दादाजी घाम में मना गुरूपूर्णिमा उत्सव: उमडा आस्था का जनसैलाब

मयंक शर्मा

खण्डवा ३ जुलाई ;अभी तक;  भज लो दादाजी का नाम.., भज लो हरिहर जी के नाम.. के स्वरों  से इन दिनों समूचा जिला के मार्ग गुजायमान है।  हरिनम जपते हुए यहां मंदिर पहुंचे है।दादाजी धूनीवाले का इकलौता ऐसा दरबार, जहां गुरु-शिष्य की एक साथ समाधि है। इसलिए यहां गुरु पूर्णिमा का महत्व बढ़ जाता है।मंदिर में चमत्कारी एव  अवधूत संत श्री केशवानंद महाराज (बड़े दादाजी) और श्री हरिहरानंद महाराज (छोटे दादाजी) की समाधि के साथ ही 1930 से अखंड प्रज्वलित धूनी और मां नर्मदा की प्रतिमा विराजमान है।

खंडवा में गुरुपूर्णिमा पर्व को लेकर उत्साह है।ट्सटी सुभाष नागोरी ने बताया कि उदया तिथि को लेकर इस बार गुरुपूर्णिमा उत्सव दादाजी दरबार में रविवार याने  मुख्य दिवस 2 जुलाई है जबकि देश में गुरूपूर्णिमा  3 जुलाई को मनाया जाएगा। मुख्य दिवस 108 दीपक से रात 8.30 बड़ी आरती की जाएगी। श्री दादाजी मंदिर में आकर्षक विद्युत सज्जा की गई है। मंदिर को यलो टोन वार्म लाइट की सीरीज से सजाया है। शुक्रवार को बड़े व छोटे दादाजी मंदिर सुनहरी रोशनी से जगमगा उठे। मंदिर की विद्युत सज्जा भक्तों को आकर्षित कर रही है।
हर साल की तरह इस बार भी देशभर से लाखों श्रद्धालु गुरु पूर्णिमा (3  जुलाई)के मौके पर दर्शन करन भी े पहुंच रहे हैं। तीन दिवसीय उत्सव के दूसरे  दिन आज रविवार को श्रद्धालुओं का समाधि पर  मत्था टेकने वालों का तांता लगा  रहा। देर रात तक करीब झाई लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने सिर नवाजा। दादाजी ट्स्ट के ट्स्टी सुभाष नागोरी ने बताया कि उत्सव समाप्ति तक करीब 4 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के समाधि पर  पहुंचने के आसार है।ैैयहां दर्शन के लिए दर साल महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात मुंबई सहित देश प्रदेश के विभिन्न स्थानों से श्रद्धालु पहुंचते है।

मेला आरंभ होते ही नगर में दादाजी सेवा का उत्साह और अद्भुत जुनून लोगों में देखने को मिल रहा है। कुली, हम्माल से लेकर छोटा-बड़ा हर व्यापारी अपना कारोबार बंद करके सेवा में जुट गया है। बाहरी श्रद्धालुओं से बगैर कोई पैसा लिए सम्मान के साथ जलपान से लेकर मालपुआ व भोजन तक खिलाया जा रहा है।सेवा सुश्रुआ का अनूठा परिदृश्य देखकर मेहमान भी आश्चर्य में है।

खंडवा के श्री दादाजी धूनी वाले मंदिर में तीन दिवसीय गुरु पूर्णिमा उत्सव शनिवार से शुरू हो चुका है।
दादाजी की समाधि पर दिन में चार समय भोग लगाया जा रहा है। वहीं बाहर से आने वाले श्रद्धालु, नर्मदा परिक्रमावासियों और सेवादारों के लिए बड़े भंडार में सुबह-शाम टिक्कड़ और दाल की प्रसादी बनाई गई है। मेले के दौरान पूरा शहर दादाजी भक्तों की सेवा में जुट गया है। लोगों के मन में देने वाले दादाजी और पाने वाले दादाजीश् का भाव देखने को मिल रहा है। यही वजह है कि लाखों लोगों के आने के बावजूद दादाजी की नगरी से कोई भी श्रद्धालु भूखा नहीं लौटता।

