करोड़ों की बंधक संपत्ति को फर्जी दस्तावेज बनाकर आधे-पौने दाम में बेचने पर बैैंके के 2 कर्मचारी व पालीटेक्निक के प्राचार्य अपूर्व साकल्ले सहित 7 पर केस दर्ज
मयंक शर्मा
खंडवा २१ मार्च ;अभी तक; बैंक आफ इंडिया के दो अधिकारियों ने बैंक में बंधक रखी संपत्ति को फर्जी दस्तावेज बनाकर साठगांठ से सस्ते में बेच देने के सनसनीखेज मामला कोर्ट में आने पर प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट मोहन डाबर के न्यायालय ने बैंक के दो अधिकारी अभिनीत तिवारी और तत्कालीन ब्रांच मैनेजर राहुल तिवारी के अलावा खरीदार जनरलवीरसिंह उर्फ राजू भाटिया के अलावा बैंक के वैल्यूअर इंजीनियर अश्विनी बाहेती और फर्जी प्रमाण पत्र देने वाले पालीटेक्निक के प्राचार्य अपूर्व साकल्ले, ड्राफ्समैन बीडी सनखेरे के अलावा ठेकेदार दीपेश राठौर पर कई धाराओं में मामला दर्ज किया है।मामले में 7 पर केस दर्ज किया है। बुधवार को यह कार्रवाही की गयी।
हास्याापद यह है कि आरोपी राजू भाटिया ने पालीटेक्निक के प्राचार्य अपूर्व साकल्ले और बीडी सनखेरे के साथ मिलकर फर्जी प्रमाण पत्र भी ले लिया। जिसमें बताया गया कि वेयर हाउस तोड़कर नया बनाया गया है। पंजीयक कोर्ट द्वारा शासन की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई गई, जिसमें वेयर हाउस पुराना बताया गया। इसके अलावा एसडीएम न्यायालय द्वारा भी जांच कराई गई, जिसमें राजस्व निरीक्षक व पटवारी प्रतिवेदन मौका पंचनामा तैयार कर वेयर हाउस का निर्माण पुराना होना बताया गया।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी खंडवा मोहन डाबर ने बुधवार को फैसला आदेश के अंत में लिखा है कि दस्तावेजों के आकलन से प्रथम दृष्टया आरोपी अभिनीत तिवारी के विरुद्ध धारा 420 /34, 418, 465/34, 468/34, 471/34 भारतीय दंड संहिता 1860 एवं जनरलवीरसिंह उर्फ राजू भाटिया के विरुद्ध धारा 420/34, 465/34 468/34 एवं 471/34 भारतीय दंड संहिता 1860 का अपराध एवं आरोपित राहुल तिवारी के विरुद्ध धारा 420/34, 418 भारतीय दंड संहिता 1860 एवं आरोपी अश्विन बाहेती के विरुद्ध 420/34, 418 एवं आरोपित दीपेश राठौर के विरुद्ध धारा 465/34, 468/34 एवं 471/34 एपी साकल्ले के विरुद्ध धारा 465/34,468/34 एवं 471/34 भारतीय दंड संहिता 1860 एवं आरोपी बीड़ी सनखेरे के विरुद्ध धारा 465/34 468/34, 471/34 के तहत संज्ञान लिया गया है।
खंडवा के व्यापारी वीरेंद्र अग्रवाल ने बैंक से वेयर हाउस बनाने और व्यापार करने के लिए लगभग चार करोड़ रुपये का ऋण लिया था। इसके एवज में वेयर हाउस और एक मकान को बंधक रखा था। इस संपत्ति की कम वैल्यू आंक कर आरोपियों ं ने सारे दस्तावेज जिला पंजीयक कोर्ट और अन्य जगह दे दिए। बाद में यह सब फर्जी साबित हुए। बैंक आफ इंडिया के दो अधिकारियों ने बैंक में बंधक रखी संपत्ति को फर्जी दस्तावेज बनाकर साठगांठ से सस्ते में बेच दिया। इस पर अदालत ने बैंक के दो अधिकारियों समेत पालीटेक्निक कालेज के दो वरिष्ठ पदाधिकारियों समेत सात लोगों पर धोखाधड़ी, कूटरचना, फर्जी दस्तावेज और मिलीभगत जैसी धाराओं में प्रकरण दर्ज कर संज्ञान लिया है।
वीरेन्द्र अग्रवाल ने मीडिया के समक्ष दस्तावेज पेश करते हुए बताया कि कलेक्टर कोर्ट ने जिस संपत्ति की वैल्यू छह करोड़ 15 लाख रुपये बताई थी। इसे बैंक ने सिर्फ डेढ़ करोड़ रुपये में धोखाधड़ी कर साठगांठ के तहत बेच दिया। सारे कागज और दस्तावेज भी बड़े अधिकारियों और ठेकेदारों से बनवा लिए, जो अदालत में फर्जी साबित हुए हैं। इसमें बड़ी भूमिका बैंक के वेल्यूवर अश्विन बाहेती की भी है।
कागज पेश करते हुए आगे कहा कि वर्ष 2013 में तीन करोड़ 20 लाख रुपये से अधिक वैल्यू और गाइडलाइन दो करोड़ 95 लाख बताई गई थी। इसी वैल्यूवर ने 2021 में इसी संपत्ति की गाइडलाइन एक करोड़ 43 लाख रुपये बता दी जबकि आठ साल में संपत्ति की कीमत कई गुना बढ़ चुकी है।
न्यायालय के संज्ञान में यह भी लाया गया कि दो बैंक के अधिकारियों और राजू भाटिया ने साठगांठ कर 2300 वर्गमीटर पर बने वेयर हाउस को मात्र 613 वर्गमीटर बताकर रजिस्ट्री भी कर दी। अग्रवाल ने इसकी शिकायत की। इसमें कहा गया कि आरोपी भाटिया ने पालीटेक्निक के प्राचार्य अपूर्व साकल्ले और बीडी सनखेरे के साथ मिलकर फर्जी प्रमाण पत्र भी ले लिया। जिसमें बताया गया कि वेयर हाउस तोड़कर नया बनाया गया है।
पंजीयक कोर्ट द्वारा शासन की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई गई, जिसमें वेयर हाउस पुराना बताया गया। इसके अलावा एसडीएम न्यायालय द्वारा भी जांच कराई गई, जिसमें राजस्व निरीक्षक व पटवारी प्रतिवेदन मौका पंचनामा तैयार कर वेयर हाउस का निर्माण पुराना होना बताया गया।