टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र जीतने के जतन में बीजेपी और कांग्रेस
रवीन्द्र व्यास
देश के पहले आम चुनाव 1952 में टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आ गया था | इसमें टीकमगढ़ ,छतरपुर और दतिया जिले की विधानसभा क्षेत्र को सम्मलित किया गया था | १९५७ से १९७१ तक बाद में २००९ से अब तक यह अपने भौगोलिक परिवर्तन के साथ यह लोकसभा क्षेत्र अजा के लिए सुरक्षित रहा | 2024 के चुनाव में बीजेपी ने चौथी बार डॉ वीरेंद्र खटीक , केंद्रीय मंत्री को प्रत्यासी बनाया है , जबकि कांग्रेस ने इस बार फिर परिवर्तन कर पंकज अहिरवार को प्रत्यासी बनाया है मध्य प्रदेश का टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र समृद्ध सांस्कृतिक क्षेत्र के साथ ही प्रमुख धार्मिक क्षेत्र भी माना जाता है | अपनी ऐतिहासिक विरासत के साथ यह वह क्षेत्र है जहां सर्वाधिक चंदेल कालीन तालाब हैं | टीकमगढ़ का नामकरण यहां के पुराने गाँव टिहरी के नाम पर हुआ था | माना जाता है कि जब अयोधया से रामलला ओरछा आ गए और वहां के महल में विराज मान हो गए तब , 1783 ई ओरछा के शासक विक्रमजीत सिंह बुंदेला (1776 – 1817 ई.) ने ओरछा से अपनी राजधानी टेहरी (जिला टीकमगढ़ में) स्थानांतरित कर दी थी। टीकमगढ़ नाम, टीकम (श्री कृष्ण का एक नाम) से पड़ा |
टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र 195१ में ही अस्तित्व में आ गया था | तब यह क्षेत्र छतरपुर टीकमगढ़ और दतिया को मिलाकर एक लोक सभा क्षेत्र बना था | राज्य पुनर्गठन के बाद १९५७ में यह क्षेत्र दो सांसदों वाला बना एक अजा और एक सामान्य वर्ग से चुना गया | यहां से कांग्रेस के पं राम सहाय तिवारी सामान्य प्रत्यासी के तौर पर जबकि मोतीलाल मालवीय (अजा ) के प्रत्यासी के तौर पर चुनाव जीते | १९६२ में टीकमगढ़ (सु) लोकसभा क्षेत्र बन गया ,१९६२ से १९७१ तक यह अजा के लिए सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र रहा |
1977 के लोकसभा चुनाव में परिसीमन के बाद इसे खजुराहो लोकसभा क्षेत्र के नाम से फिर एक बार पहचान मिली | जिसमे टीकमगढ़ की चारों विधानसभा क्षेत्रो के साथ छतरपुर जिले की चार विधानसभा क्षेत्रों को जोड़ा गया | ये चुनाव आपात काल के बाद के चुनाव थे , देश की राजनीति में एक बड़े परिवर्तन का सूत्रपात हुआ था | 1977 से २००४ तक यह क्षेत्र खजुराहो लोक सभा क्षेत्र का हिस्सा रहा |
२००८ में परिसीमन के बाद एक बार फिर टीकमगढ़ (सु) लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आ गया | 2009 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 तक के चुनाव में सागर निवासी बीजेपी प्रत्यासी डॉ वीरेंद्र खटीक लगातार चुनाव जीतते रहे , पार्टी ने २०२४ के चुनाव के लिए भी उन्हें ही प्रत्यासी बनाया है |
टीकमगढ़ वह लोक सभा क्षेत्र है जहां बड़े क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिले | सुविख्यात साहित्यकार पं बनारसीदास चतुर्वेदी की कर्म स्थली भी टीकमगरह जिले की रही है | उन्होंने ही सर्व प्रथम पृथक बुंदेलखंड राज्य की अलख जगाई थी | उनकी यह अलख भले ही मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में शांत हो पर उत्तर प्रदेश में अभी भी ज्वाला बनी है | टीकमगढ़ के डूंडा गाँव की साध्वी उमा भारती यहां से तब सांसद बनी जब यह क्षेत्र टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था | वे १९८९, से १९९८ के दौरान हुए चारों लोकसभा चुनाव जीती | और जब वे २००८ के विधानसभा चुनाव में टीकमगढ़ से चुनाव लड़ने आई तो यहां वे कांग्रेस के यादवेंद्र सिंह से पराजित हो गई | यहाँ के सर्वोदय नेता चतुर्भुज पाठक को लोग आज भी भूले नहीं हैं , गांधी जी के अनुयाई पाठक जी ने उस दौर में सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ाया था जब छुआ छूत जैसी घटनाये चरम पर थी | उनके बढ़ते प्रभाव को देख कर उनकी ह्त्या कर दी गई थी | कहते हैं इसकी सीआईडी जांच भी हुई थी बाद में वह जांच की फ़ाइल ही गायब हो गई थी | उनकी इस ह्त्या में कांग्रेस के ही एक नेता का नाम आया था |
