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जीवन के उत्थान के लिये विनय, विवेक व धैर्य रखना आवश्यक- मुनि श्री संयतसागरजी

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर २१ मार्च ;अभी तक;  अष्टान्हिका पर्व में महावीर जिनालय नया मंदिर में चल रहे दस दिवसीय श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान महामहोत्सव के पांचवे दिन पूज्य मुनि श्री संयतसागरजी महाराज ने विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सिद्धचक्र पूजन की महिमा को जिसने जान लिया वह मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। हम भगवान आदिनाथ व महावीर के वंशज हैं, हमें वो कार्य करने हैं जिससे समाज का उत्थान हो व धर्म ध्वजा और ऊँची उठे।
                     मुनिश्री ने कहा कि मनुष्य आज तक संसार में भोग भोगते हुए भी दुखों से संतप्त है। केवल भगवान जिनेन्द्र का मार्ग ही संसार सागर की पीड़ा से छूटकारा दिला सकता है।
                           मुनिश्री ने कहा पर को सर्वस्व मानकर निज की ओर दृष्टिपात नहीं करने से परम अवस्था प्राप्त नहीं हो सकती। जीवन के उत्थान के लिये विनय, विवेक और धैर्य रखना आवश्यक है। आगम के वस्तु स्वरूप को समझना है तो तत्व के महत्व को समझना होगा।
प्रारंभ में मंगलाचरण मुनिश्री शीलसागरजी महाराज ने किया।
मुनिश्री प्रशमसागरजी महाराज व साध्यसागरजी ने भी संबोधित किया।
शांतिधारा का लाभ सुधीर अजमेरा, डॉ. राजकुमार बाकलीवाल, संतोष डोसी व मंजू झांझरी इंदौर, लीला, इंदू व मंजूदेवी भीलवाड़ा, मैनादेवी उदयपुर व संयम सोनी भीलवाड़ा को प्राप्त हुआ।
डॉ. चंदा भरत कोठारी ने बताया कि मुनिश्री के पाद प्रक्षालन पवनकुमार अभयकुमार अजमेरा ने किए, श्रीमती सुनिता अजमेरा ने जिनवाणी भेंट की।
सैकड़ों की संख्या में उपस्थित धर्मालुजनों ने भगवान के समक्ष 128 अर्ध समर्पित किए। पं. अरविन्द जैन द्वारा समस्त मंगल क्रियाएं सम्पन्न कराई गई।
श्री आनन्द जैन शास्त्री व श्रीमती अर्चना कोठारी ने पूजन का वाचन किया। महिला पुरूषों ने केसरिया वस्त्रों में मुकुट माला धारण कर इन्द्र इन्द्राणी के रूप में विधान में सहभागिता की। अत्यन्त भक्तिभाव से सैकडो श्रद्धालुओं ने  विधानपूजन में भाग लिया।
समारोह में सर्वश्री शांतिलाल बड़जात्या, जयकुमार बड़जात्या, भरतकुमार कोठारी, पारस बाकलीवाल, कमल विनायका, राजेश बड़जात्या, जितेन्द्र कोठारी, संजय गोधा, सुरेश पंड्या, सूरजमल जैन, राजेश जैन, महेश जैन, पद्म पहाड़िया आदि बड़ी संख्या में समाजजनों ने उपस्थित होकर धर्मलाभ लिया।
डॉ कोठारी ने बताया प्रतिदिन प्रातः 7 बजे से जिनेन्द्र देव के अभिषेक शांतिधारा के साथ विधान की क्रियाएं प्रारंभ हो रही हैं,9 बजे मुनिराजों के प्रवचन,, दोपहर 3.30 बजे द्रव्य संग्रह ग्रन्थ का मुनि श्री द्वारा स्वाध्याय,शाम 7 बजे से आरती भक्ति प्रवचन व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है।

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