इन्दौर इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ के विरूद्ध जिला उपभोक्ता आयोग का महत्वपूर्ण निर्णय

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर १८ अप्रैल ;अभी तक;  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग, मन्दसौर द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय पारित करते हुए प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान इन्दौर इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ द्वारा एडमिशन की प्रत्याशा में जमा कराई गई राशि, संस्थान में प्रवेश नहीं लिये जाने के कारण उपभोक्ता को मय ब्याज वापस अदा किये जाने का आदेश दिया गया।

इन्दौर इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ द्वारा मन्दसौर के विनोद कुमार सेठिया की पुत्री श्रुति सेठिया के संस्थान में बी.ए.एल.एल.बी. कोर्स में प्रवेश की प्रत्याशा में 51,000 रुपये की राशि एडवांस प्राप्त की गई थी, किन्तु कालान्तर में अन्य प्रतिष्ठित एवं अपेक्षाकृत कम फीस वाले संस्थान में प्रवेश मिल जाने के कारण इन्दौर इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ में प्रवेश नहीं लिया गया। इस पर उक्त संस्थान द्वारा एडवांस ली गई राशि लौटाये जाने से इन्कार कर दिया था, जिस पर उपभोक्ता विनोद कुमार सेठिया द्वारा श्री संदीप भार्गव अभिभाषक के माध्यम से जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग, मन्दसौर के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत किया गया था। उक्त प्रकरण में आयोग के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए यह मान्य किया गया कि संस्थान उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे मंे आता है एवं संस्थान द्वारा इस प्रकार बिना सेवाएँ प्रदान किये राशि नहीं हड़पी जा सकती। आयोग के अध्यक्ष द्वारा आवेदक के अभिभाषक श्री भार्गव के तर्कों से सहमत होते हुए इन्दौर इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ के विरूद्ध आदेश प्रदान किया गया कि संस्थान उपभोक्ता से ली गई राशि 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित उपभोक्ता को लौटावे एवं रूपये 5 हजार रू. क्षतिपूर्ति राशि व रूपये 5 हजार रू. वाद व्यय भी एक माह की अवधि में भुगतान करें। आवेदक की ओर से सफल पैरवी संदीप भार्गव अभिभाषक द्वारा की गई।