आत्म कल्याण की चिंता करो, शरीर की नहीं- श्री पारसमुनिजी

महावीर अग्रवाल

मंदसौर १८ जुलाई ;अभी तक;  प्रभु महावीर का धर्म दर्शन हमें अपने आत्मकल्याण की चिंता करने की प्रेरणा देता है। श्रमण भगवान महावीर ने हमें प्रेरणा दी है कि हम अपने जीवन को सम्यक ज्ञान, दर्शन व चारित्र की ओर प्रेरित करे। मानव को अपने रंग, रूप, सौंदर्य को निखारने में समय बर्बाद करने के बजाय धार्मिक क्रियाओं, सामायिक प्रतिक्रमण व अन्य धर्म के कार्यों में समय लगाना चाहिये इसी में उसका आत्म कल्याण है।

                              उक्त उद्गार प.पू. जैन संत श्री पारसमुनिजी म.सा. ने नवकार भवन शास्त्री कॉलोनी में आयोजित धर्मसभा में कहे। आपने मंगलवार को यहां आयोजित धर्मसभा में कहा कि जैन धर्म व दर्शन के अनुसार वर्तमान समय में पंचम आरा चल रहा है इस समय जो मनुष्य है उनका शरीर पहले के मनुष्यों की अपेक्षाकृत कमजोर है ऐसी स्थिति में मनुष्य का धार्मिक क्रियाओं पर ध्यान कम होना स्वाभाविक है लेकिन हमें अपना प्रयास बंद नहीं करना चाहिये क्योंकि बिना प्रयास किये आत्मकल्याण संभव नहीं है। जब तक मनुष्य अपने आत्मकल्याण के लिये जप, तप एवं धार्मिक क्रियाआंे से अपने कर्मों का क्षय नहीं करेगा उसका मोक्ष संभव नहीं है। इसलिये जीवन में आत्मकल्याण करने के लिये जो भी साधन है उनका पूरा उपयोग करते हुए शरीर को धर्मसाधना के मार्ग की ओर प्रवृत्त करना चाहिये इसी में मनुष्य जीवन की सार्थकता है। धर्मसभा में प्रकाश रातड़िया ने भी अपने विचार रखे।
प्रतिदिन अपनी बैलेन्स शीट देखो- संत श्री दिव्यममुनिजी ने कहा कि एक अच्छा व्यापारी वह है जो प्रतिदिन आय-व्यय का लेखा जोखा (बेलेंस शीट) रखता है। उसी प्रकार हमें भी प्रतिदिन अपने पाप व पुण्य कर्म का चिंतन करना चाहिये और पुण्य कर्म को बढ़ाने के लिये जो भी प्रयत्न जरूरी है वह करना चाहिये।
कु. आस्था भण्डारी मासखमण की तपस्या  की ओर अग्रसर- आचार्य श्री विजयराजजी म.सा. की पावन प्रेरणा व साधु श्रेष्ठ पंडित रत्न श्री पारसमुनिजी के पावन सानिध्य में कु. आस्था राजकुमार भण्डारी की मासखमण (31 उपवास) की तपस्या चल रही है। उनके 30 उपवास पूर्ण हो चुके है तथा वे मासखमण की तपस्या पूर्ण करने की ओर अग्रसर है। कल मंगलवार को नवकार भवन में दोप. 2 बजे तपस्या के अनुमोदनार्थ चौबीसी का आयोजन किया गया।