असगन्ुकों के लिये  जगह-जगह भंडारों के लिए पंडाल  हैं। 200 से ज्यादा भंडारों में प्रसादी के रूप में दिल्ली की चाट, डोसा, मालपुआ के अलावा चाय मैंगो शेक, फालूदा और आइसक्रीम के साथ  फलहारी दिया जा रहा है। इसके अलावा चाय, पोहे, मिठाई, सब्जी-पूड़ी, दाल बाफला सहित भरपेट भोजन कराने की व्यवस्था भी की गई है। खंडवा देश का पहला ऐसा शहर है, जहां पर्व पर तीन दिन सराफा बाजार बंद रखा जाता है। केसरिया ग्रुप ने 27 साल पहले यहां भंडारा शुरू किया था। तीन दिन तक यहां भक्तों को बैठाकर पुड़ी-सब्जी, खिचड़ी, कढ़ी और नुक्ति प्रसादी खिलाई जाती है। खास बात यह है कि खंडवा में प्रत्येक गुरुवार साप्ताहिक अवकाश रखा जाता है,जबकि अधिकांश शहरों में यह रविवार को होता है। मंदिर में दादाजी के समय शुरू किया भंडारा अब भी  निरंतर जारी है। प्रतिदिन सुबह 11 बजे और शाम 7.30 बजे 150 से 200 श्रद्धालु प्रसादी ग्रहण करते हैं। दादाजी के भक्तों की संख्या हर साल बढ़ रही है।

उन्होने बताया कि  प्रज्वलित अखंड धूनी माता की तरह मंदिर के भंडार में प्रसादी बनाने के लिए चूल्हा पिछले 93 साल से निरंतर जल रहा है। ट्रस्टी सुभाष नागौरी बताते है, दादाजी की समाधि के लिए जिस चूल्हे पर प्रसादी बनाई जाती है, उसकी अग्नि 1930 से सतत प्रज्वलित है। शनिवार को छिंदवाड़ा से लगे पांढुर्ना से श्रद्धालुओं का पैदल जत्था खंडवा आता है। हर साल गुरुपूर्णिमा पर आने वाले श्रद्धालु 300 किलोमीटर की पदयात्रा करते हैं। इसमें बच्चे, युवा और बुजुर्ग भी शामिल होते हैं। पैरो में छाले पड़े या फिर कोई भी परिस्थिति हो, गुरु पूर्णिमा के एक दिन पहले ही पदयात्रा दादा दरबार पहुंच जाते है। पांढुर्ना से रथ लेकर निकले मनोहर अमरकर (65) ने बताया कि परिवार में सबसे पहले उनके दादा ने धूनीवाले दादाजी के दर्शन की परंपरा शुरू की थी। इसी परंपरा का निर्वहन के लिये इससाल भी शुक्रवार को यह जत्था  खंडवा से सटे जसवाड़ी गांव से निकला तो तेज बारिश शुरू हो गई। लेकिन इसके बाद भी श्रद्धालुओं के कदम नहीं रूके। भज लो दादाजी का नाम, भज लो हरिहर जी के नाम जपते हुए वे निशान लेकर मंदिर पहुंचे है।

