प्रदेश
भगवान के मोक्ष कल्याणक पर जनसैलाब उमड़ा शोभायात्रा निकली
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १७ जून ;अभी तक; 13 जून से प्रारंभ हुआ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव, 17 जून को प्रात मोक्ष कल्याणक व नवीन जिनालय में प्रतिमाओं की स्थापना के साथ सम्पन्न हुआ।
दिगम्बर जैन संत मुनि श्री आदित्य सागरजी, अप्रमितसागरजी, सहजसागरजी, सुखसागरजी व शुभसागरजी महाराज की निश्रा में लगभग 12 वर्षो पश्चात मंदसौर में यह भव्य व ऐतिहासिक आयोजन पुनः किया गया। भगवान का निर्वाण देखने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने उपस्थित होकर दिव्य दर्शन किए।
इस अवसर पर जाप्यानुष्ठान, निर्वाण कल्याणक पूजन व हवन भी किया गया। विशाल शोभायात्रा के साथ संस्कारित व प्रतिष्ठित की गई प्रतिमाओं को कार्यक्रम स्थल से नवीन जिनालय ले जाया गया। बैंड बाजे, हाथी घोड़े-बग्गी आदि के साथ भक्तगण हर्ष व उल्लास के साथ झूमते नाचते चल रहे थे। स्थान-स्थान पर नवीन प्रतिमाओं की पूजा की गई। शोभायात्रा में मुनिसंघ ने भी सानिध्य प्रदान किया।
पूर्ण विधि विधान के साथ नवीन जिनालय की नवीन वेदी में नवीन जिनबिम्ब विराजित हुए तो पूरा परिसर भगवान के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
शोभायात्रा से पूर्व धर्मसभा में पूज्य मुनि श्री आदित्य सागरजी महाराज ने कहा जिस समाज में वृद्ध व युवा सक्रिय नहीं होते वह समाज पंगु हो जाता है, युवाओं का जोश व वरिष्ठों का अनुभव समाज को ऊपर उठाने में कार्यकारी होता है। उन्होंने कहा विद्वान वो ही हैं, जिसे धन व लालसा नहीं धर्म की आकांक्षा है। प्रारंभ में मंगलाचरण कु. गजल विनायका, माही कासलीवाल व सिद्धी विनायका ने किया। महोत्सव के अंतिम दिन मुनि संघ के पाद प्रक्षालन श्री महावीर जन दलौदा ने किए, शास्त्र भेंट अभिनव युवा मण्डल व सुनील सागर युवा संघ द्वारा किए गए। दीप प्रज्वलन श्री सुधीर सुषमा अजमेरा इन्दौर ने किया। नवीन जिनालय में विराजित प्रतिमाओं का प्रथम अभिषेक श्री महेन्द्र जैन मऊखेड़ी ने किया। प्रथम शांतिधारा अजीत कुमार बंडी व वंदना राकेश जैन ने की। प्रथम आरती दिलिप हेमंत मेहता द्वारा की गई। जिनालय के पट खोलकर श्रद्धालुओं को प्रथम दर्शन कराने का सौभाग्य श्री मुकेश बसंतीलाल गरोड़ा को मिला। महामंगल कलश के पुण्यार्जक श्री रमेश मनीष जैन व याग मंगल कलश के लाभार्थी श्री उमेश अमृतलाल भड़का थे। शोभायात्रा में ऐरावत हाथी पर जैन ध्वजा लेकर चलने के लाभार्थी श्री राजेश जैन बनीवाले थे।
भगवान को विराजमान करने के रजत सिंहासन श्री अनीत कुमार प्रकाशचंद्र पहाड़िया एवं फतेहलाल कियावत ने प्रदान किए। अग्निकुमार देव के रूप में श्री विजयकुमार सेठी ने क्रियाएं सम्पन्न की।
आगामी समय में जिनालय पर होने वाले शिखर निर्माण की घोषणा श्री संजय बक्षी मुम्बई द्वारा प्रदान की गई व जिनालय में उनके द्वारा रजत पाण्डुक शिला भी भेंट की गई ।जिनालय में मूलनायक भगवान अभिनंदननाथजी को विराजित करने के लाभार्थी श्री सुरेन्द्र कुमार, सौरभ अर्पित दोषी परिवार थे। अन्य प्रतिमाएं श्री पार्श्वनाथ जी, मुनिसुव्रतनाथजी, आदिनाथ जी, शांतिनाथजी आदि को वेदी में विराजित करने का लाभ सर्वश्री पवनकुमार अशोककुमार कैलाशचन्द्र सुधीर अभय अजमेरा, डॉ. वीरेन्द्र विवेक गांधी, शांतिलाल जयकुमार सौरभ गौरव बडजात्या, सुरेशकुमार हैप्पी पाटनी, महेन्द्रकुमार जैन मऊखेड़ी वाले, केसी. संदीप जैन व सुरेशकुमार विनीत जैन द्वारा विराजमान की गई। इस दौरान सहयोगकर्ताओं को प्रतीक चिन्ह भेंटकर समिति द्वारा सम्मानित किया गया।
