मयंक शर्मा
खंडवा ११ दिसंबर ;अभी तक; तृतीय न्यायालय के न्यायाधीश मोहन डाबर ने शनिवार को पारित आदेश एसआइ लखनलाल बघेल और एसआइ भीम सिंह मंडलोई से एक-एक लाख रुपये की राशि वादी चंद्र कुमार उर्फ चंदू पिता चर्तुभुज और अरविंद पिता चंद्र कुमार निवासी खड़कपुरा को दिलवाने के आदेश दिए।वादी पक्ष मनोज मेटल के नाम से कारोबार विधि अनुसार संचालित करता हे। वादी की ओर से पैरवी आनंद गुप्ता ने की।
अधिवक्ता आनंद गुप्ता ने बताया कि बर्तन व्यवसायी और उसके पुत्र को झूठे केस में फंसाने वाले पुलिसकर्मियों से कोर्ट ने एक-एक लाख रुपये की वसूली के आदेश दिए ।
उन्होने बताया कि मामला यू है कि प्रतिवादी राकेश पुरी पूर्व में सिटी कोतवाली खंडवा के ं थाना प्रभारी थे और तत्समय उसकी किन्हीं अवैधानिक मांगों को वादीगण द्वारा पूर्ण करने से इंकार करने पर वादीगण से द्वेष रखते हुए प्रतिवादी ने वादीगण पर खंडवा के कई थानों में असत्य आधारों पर चोरी का सामान खरीदने के झूठे मुकदमे दर्ज करवाए और उन्हें हथकड़ी पहनाकर न्यायालय में घूमाकर पेश किया। बाद में वादीगण द्वारा प्रतिवादीगण एवं उसके निर्देशों पर ऐसा अवैधानिक कृत्य करने वाले अन्य पुलिसकर्मियों की शिकायत एवं कार्यवाही की।
मामले में प्रतिवादी, वादीगण के विपरीत बनाए झूठे मामलों में स्वयं ही खात्मा पेश किया और वादीगण को इन अवैध तरीके से बनाए प्रकरणों में अभियुक्त बनाकर गिरफ्तार कर कई दिनों तक जेल में रहने हेतु मजबूर किया। प्रतिवादी एवं अन्य पुलिसकर्मियों की शिकायतें वादीगण द्वारा उच्च अधिकारियों, मानव अधिकार आयोग एवं उच्च न्यायालय मप्र जबलपुर में रिट याचिका के माध्यम से की गई। इसलिए प्रतिवादीगण वादीगण के साथ अत्यंत द्वेष रखने लगे।
थाना प?भारी पद पर श्री पुरी जब तक वे खंडवा में रहे लगातार वादीगण को बार-बार बिना कारण पुलिस थाने में बुलाकर परेशान करते रहे। वादीगण द्वारा कभी कोई अवैधानिक कार्य नहीं किया गया है। प्रतिवादी का स्थानांतरण बुरहानपुर जिले में हुआ, जहां प्रतिवादी को उच्च पद पर पदोन्नत भी किया गया। प्रतिवादी ने बुरहानपुर जिले से भी वादीगण को परेशान करना बंद नहीं किया। उन्हें हमेशा झूठे प्रकरणों में फंसाने की धमकियां दीं और लगातार वादीगण को परेशान करते रहे।
अधिवक्ता ने कहा कि प्रतिवादी अवगत थे कि उनके द्वारा वादीगण के विपरीत असत्य आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किए जा रहे हैं। प्रतिवादीगण ने अपने पदों का दुरुपयोग कर वादीगण को अत्याधिक, आर्थिक, मानसिक, शारीरिक, सामाजिक एवं व्यावसायिक क्षति कारित की गई है। उक्त क्षति का मूल्यांकन द्रव्य में किया जाना संभव नहीं है। जिसकी पूर्ति जीवनभर नहीं हो पाएगी। प्रतिवादीगण ने वादीगण की मानहानि कारित की है। जिसके लिए उपरोक्त प्रतिवादीगण उत्तरदायी है।
गुप्ता ने बताया कि इस कारण वादीगण को उपरोक्त क्षति के लिए क्षतिपूर्ति प्राप्ति हेतु यह वाद प्रस्तुत करना आवश्यक रहा। प्रतिवादीगण को हुई क्षति के लिए पृथक-पृथक व संयुक्त रूप से उत्तरदायी है। वादीगण ने प्रतिवादीगण को धारा 80 सीपीसी पत्र दिया था जो कि उनको प्राप्त हो गया था, परंतु उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। वादीगण ने एक लाख रुपये की क्षतिपूर्ति वसूली बाबत यह वाद प्रस्तुत किया।