किवद्धंती है कि सन् 1936 में श्रद्धालुओं को कुछ लोगों ने बड़े दादाजी की समाधि स्थल तक जाने में रोड़े अटकाए थे तो छोटे दादाजी ने मोर्चा संभाला। विवाद के दौरान पुलिस अफसरों ने वहां फायरिंग भी की थी। यह केस कोर्ट- कचहरी तक पहुंचा। जेल के अंग्रेज अफसर छोटे दादाजी को जिला जेल अपने साथ ले गए। दादाजी के सानिध्य से ही अंग्रेज अफसर उनके सामने नतमस्तक हो गए।यह मामला धूनी फायर केस के नाम से चर्चित रहा है। जिस छह नंबर की बैरक में छोटे दादाजी रहे थे, वह आज भी उनकी याद में बैरक के अंदर पूजा घर  है। इसीलिए जेल के इस हिस्से को दादाजी वार्ड नाम दिया है। जहां बंदी और जेल अधिकारी पूजा भी करते हैं।
बड़े दादा केशवानंद जी महाराज का जन्म नरसिंहपुर जिले के सांईखेड़ा में हुआ था।माना जाता है उन्होने े साईंखेड़ा में कई चमत्कार दिखाए। 1930 में खंडवा आ गए। नर्मदा परिक्रमा सहित कई धार्मिक यात्राएं कीं। खंडवा में उनकी समाधि को लेकर कहा जाता है कि यहां के निवासियों के सेवा जज्बे को देखते हुए दादाजी ने खंडवा में समाधि ली। व्यवसायिकता के दौर में आज भी मंदिर परिसर में कुछ ही  दुकानें हैं। उत्सव के दूसरे दिन रविवार को सुबह 4 से 5 बजे तक समाधि स्नान कराया गया। 5 से 5.30 बजे तक मंगल आरती की गई। 7.30 से 9.15 बजे के बीच पूजन और बड़ी आरती संपन्न हुआ। सुबह 9.30 से 10 बजे तक समाधि सेवा की गई।इसके बाद दोपहर 4 से 5 बजे तक स्नान, शाम 5 से 5.30 बजे तक छोटी आरती, रात 7.30 से 9.15 बजे तक बड़ी आरती, रात 9.30 से 10 बजे तक समाधि सेवा होगी।पर्व दिवस होने से नियमित कार्यक्रमों के साथ समाधियों का अभिषेक दोपहर 3.30 से 5 बजे तक व  श्री सत्यनारायण भगवान की कथा शाम 6 से 7 बजे तक क गई।
ट्रैफिक सूबेदार ने बताया कि बड भीड को देखते े मुख्य मार्ग एवं बाजार में ट्रैफिक पुलिस ने फोर व्हीलर्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के चलते पूरे शहर में पुलिस बल तैनात  है। दादाजी मंदिर परिसर में 65 सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है।मंदिर  सेवादार रोचक नागौरी, ने बताया ं कि गेट नंबर 6 पर फेस डिटेक्शन एंड पीपुल्स काउंटिंग कैमरा भी लगा है। गेट से गुजरने वाले हर एक शख्स की फोटो क्लिक होगी। सुरक्षा के लिहाज से मंदिर समेत पूरे शहरभर में 150 सीसीटीवी कैमरों से पुलिस निगरानी रख रही है।
खंडवा में गुरुपूर्णिमा पर्व को लेकर उत्साह है। श्री नागोरी ने बताया कि उदया तिथि को लेकर इस बार गुरुपूर्णिमा उत्सव का मुख्य दिवस 2 जुलाई रहा  जबकि देश में 3 जुलाई रको मनाया जाएगा। 108 दीपक से रात 8.30 बड़ी आरती मेें बढी संख्या मेंलोगोंने भागलिया।पर्व के दौरान डीजे साउंड पर पाबंदी लगा दी गई । अपर कलेक्टर (एडीएम) काशीराम बडोले ने इस संबंध में आदेश जारी किएथे। तर्क दिया कि स्टॉल व भंडारे वालों के द्वारा श्रद्वालुओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तेज ध्वनि में डीजे साउंड बजाया जाता है, बार-बार एलाउंस किया जाता है। इससे श्रद्वालुओं को काफी तकलीफ होती है, यही नहीं ये डीजे साउंड पुलिस व प्रशासनिक सुरक्षा में भी बाधक बनते है।
एडीएम काशीराम बड़ोले ने बताया कि गुरूपूर्णिमा का पर्व 1 जुलाई से 4 जुलाई तक परंपरागत तरीके से भीड होगी।  लाखों की तादाद में धुनीवाले दादाजी के दर्शनार्थ भक्तगण खंडवा आते है। भक्तगणों के स्वागत में शहर को जोड़ने वाली चारों दिशाओं के मार्ग तथा खंडवा शहर के मुख्य मार्गाे पर विभिन्न स्टाल जैसे चाय, नाश्ते, पोहा, जलेबी, हलवा-पुडी, सागपुरी आदि के स्टॉल लगते है।
पर्व को लेकर खंडवा नगर निगम क्षेत्र के लिए एसडीएम अरविंद चैहान को विहित प्राधिकारी ा है।दादाजी धूनीवाले  मंदिर एक बार फिर लाखों भक्तों की आस्था के सैलाब में सराबोर है.। दादा जी के अनुयाई विदेशों में भी हैं. । देश-विदेश से आने वाले भक्तों को ध्यान में रखते हुए मंदिर ट्रस्ट 3 दिन तक गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाता है।ं दादाजी धूनीवाले की समाधि पर मत्था टेकने आने वाले आगन्तुको के लियें. खास बात यह है कि इन श्रद्धालुओं के लिए पूरा शहर मेजबानी करता है.। जगह-जगह निशुल्क भंडारे और सेवा के कार्य खंडवा के लोगों की ओर से किए जाते हैं.

