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बुंदेलखंड की डायरी  सागर में सियासी समर, भूपेंद्र सिंह  समर्थकों के फोन टेप कांड में नहीं शुरू हुई जांच 

 रवीन्द्र व्यास 

सागरमें दिग्गज नेताओं की नाराजगी थमने का नाम नहीं ले रही है कुर्सी जाते ही ये नेता अपनी सरकार को कटघरे में खड़ा करने से भी नहीं चूक  रहे हैं ऐसा ही एक नजारा पिछले दिनों जिला योजना समिति की बैठक में सामने आया जब खुरई विधायक और पूर्व मंत्री  ने बैठक में यह कहकर सनसनी फैला दी कि मेरे समर्थकों के फोन की सी डी आर निकाल कर पुलिस द्वारा ब्लेकमेलिंग की जा रही है । इस मामले में उन्होंने जांच की भी मांग की जिसके जांच के आदेश अब तक नहीं दिए गए हैं  इसके पहले सागर में इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव में भी भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव नाराज हो गए थे मोहन यादव की सरकार बाने के बाद इन दोनों दिग्गज मंत्रियों की छुट्टी कर दी गई थी ,जबकि कांग्रेस से बीजेपी में आये गोविन्द राजपूत को मंत्री बनाया गया था | पर सवाल उठता है कि मसला सिर्फ इतना है या इसके पीछे की कहानी कुछ और है |

 आरोप  दो प्रकार के होते हैं एक राजनीतिक सभा में  लगाए गए आरोप हवा हवाई होते हैं । शासकीय बैठक में लगाए गए आरोप प्रोसिडिंग का हिस्सा होते हैं कार्यवाही का हिस्सा होते हैं। सत्ताधारी पार्टी का सबसे वरिष्ठ विधायक यदि  आरोप लगाए वह भी  अपनी ही सरकार की बैठक में |  तो इसे  हल्के में नहीं लिया जा सकता |   जबकि  पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह  पूरी बैठक में विकास और अपने तमाम मुद्दे पर बोलते रहे जैसे ही कानून और व्यवस्था का मुद्दा  आया उन्होंने कहा एसपी साहब बताइए आप हमारे  लोगों की सी डी आर  निकलवा रहे हैं । 40 50 लोगों ने बताया है कि उनकी सी डीआर  निकलवा कर पुलिस से फोन आते हैं कि हमारे पास आपके मूवमेंट की जानकारी है ,आपकी बातचीत की जानकारी है। अब हम इस पर कार्यवाही करेंगे  पब्लिक  करेंगे यह विशुद्ध ब्लैकमेलिंग नहीं है तो क्या है मैं जानता हूं कि सी डी आर आपकी परमिशन से नहीं निकलवाई गई होगी मैं गृहमंत्री रहा हूं मैं जानता हूं की  सी डी आर की एक प्रक्रिया होती है। उसी  प्रक्रिया के तहत ही वह किसी अधिकारिकता से ही निकलती है ।जिस पर एसपी साहब ने जवाब दिया कि एस पी को इसमें पावर नहीं होता। पूर्व मंत्री जी बोले कि मैं यह कहां कह रहा हूं कि आपने निकलवाई है,  ,आपकी जानकारी के बगैर निकल रही है मुद्दा यह है। जिस पर एसपी ने फिर से जवाब दिया सर एसपी का  अधिकार नहीं है आप तो गृहमंत्री रहे हैं उच्च स्तर से ही कार्यवाही होती है। भूपेंद्र सिंह ने कहा आपसे जवाब थोड़ी मांग रहा हूं मैं आपसे यह कब कहा आप सफाई दें ,आपसे जांच की मांग कर रहा हूं ।

