प्रदेश

पत्रकारों के साथ पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही को लेकर नेता प्रतिपक्ष नें मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

दीपक शर्मा

पन्ना २७ अक्टूबर ;अभी तक ;  प्रदेश में लगातार पत्रकारों के साथ अधिकारीयों द्वारा वास्तविक खबरें प्रकाशित करने को लेकर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। जिसकों लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार नें मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर मामलों की निश्पक्ष जांच करने तथा दोषी अधिकारीयों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की गई है।

पत्र में उन्होनें उल्लेख करते हुए लेख किया है कि मुझे विदित हुआ है कि नर्मदापुरम जिले की कलेक्टर सोनिया मीणा और पन्ना जिले के एक पुलिस सब इंस्पेक्टर ने लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकारों के साथ अपनी मर्यादा से बाहर जाकर दुर्वयवहार और अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है। कलेक्टर नर्मदापुरम ने भोपाल के दो पत्रकारों कुलदीप सिंगोरिया और अभिषेक दुबे के साथ अपनी व्यक्तिगत कुंठा निकाली और उन्हें झूठे मामलों में उलझाया। यहां तक कि उनके परिजनों तक पर कार्यवाही की गई।

पहली घटना कुलदीप सिंगोरिया के साथ घटी। वे भोपाल में एक वेबसाइट श्खास खबरश का संचालन करते हैं। कलेक्टर सोनिया मीणा उनसे इसलिए नाराज हुई कि उन्होंने खाद लेने पहुंचे किसानों पर लाठीचार्ज की खबर दिखाई थी, जो सोनिया मीणा को रास नहीं आई। इसलिए उन्होंने कुलदीप सिंगोरिया को फंसाने की कोशिश की, पर जब सफल नहीं हुई, तो उनकी बहन जो नर्मदापुरम जिले में आंगनवाडी कार्यकर्ता है उसे अपने अफसरों से परेशान किया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी करवाया। निरर्थक जांच कर रात 10 बजे प्रशासनिक अमले ने गांव पहुंचकर परिवार को नोटिस थमाया।

दूसरी घटना, भोपाल में श्नारद मुनिश् वेबसाइट चलाने वाले अभिषेक दुबे के साथ हुई। उनके खिलाफ तो कलेक्टर ने मानहानि का केस दायर कर रखा है। हाल ही में कलेक्टर ने नर्मदापुरम कोर्ट के जरिए अभिषेक दुबे की जमानत रद्द कर उन्हें जेल भेजने के लिए भी नोटिस जारी करवाया है। दोनों वरिष्ठ पत्रकारों के प्रति उनकी ये दुर्भावना निश्चित रूप से पत्रकारिता को नुकसान पहुंचाने वाली है। लगता है उन्हें अपनी प्रशासनिक ताकत के दुरुपयोग की आदत सी हो गई। वे अपनी इस कुंठा के लिए पूरे जिले के प्रशासनिक अमले का उपयोग कर रही है। इस पर तत्काल अंकुश लगाने की जरूरत है।

तीसरी घटना पन्ना जिले के शाहनगर थाना अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र टिकरिया में घटी जब वहां के पत्रकार सतीश विश्वकर्मा के साथ पुलिस ने मारपीट की। बृजपुर में पदस्थ सब इंस्पेक्टर भानु प्रताप सिंह ने उन्हें सरेआम पीटा। उनकी उंगली में फ्रेक्चर हो गया और वे अस्पताल में भर्ती किए गए। इसके बाद पत्रकार के खिलाफ शासकीय काम में बाधा डालने का केस भी दर्ज कर लिया। पत्रकार ने कवरेज के लिए एसआई की अवैध कार्यवाही का वीडियो बनाया, जिससे एसआई नाराज हुआ। ये किस तरह की हिटलरशाही है? इस घटना के खिलाफ पन्ना जिले के पत्रकार एकजुट हुए और उन्होंने धरना दिया।

ये तीनों घटनाएं सीधे-सीधे पत्रकारों को उनका दायित्व निभाने से रोकने वाला कृत्य है। न तो नर्मदापुरम की कलेक्टर सोनिया मीणा को पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार है और पन्ना जिले के एसआई को पत्रकार के साथ बेवजह मारपीट करने का प्रदेश में पत्रकारों को जिस तरह निशाने पर लिया जा रहा है, वो असहनीय है। श्री सिंघार नें कहा कि उक्त तीनों मामलो की निश्पक्ष जांच कराई जाये तथा दोषी अधिकारीयों के खिलाफ कार्यवाही की जाये। यह प्रजातंत्र के हित में है तथा उन्होने मुख्यमंत्री मोहन यादव का भरोसा जताते हुए निष्पक्ष जांच कराने की उम्मीद की है।

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