बता दें कि अवधूत संत केशवानंद महाराज ने 1930 में तथा शिष्य हरिहर जी के ां 1941 में निधन के बाद एक ही परिसरमें इनकी समाधि है। गुरु शिष्य परंपरा की अनोखी मिसाल पेश करने वाले इस मंदिर में देश भर से श्रद्धालु आते हैं. इस मंदिर में ना तो कोई पंडा पुजारी व्यवस्था है और ना ही इस मंदिर के दरवाजे कभी बंद होते हैं.। समाधि के सामने जलने वाली धूनी में ही सब कुछ स्वाह किया जाता है।
दादाजी मंदिर के प्रमुख ट्रस्टी सुभाष नागौरी ने कहा कि इस मंदिर में दो समाधि एक केशवानंद महाराज की और दूसरी उनके शिष्य और भाई हरिहरानंद महाराज की हैं।. दोनों ही अवधूत संत थे. ।नग्न अवस्था में रहते थे. पवित्र नदी नर्मदा के किनारे वर्षों तक आराधना की और आध्यात्मिक शक्ति के बल पर ही वह पूजे जाने लगे.।
देश विदेश तक उनके अनुयाई फैले हैं. गुरु पूर्णिमा के मौके पर वह अपनी मुरादे लेकर आते हैं. मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से कई समूह सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हुए यहां पहुंचते हैं, जिसमें महिलाएं और बच्चे भी होते हैं.।पूरे देश में खंडवा का यह मंदिर ही एकमात्र ऐसा स्थान है, जो 24 घंटे खुला रहता है. यहां कोई पंडा पुजारी नहीं होता है. श्रद्धालु स्वयं चादर चढ़ाते हैं, दर्शन करते हैं और प्रसाद पाकर निकल जाते हैं.। दादाजी की समाधि के सामने अनवरत जल रही धूनी ही उनकी शक्ति मानी जाती है.  श्रद्धालु भी इसी धूनी में सब कुछ स्वाहा कर देते हैं.। खासकर सूखा नारियल ही इस धूनी में अर्पण किया जाता है. पीढ़ियों से इस मंदिर में सैकड़ों किलोमीटर चलकर पैदल आने वाले अनुयाई उन्हें आज के युग का भगवान मानते हैं. ।यहां प्रज्वलित अखंड धूनी 93 सालों से निरंतर जल रही है.। धूनी में से निकलने वाली भभूत को आज भी लोग प्रसाद की तरह ग्रहण करते हैं.