दशपुर रंगमंच द्वारा आयोजित ‘‘नग्मे शैलेन्द्र के’’ में गायकों ने गीतों से समां बांधा

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर १५ मई ;अभी तक;  दशपुर रंगमंच द्वारा प्रसिद्ध कवि एवं फिल्मी गीतकार शैलेन्द्र की याद में ‘‘नग्मे शैलेन्द्र के’’ कार्यक्रम आयोजित किया गया।
                     प्रारंभ में फिल्म निर्देशक राकेश राठौर, असद अंसारी, व सभी कलाकारों ने माँ सरस्वती के चित्र पर मार्ल्यापण किया। शुरुआत में आबिद भाई ने मेरा नाम जोकर फिल्म का गीत ‘‘जीना यहां मरना यहां’’ गाया। आरक्षक नरेन्द्र सागोरे ने सदाबहार गीत ‘‘किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसीका दर्द मिल सके तो ले उधार’’ गाकर जीवन का फलसफा प्रस्तुत किया। भरत लखवानी ने ‘‘गाता रहे मेरा दिल तू ही मेरी मंजिल’’ गीत गाया। सतीश सोनी ने ‘‘खोया-खोया चांद खुला आसमान आंखों में सारी रात जायेगी’’ की शानदार प्रस्तुती दी।
लोकेन्द्र पांडे ने संगम फिल्म का गीत ‘‘मेरे मन की गंगा और तेरे मन की जमना का बोल राधा, बोल संगम होगा के नहीं’’ प्रस्तुत कर सभी को साथ गुनगुनाने हेतु मजबूर कर दिया। नन्दकिशोर राठौर ने जिस देश में गंगा बहती है फिल्म का गीत ‘‘आ अब लोट चले’’ तथा स्वाती रिछावरा ने गाइड फिल्म का गीत ‘‘आज फिर जीने की तमन्ना है, आज फिर मरने का इरादा है’’ गाकर संगीत संध्या को आगे बढ़ाया।
हिमांशु वर्मा ने रूमानी गीत ‘‘दिल तड़त-तड़प के कह रहा है आ भी जा, तू हमसे आंख न चुरा’’ गीत गाया। चेतन व्यास ने ‘‘अजीब दास्तां है कहां शुरू कहां खत्म’’  गीत की सुमधुर प्रस्तुति दी। ललिता मेहता ने तीसरी कसम फिल्म का गीत ‘‘दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई, काहे को दुनिया बनाई’’ गीत गाकर प्रभु से संगीत के माध्यम से शिकायत की। राजा भैया सोनी, डॉ. कमल संगतानी व रोहित छाबड़ा ने अपने आवाज में नग्मे प्रस्तुत किये।
कार्यक्रम के दौरान मातृदिवस के उपलक्ष्य में अभय मेहता ने माँ के उपर स्वरचित कविता पढ़ी। जिससे सभागार मार्मिक हो गया। कार्यक्रम का संचालन अभय मेहता ने किया। आभार ललिता मेहता ने माना।