पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्रों का बताया पुश्तैनी कब्जा, हाईकोर्ट ने दिये पटवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश

सिद्धार्थ पांडेय
 जबलपुर  १७ अप्रैल ;अभी तक;  पटवारी ने पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्रों का पुश्तैनी कब्जा बताते हुए रिपोर्ट तैयार की थी। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि पटवारी कोई भगवान नहीं है,जो किसी का नाम भी दर्ज कर दें। एकलपीठ ने पटवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने तथा विभागीय जांच के आदेश जारी किये है। एकलपीठ ने कलेक्टर सतना को निर्देशित किया है कि कार्यवाही के संबंध में हाईकोर्ट को एक माह में अवगत करवाये।
                            प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व बिहार के पूर्व राज्यपाल गोविंद नारायण सिंह के पुत्र अशोक सिंह व ध्रुव नारायण सिंह तथा एक अन्य की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि रीवा के रामपुर बघेलान स्थित जमीन पर उनका पुश्तैनी कब्जा है। पटवारी ने भी इस संबंध में अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है। भूमि मालिक मनोहर लाल ने उक्त जमीन उन्हें प्रदान की थी। जिनकी मृत्यु साल 1992 हो गयी थी।  याचिका में कहा गया था कि मनोहर लाल के वंशजों ने साल 2018 में उक्त भूमि के नामांतरण के लिए अनावेदन किया था। जिस पर उन्होंने आपत्ति पेश की थी।
याचिका में कहा गया था कि तहसीलदार तथा एसडीएम ने उनके पक्ष में आदेश पारित किया था। जिसके खिलाफ अनावेदकों ने अतिरिक्त संभागायुक्त के समक्ष अपील दायर की थी। अतिरिक्त संभागायुक्त ने तहसीलदार व एसडीएम के आदेश को निरस्त करते हुए अनावेदकों के पक्ष में आदेश जारी कर किया था। जिसे चुनौती देते हुए उक्त याचिका दायर की गयी थी।
                              एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता इस संबंध में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाये कि भूमि स्वामी ने उन्हें उक्त जमीन प्रदान की थी। सिर्फ पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर वह भूमि पर दावा कर रहे है। इसके अलावा उक्त भूमि पर कब्जे के संबंध में याचिकाकर्ता की तरफ से कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाये गये। एकलपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि बिना दस्तावेज पटवारी ने याचिकाकर्ता के पक्ष में कैसे रिपोर्ट तैयार कर दी। एकलपीठ ने उक्त तल्ख टिप्पणी करते हुए उक्त आदेश जारी किये। अनावेदकों की तरफ से अधिवक्ता ईशान सोनी तथा आर बी साहू ने पैरवी की।