प्रधानमंत्री मोदी ने ग्वालियर में “गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड” बनाने पर दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने ग्वालियर में सोमवार को आयोजित तानसेन समारोह (Tansen Ceremony.) के अंतर्गत “ताल दरबार” कार्यक्रम में एक साथ 1282 तबला वादकों की प्रस्तुति (Presentation of 1282 tabla players.) कर “गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड” (“Guinness Book of World Records”.) में अपना नाम दर्ज कराने पर सभी कलाकारों के साथ-साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने भी शुभेच्छा तथा आशीर्वचन के लिए सभी मध्यप्रदेशवासियों की ओर से प्रधानमंत्री का आभार जताया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर कहा है कि यह अद्भुत, अविस्मरणीय, अद्वितीय है। मध्यप्रदेश की संगीत नगरी ग्वालियर में ‘तानसेन समारोह’ के अंतर्गत आयोजित ‘ताल दरबार’ कार्यक्रम में एक साथ 1,282 तबला वादकों की प्रस्तुति ने “गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड” में अपना नाम दर्ज कराने का अभूतपूर्व कार्य किया है। इस नए विश्व रिकार्ड की उपलब्धि हासिल करने पर कलाकारों के साथ ही मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की गरिमामयी उपस्थिति रही। मैं संगीत की दुनिया के इन सभी कलाकारों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं, जिन्होंने भारतीय संगीत को इस आयाम तक पहुंचाने का सराहनीय प्रयास किया है।

गौरतलब है कि संगीत सम्राट तानसेन की नगरी ग्वालियर में आयोजित तानसेन समारोह में अपराजेय भारतीयता के विश्वगान राष्ट्रगीत वंदे मातरम की धुन पर “ताल दरबार” ने राष्ट्रीयता का उद्घोष करते हुए 1282 तबला वादकों ने अपनी प्रस्तुति देकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया था। इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनते हुए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड संस्था का प्रमाण पत्र ग्रहण किया था। इस अवसर पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर भी उपस्थित रहे।

चार बरस के नन्हे तबला वादक से लेकर बड़ी उम्र के तबला साधकों से सजा दरबार इस अर्थ में भी अनूठा था कि एक साथ प्रदेश की तीन पीढ़ियां तबला वादन कर रही थीं। तानसेन की जमीन पर तबलों की थाप से सजे दरबार में तानसेन की नगरी थिरक रही थी। राष्ट्रगीत वंदे मातरम की परिकल्पना पर आधारित तबला वादकों ने तीन ताल के ठेका पर संगीत के सम्राट तानसेन को संगीतमय प्रणाम किया। हारमोनियम, सितार और सारंगी की धुन पर सजे लहरा और कायदा पर तबला वादन ने ग्वालियर किला को गुंजायमान कर दिया था।