किसानों ने चिट्ठी लिखकर राष्ट्रपति से सामूहिक आत्मदाह तक करने की इजाजत मांगी
प्रभावित किसान पहले मुआवजा लेकर ही बांध का काम करने देने की बात कह रहे हैं। साथ ही ऐसा न होने और सरकार द्वारा जबरन उनकी जमीन हड़पे जाने पर तीन गांवों के सैकड़ों किसानों के द्वारा सामूहिक आत्मदाह करने की चेतावनी दी है।
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शनिवार से आंदोलन कर रहे किसानों में से ही एक किसान ने बताया कि यहां अभी तीन गांव के ग्रामीण और किसान जमा हुए हैं। विभाग के श्री उमरलिया आए थे , उनसे मुलाकात हुई। उनसे सकारात्मक चर्चा हुई है और उन्होंने भी सहयोग किया है।
किसान इ्रश्चर ने बताया कि जब तक कि ा मुआवजा तय नहीं हो जाता।और किसी प्रकार का कोई आक्षेप या कोई और काम करते हो जो कानून को धता बताकर गलत तरीके से, किसी भी प्रकार से बांध का निर्माण का काम शुरू होता है। तो राष्ट्रपति को लिखे अनुसार डेढ़ हजार किसान सामूहिक आत्मदाह करेगें।। इसके लिए हमने उनसे अनुमति मांगी है।
आंदोलन कर रहे किसान रवि पटेल ने बताया कि इस क्षेत्र में पांगरी सहित अन्य गांवों जिनमें करदली, बसाली, नागझिरी, नांदुरा के आसपास पहले से ही कुल छह बांध मौजूद हैं। उनके जरिए यहां के किसान सिंचाई भी कर रहे हैं तो अब इस नए बांध की इस क्षेत्र में कोई आवश्यकता ही नहीं थी। यहां सरकार और जल संसाधन विभाग मिलकर जबरन एक नया बांध हम पर थोप रहे हैं। इस क्षेत्र में मौजूद 108 प्रजाति के पेड़ों में से शीशम, बहेरा, बीजा और आंवला जैसी सात प्रजातियां लुप्त होने को हैं, जिनके साथ ही कई प्रकार की बेलें भी हैं। बांध बनने से इनका अस्तित्व भी खतरे में आ जाएगा। जैव विविधता (बायो डायवर्सिटी) के लिहाज से भी यह उचित निर्णय नहीं कहा जा सकता।
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‘ मुआवजा तय किए बिना पांगरी बांध परियोजना का काम शुरू नहीं किया जाएगा। इस संबंध में विभाग के अफसरों को निर्देशित किया जाएगा। बढ़े हुए मुआवजे का प्रस्ताव अभी नहीं मिला है। इसकी प्रक्रिया चुनाव के बाद ही शुरू होगी।
भाव्या मित्तल जिला कलेक्टर बुरहानपुर