बचाव कर रही है।

इनका कहना है-

कर्मचारियों को नौकरी पर रखना या निकालना यह संबंधित संस्था के क्षेत्राधिकार का मामला है। इसमें हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं है। यह बात सही है यदि अनुभवी कर्मचारियों को निकाला जाता है तो चल रहे कार्यक्रम की प्रगति बाधित होती है। पन्ना का मामला संज्ञान में आया था जिसके संबंध में आवश्यक पत्राचार किया गया है। अधिक जानकारी के लिए इस सबंध में आप दीपक फाउण्डेशन के उच्च अधिकारियों से बात कर सकते है।
डॉ. प्रितेश ठाकुर, जिला क्षय अधिकारी पन्ना

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