भूपेंद्र की सफाई 

बाद में जब मीडिया ने उनसे इस सम्बन्ध में सवाल पूछे तो उन्होंने इस बात को अलग तरह से ट्विस्ट दिया  भूपेंद्र सिंह ने  कहा कि   स्थानीय स्तर पर  कुछ लोगों का  सी डीआर पुलिस द्वारा निकाला गया |  सी डी आर  एसपी और आईजी की अनुमति से  निकाली  जाती है पुलिस द्वारा , सी डी आर के नाम पर लोगों को धमकाने , पैसे वसूली का काम हो रहा है ||  परंतु बगैर एस पी  और आईजी की अनुमति के लगातार सी  डीआर निकाले  जा रहे हैं और सी डी आर  का दुरुपयोग हो रहा है |एसपी को हमने पहले भी इस मामले में अवगत कराया था की ऐसी शिकायत मिल रही है  उस मामले में माननीय मंत्री जी द्वारा जांच के आदेश दिए हैं हमने भी जांच के लिए पत्र लिखा है |

अब इसमें दो प्रमुख मुद्दे आते हैं देखना यह होगा की  क्या जिला योजना समिति की प्रोसिडिंग में यह बात आएगी । दूसरा जब पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक ने प्रभारी मंत्री की उपस्थिति में भरी सदन में यह कहा हमें आपसे जांच चाहिए सफाई नहीं तो किसी ने विरोध नहीं किया। तो क्या एस पी  ने जांच शुरू कराई हैएस पी ने इसके जांच के आदेश दिए हैं ?कलेक्टर ने इसको  जिला योजना समिति की प्रोसिडिंग का हिस्सा माना है या नहीं माना ?

 सियासत 

पार्टी भले स्वीकारे पर हम ऐसे लोगों को नहीं स्वीकारेंगे 

 सी डी आर मामला शांत भी नहीं हुआ कि   दीपावली मिलन समारोह के बहाने  भूपेंद्र सिंह की नारजगी फिर सामने आई उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा  अभी पिछले लोकसभा चुनाव (राज बहादुर ) में कार्यकर्ताओं को मतदान केंद्र में घुसकर कांग्रेस के लोगों ने पुलिस की उपस्थिति में मारा था  सर फट गया पुलिस खड़ी  देखती  रही  हमें जब  पता चला तो मैंने उन्हें ले जाकर हॉस्पिटल में भर्ती का कराया 72 कार्यकर्ताओं को  चोटें आई  थी अब कोई कहे हम ऐसे लोगों को स्वीकार करें  पार्टी मेंपार्टी करें ना करें पर मैं कभी ऐसे लोगों को स्वीकार नहीं कर सकता  क्योंकि वह अत्याचार अनाचार हमने सहा  है  सत्ता की चकाचौंध में  कई बार लोग चीजें  भूल जाते हैं पर यह चकाचौंध  कभी स्थाई नहीं होती ,ना कभी किसी की कभी रही है  

सियासत के  शब्द बाण बता रहे हैं कि जख्म  गहरे हैं पीड़ा तो सामने आएगी ही सवाल ये है उन्हें ये सियासी जख्म किसने किसको ,कब दिए ? इसके लिए हमें अतीत के पन्ने पलटने होंगे | कहते हैं कि  शिवराज सिंह के मुख्यमंत्री काल में भूपेंद्र सिंह एक तरह से  सरकार के बड़े शक्ति केंद्र थे | इंदौर के प्रभारी मंत्री के रहते उन्होंने कैलाश विजय वर्गीय को  सियासत का अहसास कराया था ,| वहीँ सिंहस्थ के प्रभारी के तौर पर उन्होंने एक तरह से वर्तमान सी एम मोहन यादव की उपेक्षा की थी | बात अगर सागर की करें तो यहाँ मंत्री गोविन्द राजपूत का बढ़ता सियासी पारा उन्हें रास नहीं आ रहा है | उस पर उनके चिरपरिचित प्रतिद्वंदी अरुणोदय चौबे और उनके समर्थकों की बीजेपी में एंट्री भी उन्हें रास नहीं आ रही है | इसके पीछे भी गोविन्द सिंह का हाथ बताया जाता है | अब बात आती है आपरधिक मामलों की , अरुणोदय चौबे और उनके समर्थकों पर २०२२ में भी साजिशन मामले दर्ज कराये गए |  अब ऐसे लोग अगर उनकी ही पार्टी में आ जाएँ तो चिंता होना स्वाभाविक है | 

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