डॉ. कोठारी ने बताया मुनिसंघ का विहार नीमच की ओर हो गया। आज प्रातः 7 बजे श्री णमोकार महामंत्र साधना केन्द्र बही पार्श्वनाथ चौपाटी पर मंगल प्रवेश, 8.30 बजे प्रवचन व 10 बजे आहारचर्या होगी।
समारोह का संचालन प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी पीयूष प्रसून ने किया, आभार पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति अध्यक्ष शांतिलाल बडजात्या ने माना।
पूर्ण विधि विधान के साथ नवीन जिनालय की नवीन वेदी में नवीन जिनबिम्ब विराजित हुए तो पूरा परिसर भगवान के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
शोभायात्रा से पूर्व धर्मसभा में पूज्य मुनि श्री आदित्य सागरजी महाराज ने कहा जिस समाज में वृद्ध व युवा सक्रिय नहीं होते वह समाज पंगु हो जाता है, युवाओं का जोश व वरिष्ठों का अनुभव समाज को ऊपर उठाने में कार्यकारी होता है। उन्होंने कहा विद्वान वो ही हैं, जिसे धन व लालसा नहीं धर्म की आकांक्षा है। प्रारंभ में मंगलाचरण कु. गजल विनायका, माही कासलीवाल व सिद्धी विनायका ने किया। महोत्सव के अंतिम दिन मुनि संघ के पाद प्रक्षालन श्री महावीर जन दलौदा ने किए, शास्त्र भेंट अभिनव युवा मण्डल व सुनील सागर युवा संघ द्वारा किए गए। दीप प्रज्वलन श्री सुधीर सुषमा अजमेरा इन्दौर ने किया। नवीन जिनालय में विराजित प्रतिमाओं का प्रथम अभिषेक श्री महेन्द्र जैन मऊखेड़ी ने किया। प्रथम शांतिधारा अजीत कुमार बंडी व वंदना राकेश जैन ने की। प्रथम आरती दिलिप हेमंत मेहता द्वारा की गई। जिनालय के पट खोलकर श्रद्धालुओं को प्रथम दर्शन कराने का सौभाग्य श्री मुकेश बसंतीलाल गरोड़ा को मिला। महामंगल कलश के पुण्यार्जक श्री रमेश मनीष जैन व याग मंगल कलश के लाभार्थी श्री उमेश अमृतलाल भड़का थे। शोभायात्रा में ऐरावत हाथी पर जैन ध्वजा लेकर चलने के लाभार्थी श्री राजेश जैन बनीवाले थे।
भगवान को विराजमान करने के रजत सिंहासन श्री अनीत कुमार प्रकाशचंद्र पहाड़िया एवं फतेहलाल कियावत ने प्रदान किए। अग्निकुमार देव के रूप में श्री विजयकुमार सेठी ने क्रियाएं सम्पन्न की।
आगामी समय में जिनालय पर होने वाले शिखर निर्माण की घोषणा श्री संजय बक्षी मुम्बई द्वारा प्रदान की गई व जिनालय में उनके द्वारा रजत पाण्डुक शिला भी भेंट की गई ।जिनालय में मूलनायक भगवान अभिनंदननाथजी को विराजित करने के लाभार्थी श्री सुरेन्द्र कुमार, सौरभ अर्पित दोषी परिवार थे। अन्य प्रतिमाएं श्री पार्श्वनाथ जी, मुनिसुव्रतनाथजी, आदिनाथ जी, शांतिनाथजी आदि को वेदी में विराजित करने का लाभ सर्वश्री पवनकुमार अशोककुमार कैलाशचन्द्र सुधीर अभय अजमेरा, डॉ. वीरेन्द्र विवेक गांधी, शांतिलाल जयकुमार सौरभ गौरव बडजात्या, सुरेशकुमार हैप्पी पाटनी, महेन्द्रकुमार जैन मऊखेड़ी वाले, केसी. संदीप जैन व सुरेशकुमार विनीत जैन द्वारा विराजमान की गई। इस दौरान सहयोगकर्ताओं को प्रतीक चिन्ह भेंटकर समिति द्वारा सम्मानित किया गया।
डॉ. कोठारी ने बताया मुनिसंघ का विहार नीमच की ओर हो गया। आज प्रातः 7 बजे श्री णमोकार महामंत्र साधना केन्द्र बही पार्श्वनाथ चौपाटी पर मंगल प्रवेश, 8.30 बजे प्रवचन व 10 बजे आहारचर्या होगी।
समारोह का संचालन प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी पीयूष प्रसून ने किया, आभार पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति अध्यक्ष शांतिलाल बडजात्या ने माना।