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मानसून ब्रेक होने के संकेत से किसानों की धडकने बढी: अब तक पिछले साल के मुकाबले 16 इंच कम बारिश

मयंक शर्मा

खंडवा १५ अगस्त ;अभी तक;  जिले में पिछले 2 सप्ताह से मानसून रूठा है। जिले में अब तक 390.6 मिमी बारिश हो चुकी है। पिछले साल अगस्त मध्य तक 797.6 मिमी बारिश हुई थी। इस मान से पिछले साल से अब तक 407 मिमी याने करीब 16 इंच कम बारिश  हुई है।  ऐसे में करीब सवा तीन लाख हेक्टर में ली जा रही खरीफ फसला अवर्षा से निरंतर बिगडने लगी  है। सोयाबीन की फसल पर कीट-व्याधि की समस्या  है। इन हालात में फसलों सहित सभी को अब बारिश का इंतजार है। किसानों का कहना है कि बारिश नहीं होने से सोयाबीन और मक्का की 50 फीसदी फसल पर असर देखा सकता है। 4 दिन ओर बारिश नहीं हुई तो फसल खराब होने की आशंका है। इससे उत्पादन पर भी असर पड़ेगा।

भू अभिलेख  विभाग से प्रदत्त जानकारी के अनुसार जिले में अब तक गत साले के मुकाबले  407 मिमी बारिश कम हुई है। मौसम विज्ञान केंद्र की माने तो  22 अगस्त से सिस्टम एक्टिव होने से बादल रहने के साथ हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। मौसम विभाग रोजाना बारिश का अलर्ट जारी कर रहा है, लेकिन बादल नहीं बरस रहे हैं। जुलाई में हुई पर्याप्त बारिश से भारी जमीन वाले खेतों में फसलों की स्थिति ठीक है, लेकिन हल्की जमीन वाले किसानों की फसलें प्रभावित हो रही है। इधर मौसम खुलने के बाद किसान फसलों की निंदाई-गुड़ाई और दवा के छिड़काव सहित अन्य देखरेख में जुटे हैं। सोयाबीन फसल फूल पर आ चुकी है। लेकिन अब सिंचाई के लिए अच्छी बारिश की दरकार है।

किसान कांग्रेस नेता श्याम यादव ने बताया कि जिले के छैगांवमाखन और पंधाना में सबसे ज्यादा फसल प्रभावित हो रही है ।भारतीय किसान संघ के जिला उपाध्यक्ष सुभाष पटेल ने बताया बारिश नहीं होने के कारण सबसे ज्यादा खंडवा, पंधाना और छैगांव माखन ब्लाक में 50 फीसदी से अधिक फसल प्रभावित हुई है। पंधाना क्षेत्र में अधिकांश भूमि असिंचित है और हल्की भी है। अल्प बारिश  के कारण  कुओं में भी पानी नहीं है। किसानों में  गहरी  चिंता के साथ बोल रहे है कि अब ऐसे में सबकुछ भगवान भरोसे ही है।

फसल सूखने और पीली पड़ने से चिंतित ग्राम पोखर के किसान सुंदर पटेल ने बताया मेरी 10 एकड़ में की फसल पर खतपतवार नाशक का छिड़काव किया। इससे खरपतवार को नष्ट हो गया लेकिन इसके बाद सोयाबीन और मिर्च की फसल को बारिश का पानी नहीं मिल पाया है। ऐसे में फसल मुरझाने लगी है। यदि एक-दो दिन में पानी नहीं मिला तो बहुत नुकसान हो जाएगा। सुरगांव जोशी के नंदलाल पटेल सुरगांव जोशी 15 एकड़ में लगाई सोयाबीन सूख गई है। कीट और वायरस का असर फसलों पर दिख रहा है। इसी तरह जावर के किसान रविंद्र लाड़ और विशाल गुप्ता भी फसल सूखने और पीली पड़ने की समस्या से चिंतित हैं।

ृृ                      मानसून की गतिविधियां निमाड अंचल में ं धीमी है। हालांकि तीन-चार दिनों बाद मौसम फिर बदलने की उम्मीद में किसान सुबह शाम आसमान ताक रहा है लेकिन निराशा  ही मिल रही है। प्रदेश  मौसम विभाग ने जरूर अगले 24 घंटों के लिए प्रदेश के 20 से ज्यादा जिलों में हल्की बारिश और बिजली गिरने का यलो अलर्ट भी जारी किया है। संभावना जताई जा रही है कि पूर्वी मध्यप्रदेश में वर्षा की गतिविधियों में वृद्धि हो सकती है लेकिन प्रदेश का पश्चिम अंचंल को लेकर मौन है।

ऽ निमाड़ में मानसून के रूठ जाने से हर किसान चिंतित और परेशान है।  बीते दो हफ्ते से बारिश की बूंद तक जमीन पर नहीं गिरी है। हालात यह है कि, फसलें खराब हो रही है।, कपास मुरझा गए तो सोयाबीन लुढ़क गई। जिनके पास सिंचाई के साधन है, वो किसान नहर, कुएं से सिंचाई कर फसल  बचाने का प्रयास कर रहे है।वे केवल आत्मसंतुष्टि कर रहे है। बाकी इकलौती सोयाबीन की फसल लेने वाले किसानों की निगाहें आसमान पर टिकी है।

कुल मिलाकर बारिश का गणित निकाले तो पिछले साल के मुकाबले आधी बरसात ही हुई है। कहां 32 इंच और कहां 16 इंच बारिश। कुएं खाली है, ट्यूबवेल रिचार्ज नहीं हो पाए है। नदीयों में बाढ़ तक नहीं आई, तालाब सूखें पड़े हुए है।

यह भी संकेत है कि  बारिश की उम्मीद है बाकी अल नीनो के कारण मानसून ब्रेक हो चुका है।
मानसून ब्रेक होते हुए आसमान से बादल पूरी तरह साफ हो गए है। सुबह सूर्याेदय के साथ ही मार्च-अप्रैल का एहसास होने लगता है। तेज धूप ने किसानों की धड़कने बढ़ा रखी है। खंडवा में सबसे ज्यादा बारिश हरसूद और सबसे कम पंधाना क्षेत्र में हुई है।  फसलें तो बारिश आधारित होती है, बरसात का पानी ही उसके लिए अनुकूल होता है। इस सीजन में सिंचाई का कोई औचित्य नहीं है, बस आत्मसंतुष्टि के लिए यह ठीक है।

इस बार इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर डैम के गेट भी नहीं खुल पाए है। दोनों डैम अपनी भराव क्षमता के नजदीक आए थे कि नर्मदा के अब स्टीम जिलों बारिश थम गई। ऐसे में बिजली उत्पादन कर पानी की खपत की गई। दोनों जगह पावर स्टेशनों के सभी टरबाइन लगातार चल रहे है। 24 घंटे बिजली उत्पादन हो रहा है। इंदिरा सागर परियोजना के प्रमुख एके सिंह बताते है कि, ऊपरी इलाकों से पानी की आवक शून्य हो गई है। बैकवाटर क्षेत्र में बारिश नहीं हो रही है। इसलिए इंदिरा सागर डैम पूरी क्षमता से नहीं भरा पाया। फिलहाल गेट खुलने की कोई उम्मीद नहीं है।

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