अपनी दुर्दशा के लिए आंसू बहा रहा प्राचीन छत्रसाल पार्क
दीपक शर्मा
पन्ना १८ अप्रैल ;अभी तक; पन्ना नगर का सबसे प्राचीन छत्रसाल पार्क इन दिनो अपनी दुर्दशा के लिए आंसू बहा रहा है। क्योकि छत्रसाल पार्क की स्थिती विभिन्न कारणा के चलते बुरी हालत में है। भारी गंदगी, चारो तरफ फैली रहती है। आये दिन किसी न किसी जयंती या अन्य प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। जिसमें लोगो द्वारा भारी स्तर पर डिस्पोल, गिलास, प्लेटे तथा अन्य समान का कचरा फैलाया जाता है। जिसे पार्क मे कार्यरत कर्मचारी बटोरते हुए देखे जा सकते है। जबकी पार्क के अन्दर गंदगी न फैले इसके लिए उपाये किये जाने चाहीए तथा कार्यक्रम करने वालो को सख्त निर्देश होना चाहीए।
इसके साथ ही शांयकाल के समय गंजेडियो, शराबीयो का अड्डा बनजाता है, इन पर भी प्रतिबंध लगना चाहीए, पार्क एक दम हरा भरा एवं स्वच्छ रहना चाहीए, जिससे पार्क आने वाले लोगो को शुद्ध हवा प्राप्त हो सकें। पार्क में पीने के पानी के लिए वर्तमान मे कोई व्यवस्था नही है। जबकी पार्क के अन्दर बकायदा विधायक तथा तत्कालीन मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा अपनी निधी से शुद्ध पेयजल के लिए टंकी एवं वाटर कूलर लगाया गया था। लेकिन वह बंद पडा हुआ है तथा चोर टोंटीयां भी निकालकर ले गयें है।छत्रसाल पार्क के लिए जिम्मेवारो को सुरक्षा के बेहतर इंतजाम करना चाहीए।
ज्ञात हो कि छत्रसाल पार्क का उद्घाटन भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद द्वारा सन् 1952 मे किया गया था। यह नगर के लोगो के लिए धरोहर है, लेकिन इसकी भी दुर्दशा हो रही है। छत्रसाल पार्क के नाम पर चालीस कर्मचारी नगर पालिका द्वारा भर्ती किये गयें है। लेकिन सभी कर्मचारी अधिकारीयो तथा नेताओ के घरो में झाडू, पोंछा के लिए ड्यूटी कर रहें है। पार्क मे आधा दर्जन कर्मचारी ही यदा कदा देखे जाते है। स्थानीय लोगो ने कलेक्टर से नगर पालिका परिषद से संज्ञान लेने तथा छत्रसाल पार्क की दुर्दशा सुधारे जाने की मांग की है।