प्रदेश
अ.भा. साहित्य परिषद ने मनाया विश्व कला दिवस
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १६ अप्रैल ;अभी तक; अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला इकाई मंदसौर नगर में अपने पराये सभी के हम सोच के साथ मातृ संस्था के रूप में कार्य कर रही है। साहित्य परिषद के आव्हान पर संस्थाए सार्थक, जनपरिषद, दशपुर वैभव संगम, संजय ड्रीम्स, पोरवाल समाज, समग्र मालवा, मालवा मेवाड़ फिल्म, जनभागीदारी समिति लता मंगेशकर शा. संगीत महाविद्यालय, अ.भा. मारवाड़ी युवा मंच, टेलेण्ट ऑफ मंदसौर के पदाधिकारी एवं सदस्य डॉ. घनश्याम बटवाल, डॉ. उर्मिला तोमर, देवेश्वर जोशी, नरेन्द्र त्रिवेदी, संजय भारती, दिलीप सेठिया, विश्वास दुबे, जगदीश काला, नरेन्द्रसिंह राणावत, राजेन्द्र तिवारी, गोपाल बैरागी, हरिश दवे, स्वाति रिछावरा, प्रमिला अजय अग्निहोत्री, चेतन व्यास, हेमासिंह, अनंत तारे ने विश्व कला दिवस मनाते हुए साहित्यकार अजय डांगी का जन्मदिवस भी हर्षोल्लास के साथ मनाया।
विशेषता यह रही कि जैन परम्परा से श्रीमती चंदा डांगी ने श्री डांगी को कुमकुम तिलक लगाया, आमपाक से मुंह मीठा कराया, दीपक की थाली से आरती उतारी। श्री राजेन्द्र तिवारी ने ‘‘णमो अरिहन्ताणं णमों सिद्धाणं’’ जैन स्तुति का गान किया।
सभी ने पुष्पमाला मोती माला, पुष्प गुच्छ, बुके एवं उत्तरीय पट्ट पहनाकर श्री डांगी को जन्मदिन की शुभकामनाएं प्रेषित की।
डॉ. घनश्याम बटवाल ने कहा कि आज विश्व कला दिवस पर साहित्य के सृजनकार का जन्मोत्सव एक संयोग है।
इस अवसर पर डॉ. उर्मिला तोमर ने कहा कि संस्थाओं के सम्मिलित प्रयासों से नगर उल्लासित हो रहा है। यह प्रयास जारी रहना चाहिये। नगर में गीत, गायन, साहित्य, नृत्य, सिनेमा और सांस्कृतिक गतिविधियां दशपुर का नाम प्रदेश एवं देश स्तर पर रोशन करें।
देवेश्वर जोशी ने कहा कि जीवन एक यात्रा है। जन्मदिन है मील के पत्थर जीवन यात्रा हेतु महत्वपूर्ण होते है। जीवन यात्रा मंे चार यात्रा हेतु के कारण आज स्मरण में है। पहला शिव का त्रिपुर, दूसरा अर्जुन का खाण्डव वन, तीसरा राम का वन गमन और चौथा हनुमान की संजीवनी बूटी हेतु लेकर की गई।
इस अवसर पर गोपाल बैरागी, हरिश दवे, ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर चेतन व्यास ने ‘‘जनम जनम की मैली चादर कैसे राग छुडाऊ, मैली चादर औढ़ कैसे द्वार तुम्हारे आऊ’’ भजन सुनाये। स्वाती रिछावरा ने ‘‘ओ पालन हारे, निगुर्ण ओर प्यारे’’ सुनाया। विजय अग्निहोत्री ने ‘‘जनम जनम का साथ है हमारा तुम्हारा’’ , हमारा तुम्हारा’’ गीत, चंदा डांगी ने ‘‘मेरे सपनों में तुम, हो गई मैं कहीं गुम‘‘ गीत सुनाया। नरेन्द्रसिंह राणावत व रमेश गंगवानी ने भी भजन प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर अजय डांगी ने कहा कि बचपन नगर में बीता परन्तु नौकरी के कारण 30 वर्षो से बाहर रहा, सेवानिवृत्ति पश्चात फिर से नगर में सभी लोगों ने मुझे पूर्ववत स्नेह सत्कार दिया। आपने कविता के रूप में अपने भाव प्रकट किये- ‘‘परिवार से परे भी परिवार है, त्यौहारों से परे भी त्यौहार है, दौड़े चले आते है एक निमंत्रण पर, दशपुर अपनत्व की सरकार है।’’
कार्यक्रम का संचालन नरेन्द्र भावसार ने किया एवं आभार नरेन्द्र त्रिवेदी ने माना।
विशेषता यह रही कि जैन परम्परा से श्रीमती चंदा डांगी ने श्री डांगी को कुमकुम तिलक लगाया, आमपाक से मुंह मीठा कराया, दीपक की थाली से आरती उतारी। श्री राजेन्द्र तिवारी ने ‘‘णमो अरिहन्ताणं णमों सिद्धाणं’’ जैन स्तुति का गान किया।
सभी ने पुष्पमाला मोती माला, पुष्प गुच्छ, बुके एवं उत्तरीय पट्ट पहनाकर श्री डांगी को जन्मदिन की शुभकामनाएं प्रेषित की।
डॉ. घनश्याम बटवाल ने कहा कि आज विश्व कला दिवस पर साहित्य के सृजनकार का जन्मोत्सव एक संयोग है।
इस अवसर पर डॉ. उर्मिला तोमर ने कहा कि संस्थाओं के सम्मिलित प्रयासों से नगर उल्लासित हो रहा है। यह प्रयास जारी रहना चाहिये। नगर में गीत, गायन, साहित्य, नृत्य, सिनेमा और सांस्कृतिक गतिविधियां दशपुर का नाम प्रदेश एवं देश स्तर पर रोशन करें।
देवेश्वर जोशी ने कहा कि जीवन एक यात्रा है। जन्मदिन है मील के पत्थर जीवन यात्रा हेतु महत्वपूर्ण होते है। जीवन यात्रा मंे चार यात्रा हेतु के कारण आज स्मरण में है। पहला शिव का त्रिपुर, दूसरा अर्जुन का खाण्डव वन, तीसरा राम का वन गमन और चौथा हनुमान की संजीवनी बूटी हेतु लेकर की गई।
इस अवसर पर गोपाल बैरागी, हरिश दवे, ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर चेतन व्यास ने ‘‘जनम जनम की मैली चादर कैसे राग छुडाऊ, मैली चादर औढ़ कैसे द्वार तुम्हारे आऊ’’ भजन सुनाये। स्वाती रिछावरा ने ‘‘ओ पालन हारे, निगुर्ण ओर प्यारे’’ सुनाया। विजय अग्निहोत्री ने ‘‘जनम जनम का साथ है हमारा तुम्हारा’’ , हमारा तुम्हारा’’ गीत, चंदा डांगी ने ‘‘मेरे सपनों में तुम, हो गई मैं कहीं गुम‘‘ गीत सुनाया। नरेन्द्रसिंह राणावत व रमेश गंगवानी ने भी भजन प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर अजय डांगी ने कहा कि बचपन नगर में बीता परन्तु नौकरी के कारण 30 वर्षो से बाहर रहा, सेवानिवृत्ति पश्चात फिर से नगर में सभी लोगों ने मुझे पूर्ववत स्नेह सत्कार दिया। आपने कविता के रूप में अपने भाव प्रकट किये- ‘‘परिवार से परे भी परिवार है, त्यौहारों से परे भी त्यौहार है, दौड़े चले आते है एक निमंत्रण पर, दशपुर अपनत्व की सरकार है।’’
कार्यक्रम का संचालन नरेन्द्र भावसार ने किया एवं आभार नरेन्द्र त्रिवेदी ने माना।