बदलते सियासी समीकरण :
आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव के बाद से देश के साथ बुंदेलखंड इलाके में भी सियासी समीकरणों का दौर बदल गया था | कांग्रेस हाशिए पर पहुँच चुकी थी , पर दिलचस्प ये है कि जिस इलाके में समाजवादी तंत्र का अच्छा खासा प्रभाव था वह भी हाशिये पर पहुंच गए | 1957 में जनसंघ के नाथूराम (अजा ) से चुने गए ,इस चुनाव में समाजवादी पार्टी पीएसपी ने भी अच्छे खासे मत प्राप्त किये || 1962 में पीएसपी के कूरे माते चुनाव जीते | 1967 और 1971 में कांग्रेस के नाथूराम चुनाव जीते , पर 1967 में जहां समाजवादी उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहा वह 1971 में तीसरे स्थान पर पहुँच गया | 1977 से 2004 तक के लोकसभा चुनाव में यह क्षेत्र खजुराहो लोकसभा क्षेत्र रहा | यह वह दौर था जब देश में एक तरह से राजनैतिक अस्थिरता देखने को मिली थी | इन 27 वर्षों में 9 बार लोकसभा चुनाव हुए | 2009 में जब टीकमगढ़ (सु) सीट बनी तो बीजेपी ने सागर के सांसद डॉ वीरेंद्र खटीक को प्रत्यासी बनाया था | इस चुनाव में उन्हें 16. 54 फीसदी मत मिले थे जबकि कांग्रेस के वृंदावन अहिरवार को १३. 08 फीसदी मत मिले थे | 2014 के चुनाव में बीजेपी को 27. 67 फीसदी जबकि कांग्रेस के अहिरवार कमलेश वर्मा को 14. 01 फीसदी मत मिले थे | 2019 के चुनाव में बीजेपी के डॉ खटीक को 61. 26 फीसदी मत लेकर कांग्रेस की श्रीमती किरण अहिरवार ( 29. 54 %)को लगभग ५० फीसदी मतों के अंतर से हराया था | पिछले तीन लोक सभा चुनाव के टीकमगढ़ के समीकरण बताते हैं कि हर चुनाव में बीजेपी के डॉ वीरेंद्र खटीक का ग्राफ बड़ा है | 2009 के चुनाव में जरूर सपा ने 6.67 फीसदी वोट लेकर अपनी बड़ी उपस्थिति दर्ज कराई थी उसके बाद के दोनों चुनाव में वह लगभग ३ फीसदी वोटों पर सिमट गई |
२०२३ के विधानसभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र की आठ में से तीन विधानसभा क्षेत्र टीकमगढ़ ,खरगापुर और पृथ्वीपुर में कांग्रेस का कब्जा है जबकि पांच पर बीजेपी का कब्ज़ा है | जिन सीटों पर कांग्रेस जीती भी है उसमे से कोई भी ऐसी नहीं है जो जहाँ उसने पांच फीसदी से जायादा मतों के अंतर से बीजेपी को शिकस्त दी हो |
2024 के चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं | बीजेपी ने चौथी बार केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार खटीक को प्रत्याशी बनाया है | कांग्रेस ने अनुसूचित जाती प्रकोष्ट के प्रदेश उपाध्यक्ष पंकज अहिरवार को प्रत्याशी बनाया है | टीकमगढ़ के मूल निवासी पंकज अहिरवार ने जमीनों के कारोबार से सियासत का सफर शुरू किया था | विधानसभा चुनाव में उन्होंने जतारा से टिकट माँगा था , किन्तु कांग्रेस ने वहां से किरण अहिरवार को प्रत्याशी बनाया था | उनके साथ अच्छी बात ये है कि स्थानीय स्तर पर वे कांग्रेस की गुटबाजी से दूर हैं |
2024 का चुनाव :
मध्य प्रदेश की अजा के लिए सुरक्षित संसदीय क्षेत्र टीकमगढ़ पर पिछले तीन चुनाव से बीजेपी का बर्चस्व यथावत है.| यहां से बीजेपी के वीरेंद्र कुमार खटीक चौथी बार मैदान में हैं | केंद्र सरकार में मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक को वर्तमान में हराना कांग्रेस के लिए आसान नहीं माना जा रहा है | इस बार सियासी समीकरणों में कांग्रेस को सपा का साथ तो जरूर मिलेगा पर वह इस स्थिती में नहीं मानी जा रही कि बड़ा परिवर्तन करा सके | मोदी लहर के चलते कांग्रेस के यह सीट जीतना आसान भी नहीं माना जा रहा है |