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फर्जी रजिस्ट्री कराने एवं फर्जी तरीके से लोन लेने वाले आरोपी को हुआ 5 वर्ष का सश्रम कारावास 

     विधिक संवाददाता
    इंदौर  एक ;दिसंबर  ;अभी तक;  जिला अभियोजन अधिकारी श्री संजीव श्रीवास्तव, ने बताया कि दिनांक 29.11.2023 को माननीय न्यायालय- अपर सत्र न्यायाधीश, विशेष न्यायालय (विदयुत अधि.) क्रमांक 7 इन्दौर (मध्य प्रदेश), ने थाना अन्नपूर्णा , इन्दौर के अपराध क्रमांक 84/2011 में निर्णय पारित करते हुए आरोपी प्रितेष बिंदल उम्र 48 वर्ष निवासी – स्कीम नं 71, इंदौर को धारा 420, 467, 468, 471  भा.दं.‍सं. में 5-5 वर्ष का सश्रम कारावास तथा धारा 419 भा.दं.‍सं. में 3 वर्ष का सश्रम कारावास व कुल 25000/ रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया। प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक श्रीमती अविसारिका जैन द्वारा की गई।
                                    अभियोजन का प्रकरण संक्षेप में इस प्रकार है कि फरियादी नवीन पिता महेश चन्द्र वैद्य के लेखी आवेदन पत्र अनुसार वह तथा उसकी माँ श्रीमती मनोरमा के नाम से भूखण्ड कमांक 47 ग्रेटर वैशाली नगर अन्नपूर्णा रिंग रोड इंदौर का उनके द्वारा दिनांक 02.06.2000 को विधिवत श्री शशिकांत पिता भगवती प्रसाद निवासी 313 एम जी रोड इंदौर से क्रय किया था तथा उक्त भूखण्ड पर भवन निर्माण करवाया गया था और फरियादी व उसका परिवार उक्त मकान में निवासरत् थे। फरियादी को काम के सिलसिले मे पूना जाना पड़ा और मकान को रंजीत सलूजा निवासी 17 लोहा मण्डी देवश्री टॉकीज इदौर के पास जो कि बेटमा जिला धार का स्थायी निवासी होना बताया था, को दिनांक 01.10.2005 को पाच हजार रूपये के मासिक किराये पर दिया था। उक्त किरायेदारी 11 माह की थी। किरायेदारी के दौरान ही दिनांक 27.03.2006 को किरायेदार रंजीत सलूजा ने उक्त मकान की रजिस्ट्री अपने नाम से फरियादी के द्वारा मकान बेचे बिना ही करवा ली। रजिस्ट्री में फरियादी एवं उसकी माता के फोटो नहीं लगे है, बल्कि अन्य किसी व्यक्ति व महिला के थे। आईसीआईसीआई बैंक से प्राप्त कागजात से फरियादी को यह पता चला कि उसके किरायेदार रंजीतसिंह ने थाना अन्नपूर्णा में कागजात गुम होने बाबत झूठी रिपोर्ट फरियादी के नाम से करवाई थी, जबकि फरियादी ने कभी भी थाना अन्नपूर्णा में इस संबंध में रिपोर्ट नहीं की। फरियादी ने न तो रूपये 50,000/- रूपये नगद लिये और न ही रजिस्ट्री में उल्लेखित चेक अनुसार उसे रूपयों का भुगतान हुआ है। उसके फोटो व हस्ताक्षर बतलाकर रंजीत पिता इंदरसिंह सलूजा ने उनके मकान का विकय लेख करवा लिया है तथा दूसरी तरफ दिनांक 01.10.2006 को पुनः रंजीत सिंह ने उनसे उनके इस मकान का किरायेदारी इकरार नामा रिन्यू करवा लिया ताकि उन्हे उसकी इस कूटिल चाल व झूठी रजिस्ट्री का ज्ञान न हो सके तथा कूट रचित रजिस्ट्री के द्वारा आरोपी ने फरियादी के नाम से उक्त बैंक से लगभग 10,25,000/- रूपये का लोन भी ले लिया। उक्त लेखी आवेदन पत्र की जांच  के आधार पर अपराध क्रमांक 84/11 पर धारा 419,420,467,468,471 भा.दं.सं. का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना दौरान आई साक्ष्यद मे ज्ञात हुआ कि रंजीत सलूजा का मूल नाम प्रितेश बिंदल पिता रमेश बिंदल था जो फर्जी तरीके से रंजीत सलूजा बनकर फर्जीवाडा कर रहा था। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।  जिस पर से आरोपी को उक्त  दंड से दंडित किया गया ।

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