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चुनाव जीतने वालों अपने प्रारंभिक सहयोगियों को भूलना मत, वरना
*रमेशचन्द्र चन्द्रे*
मन्दसौर ४ दिसंबर ;अभी तक; वनवास से लौटने के बाद श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारी होने लगी उस समय अनुज भरत ने श्री राम से पूछा कि, भैया! राज्याभिषेक के मुख्य समारोह में *मुख्य अतिथि* किसे बुलाया जाए? इस पर भगवान श्री राम ने कहा- भरत! मैं तो 14 वर्ष तक वनवास में रहा उक्त काल में संसार के अनेक राजा परिवर्तित हो गए होंगे, मुझे तो कुछ नहीं मालूम कि कौन कहां का राजा है?
भरत ने फिर श्री राम से पूछा, कि भैया! कुछ तो सुझाव दीजिए, यह सुनकर श्री राम ने कहा- कि वनवास के प्रारंभिक काल में सर्वप्रथम *निषाद राज केवट* ने हमें गंगा पार कराया था। उसके बाद विभिन्न ऋषि मुनियों के आश्रम में मैं मिला तथा सीता हरण होने के बाद हनुमान, सुग्रीव, अंगद एवं जामवंत मेरे सहयोगी थे तथा पक्षीराज संपाति ने भी मुझे समुद्र के निकट सीता को ढूंढने में मार्गदर्शन किया इसके अतिरिक्त लंका के राजा विभीषण का सहयोग भी मुझे प्राप्त हुआ और लक्ष्मण को जब शक्ति बाण लगा तब लंका के सुश्रेन वैद्य की स्वास्थ्य से लक्ष्मण के प्राण बच पाऐ इन सब के सहयोग से मैं रावण का वध कर सका।
इसलिए मेरी इच्छा है कि मेरे राज्याभिषेक समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में निषाद राज केवट को आमंत्रित किया जाना चाहिए तथा इसके अतिरिक्त उक्त सहित अनेक छोटे-छोटे कार्यकर्ता जो मेरे सहयोगी रहे , उन सब को निमंत्रण दिया जाए। तो मैं सोचता हूं उनके सहयोग के लिए इससे अच्छा आभार क्या हो सकता है ?
भारत जी ने राम की आदेशानुसार विधि पूर्वक एवं सम्मान के साथ उक्त महानुभावों को श्री राम के राज्याभिषेक में आमंत्रित किया।
चुनाव में जीतने वाले विधायकों एवं मंत्री पद की शपथ लेने वाले से मेरा आग्रह है कि, आपके राजनीतिक जीवन के प्रारंभिक सहयोगियों और वर्तमान में जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर आपके साथ काम किया है उनको कभी भूलना मत वरना, आपकी सत्ता लंबे समय तक कायम नहीं रह सकती।
*रमेशचन्द्र चन्द्रे*🙏