प्राकृतिक खेती में युवाओ की भूमिका अहम-डा. वी.के यादव अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय पन्ना

दीपक शर्मा

पन्ना २ दिसंबर ;अभी तक; कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना एवं समर्थन द्वारा संयुक्त रूप से प्राकृतिक खेती एवं मोटे अनाज पर गांव के युवाओं को जानकारी प्रदान की। प्राकृतिक खेती पर जानकारी देते हुए डा. आर. के जायसवाल ने वताया की प्राकृतिक खेती में जीवामृत, घनजीवामृत, वाप्सा, अच्छादन एवं फसल विविधकरण महत्वपूर्ण घटक है। किसान इन घटको को अपनाये तो खेती की लगात एवं फसल में कीट व्याधि से होने वाले नुकसान में कमी आयेगी।

इस दौरान युवाओ को वताया गया की आप सभी किसान मित्र के रूप में काम करे ताकि किसान को जेविक प्राकृतिक खेती करने में आसानी हो। डा. त्रिपाठी ने वताया की हमारे भोजन में शुद्वता का आभाव है हमें शुद्व हवा एवं भोजन मिले इसके लिये हमें युवाओ को किसानी एवं प्राकृतिक खेती के गुन सिखाने होगे। प्रशिक्षण में 40 गांव के युवा शामिल रहे जो अपने गांव में जैविक क्रान्ति ला सकते है इनमें हुनर है मेंहनत करे सब सभंव है। डा. आरपी सिंह एवं रितेश बगोरा ने कहा की फसल उत्पादन में पहले मिटटी परीक्षण कराकर ही उर्बरक का किसान  उपयोग करे अभी मनमाने ढंग से उर्बरक का उपयोग कर रहे है, जो लागत और नुकसान दोनो कर रहा है। मानव जाति में रासायनिक खाद के दुष्परिणाम सामने आ रहे है। प्रशिक्षण में समर्थन संस्था से कमल, प्रकाश एवं ज्ञानेद्र तिवारी ने वताया की हम 84 गांव में खेती के साथ किचेन गार्डन एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये पयास कर रहे है। संस्था की कोशिष है की जिले में लोगो को शुद्व सब्जी एवं फल अनाज मिल सके एवं लोग स्वास्थ्य जीवन विता सके इसके प्रयास किये जा रहे है।