किसानों ने चिट्ठी लिखकर राष्ट्रपति से सामूहिक आत्मदाह तक करने की इजाजत मांगी

मयंक शर्मा
खंडवा २५ नवंबर ;अभी तक;  बुरहानपुर जिले में किसानों और जिला प्रशासन के अफसरों के बीच टकराव की सिथति को देखते हुये  करीब 15 सौ प्रभावित किसानों ने चिट्ठी लिखकर राष्ट्रपति से सामूहिक आत्मदाह तक करने की इजाजत मांगी है। पूरा मामला  खकनार ब्लाक के  पांगरी बांध परियोजना से जुड़ा हुआ है। इसमें जल संसाधन विभाग के द्वारा किसानों को उनकी जमीनों का मुआवजा दिए बगैर ही बांध का काम शुरू कराया जा रहा है।

प्रभावित किसान पहले मुआवजा लेकर ही बांध का काम करने देने की बात कह रहे हैं। साथ ही ऐसा न होने और सरकार द्वारा जबरन उनकी जमीन हड़पे जाने पर तीन गांवों के सैकड़ों किसानों के द्वारा सामूहिक आत्मदाह करने की चेतावनी दी है।

                                 खकनार क्षेत्र में जल संसाधन विभाग के द्वारा पांगरी बांध परियोजना का काम शुरू करवाया जा रहा है। इस वजह से विभाग के अफसर पांगरी गांव में मशीनें लेकर खुदाई करवाने पहुंच गए थे। लेकिन इस बीच आसपास के करीब तीन गांव के सैकड़ों ग्रामीणों को इस बात की भनक लग गई और उन्होंने वहां पहुंचकर काम रुकवा दिया। तीन ग्राम यथा पांगरी, बसाली और नागझिरी  के ग्रामीणों का कहा  कि उन्हें अब तक उनकी जमीनों का मुआवजा नहीं दिया गया है।
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                                ग्रामीणों ने काम रुकवाने के बाद एक बैठक की और सभी ने मिलकर देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करीब 15 सौ किसानों को मुआवजा दिए बगैर बांध का काम शुरू न कराने को लेकर पत्र लिखते हुए राष्ट्रपति से सामूहिक आत्मदाह की अनुमति मांगी है।
शनिवार से आंदोलन कर रहे किसानों में से ही एक किसान ने बताया कि यहां अभी तीन गांव के ग्रामीण और किसान जमा हुए हैं। विभाग के श्री उमरलिया आए थे , उनसे मुलाकात हुई। उनसे सकारात्मक चर्चा हुई है और उन्होंने भी सहयोग किया है।

किसान इ्रश्चर ने बताया कि  जब तक कि ा मुआवजा तय नहीं हो जाता।और  किसी प्रकार का कोई आक्षेप या कोई और काम करते हो जो कानून को धता बताकर गलत तरीके से, किसी भी प्रकार से बांध का निर्माण का काम शुरू होता है। तो  राष्ट्रपति को लिखे अनुसार डेढ़ हजार किसान सामूहिक आत्मदाह करेगें।। इसके लिए हमने उनसे अनुमति मांगी है।

आंदोलन कर रहे किसान रवि पटेल ने बताया कि इस क्षेत्र में पांगरी सहित अन्य गांवों जिनमें करदली, बसाली, नागझिरी, नांदुरा के आसपास पहले से ही कुल छह बांध मौजूद हैं। उनके जरिए यहां के किसान सिंचाई भी कर रहे हैं तो अब इस नए बांध की इस क्षेत्र में कोई आवश्यकता ही नहीं थी। यहां सरकार और जल संसाधन विभाग मिलकर जबरन एक नया बांध हम पर थोप रहे हैं। इस क्षेत्र में मौजूद 108 प्रजाति के पेड़ों में से शीशम, बहेरा, बीजा और आंवला जैसी सात प्रजातियां लुप्त होने को हैं, जिनके साथ ही कई प्रकार की बेलें भी हैं। बांध बनने से इनका अस्तित्व भी खतरे में आ जाएगा। जैव विविधता (बायो डायवर्सिटी) के लिहाज से भी यह उचित निर्णय नहीं कहा जा सकता।
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‘ मुआवजा तय किए बिना पांगरी बांध परियोजना का काम शुरू नहीं किया जाएगा। इस संबंध में विभाग के अफसरों को निर्देशित किया जाएगा। बढ़े हुए मुआवजे का प्रस्ताव अभी नहीं मिला है। इसकी प्रक्रिया चुनाव के बाद ही शुरू होगी।
भाव्या मित्तल  जिला कलेक्टर  बुरहानपुर