नई मिलिंग नीति से राइस मिलर्स में नाराजगी, सौंपा ज्ञापन

मोहम्मद सईद
शहडोल, 29 नवंबर अभी तक। शासन द्वारा धान उपार्जन वर्ष 2023-24 की जो मिलिंग नीति लागू की गई है उसे लेकर राइस मिलर्स में नाराजगी व्याप्त है। अपनी कई मांगों को लेकर शहडोल राईस मिल एसोसियेशन के अध्यक्ष मोहम्मद जकरिया के नेतृत्व में राइस मिलर्स ने कलेक्टर श्रीमती वंदना वैद्य को एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में मांग की गई है कि मिलिंग हेतु शासन द्वारा जो नीति जारी की गई है उसकी विसंगतियां को दूर किया जाना आवश्यक है। ज्ञापन में इस बात का भी उल्लेख किया गया है, कि 28 नवंबर को शहडोल राईस मिल एसोसियेशन की मिटिंग में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि जब तक पालिसी में संशोधन नही किया जाता तब तक मिलिंग अनुबंध नही किया जाए। ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि जिला प्रबंधक शहडोल की स्थाई पदस्थिति एंव लेखापाल शहडोल की भी स्थाई पदस्थिति। जब तक शहडोल के 4 मिलो पर की गई एफ.आई.आर निरस्त नहीं की जाती तब तक कोई भी मिलर मिलिंग अनुबंध नही करेगा।
इस कंडिका पर है आपत्ति
                                     ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि जारी की गई नीति के बिन्दु कमसंक 13.13 के अनुसार विभाग द्वारा मिलर्स को मिलिंग हेतु दी गयी धान के मिलान हेतु प्रति माह मिलर्स की मीलो का नैतिक सत्यापन करवाया जाएगा एवं प्रदाय की गई धान का मिल में उपलब्ध धान, चावल के स्टॉक के मिलान में यदि फर्क आता है तो मिलर्स से धान की लागत मूल्य का 5 गुना पेनाल्टी (लगभग 60 लाख रुपये प्रति लॉट) वसूल किया जाएगा, साथ ही मिलर्स के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण अर्ज किया जाएगा। इस संबंध में आग्रह है कि शासन द्वारा मिलर्स को जो धान दी जाती है उसमें 1 लॉट की धान 433 किवन्टल के बदले मिलर्स से 290 क्विंटल चावल लिया जाता है जबकि वास्तविकता यह है कि 1 लॉट धान की मिलिगं करने पर शासन के मापदंड के अनुरूप अधिकतम 160 क्विंटल चावल निकलता है। शेष खंडा, रिजेक्टशन निकलता है जिसको बेचकर मिलर्स बाहर से चावल खरीदकर लॉट को पूरा करता है। इस बात की प्रमाणिकता हेतु शासन चाहे जो जिले में उपार्जित की जाने वाली धाकी टेस्ट मिलिंग करवाकर देख सकता है। क्योकि खंडे को शासन मान्यता नही देता है और फिर मिलर अपराधी की श्रेणी में आ जाता है। वर्ष 2022-23 की मिलिंग में इन्ही कारणो से प्रदेश के अनेक जिलों में मिलर्स को दोषी मानकर आपराधिक प्रकरण दर्ज किए गये हैं, इसलिए इस कंडिका को हटाया जाना न्यायोचित होगा।
                                  कंडिका क्रमांक 11.8 के अनुसार मिलर्स को मिलिंग के पश्चात् दी जाने वाली मिलिंग, प्रोत्साहन एवं अपग्रेडेशन राशि के संबंध में मिलर्स द्वारा की गई विद्युत खपत का नियम रखा गया है। इसके अंतर्गत आग्रह है कि जिन मशीनो में अधिक भार का विद्युत कनेक्शन लिया जाता है, उनमें अधिक पोलिशर एंव सिल्की पोलिशर होने की वजह से विद्युत खपत अधिक आती है। जबकि कम विद्युत भार वाले प्लान्टो में पोलिशर एंव अन्य मशीने कम होने की वजह से बिजली की खपत कम आती है, इसलिये विद्युत खपत गणना छोटे प्लांट में 1 यूनिट प्रति क्विन्टल किया जाना न्यायोचित है।
इस तरह का शुल्क उचित नहीं
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि मिलर्स को मिलिंग पर दी जाने वाली अपग्रेडेशन राशि गत वर्ष के समान अनुबंध के समय ही 50, 100, 200 रुपये प्रति क्विंटल दिये जाने संबंधी आदेश मिलिंग नीति में शामिल किया जाना चाहिये। जारी की गई पॉलिसी के बिन्दु कमांक 3.1 एवं 32 अनुसार पुराने दिनांक 28/11/2023 से पंजीयन का नवीनीकरण शुल्क 5000 एवं नए मिलर्स से पंजीयन शुल्क 10000 निर्धारित किया गया है, जो कि न्यायोचित नहीं है विगत वर्षों में ऐसा कोई शुल्क विभाग द्वारा नहीं लिया जाता था अतः इस कंडिका को समाप्त करने का कष्ट करें। शहडोल जिले में मिलिंग में एफ. आर.के चावल की उपलब्धता विभाग द्वारा कराई जानी चाहिए। मिलरो द्वारा स्वंय खरीद कर विगत वर्षों में एफ. आर.के चावल लाया मिलिंग वर्ष 2023-24 में एफ. आर. के चावल की उपलब्धता विभाग द्वारा कराई जावे एंव गुणवत्ता से संबंधित निराकरण विभाग द्वारा ही कराया जावे मिलर द्वारा एफ.आर. के चावल नही बनाया जाता है इस कारण गुणवत्ता से संबंधित कार्यवाही विभाग की जिम्मेवारी होगी।
लंबित भुगतान कराया जाए
ज्ञापन में बताया गया है कि वर्ष 2022-23 में मिलिंग का कार्य सभी मिलर्स द्वारा सितम्बर 2023 में पूर्ण कर लिया गया था, जिसके भुगतान आज दिनांक तक अतिशेष है जिस हेतु पूंजी न होने के कारण इस वर्ष की मिलिंग करने में मिलर्स को कठिनाईयों का समाना करना पड़ सकता है। अतः 2023-24 की
मिलिंग प्रारम्भ होने से पहले वर्ष 2022-23 का सम्पूर्ण भुगतान कराया जाए। ज्ञापन सौंपते वक्त शहडोल राईस मिल एसोसियेशन के अध्यक्ष मोहम्मद जकरिया सहित जिले भर के राइस मिल के संचालक उपस्थित रहे।