भविष्य को सुरक्षित व सुकून भरा रखने के लिये भगवान महावीर के अहिंसा के संदेश को वर्तमान में आत्मसात करें -डॉ. कमल संगतानी

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर ४ अप्रैल ;अभी तक;  आज भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव को भले ही जैन समाज बड़े धूमधाम से मना रहा है किंतु मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि भगवान महावीर ने जो भी संदेश दिये थे वह पुरी मानव जाति के लिए थे। जिस प्रकार सूरज की रौशनी, चंद्रमा की चांदनी, बारिश, हवा, धरती, अन्न, फल, फूल सबके लिए यानी सारी मानव जाति के लिए है उसी प्रकार अहिंसा या कर्म का सिद्धांत सारी सृष्टि या ब्रह्मांड में समान है। भगवान महावीर का सबसे प्रमुखता से जो संदेश था वह था ‘‘अहिंसा’’ यानी किसी भी जीव, प्राणी या इंसान के प्रति हिंसा न करना। अब हिंसा को और गहराई से समझे तो इसके कई रूप होते है, सिर्फ मांसाहार या जीव हत्या नहीं और भी कई तरह की हिंसा होती है जैसे मन से, कर्म से, वचन से, मतलब अगर किसी के प्रति मन में घृणा का भाव भी आया तो यह भी हिंसा है, किसी को शब्दों के द्वारा बुरे वचन या गाली भी दे दी तो यह भी हिंसा है, किसी को जानबुझकर कर्म द्वारा कोई नुकसान किया है तो यह भी हिंसा ही है, हालांकि परमात्मा ने यह व्यवस्था बना रखी है कि ‘‘जैसा बीज बोओगे वैसा फल पाओगे’’ ‘‘आज नहीं तो कल’’ यानी इंसान अपने पुरे जीवन भर जो भी कर्म करता है उसका फल उसे किसी न किसी रूप में भुगतना ही पड़ता है फिर वो चाहे अच्छा हो या बुरा। इसी कारण हमारे सुख और दुःख निर्धारित होते है।
                                   कर्म का सिद्धांत इस प्रकार है जैसे पानी में शक्कर डाले तो मिठास और अगर नमक डालते है तो खटास होती है इसमें पानी की व्याख्या परमात्मा के समान है और शक्कर एवं नमक कर्म का स्वरूप है। अतः कई संत, महात्मा हमें तीन प्रकार के कर्माे का सिद्धांत बता चुके है पहला (प्रारब्ध) जो पिछले जन्मों का फल हमें देते है, दूसरा (संचित) जो हम दैनिक जीवन में इकठ्ठा करते ही रहते है और तीसरा (क्रियमान) यानी इस हाथ दे उस हाथ ले हिसाब बराबर। इसी तरह हर इंसान का जीवन कर्मानुसार संचालित होता है किंतु यह सब हमें इन आँखों से दिखाई नहीं देता क्योंकि इन आँखों पर मन का पर्दा पड़ा हुआ है जो काम, क्रोध, लोभ, मोह, और अहंकार वश इस जीवन में किसी न किसी रूप में हिंसा करता ही रहता है और जब फल भुगतने का समय आता है तो इंसान को अपने किये पिछले कर्म याद आते है जो जानबूझकर या अज्ञानता में किये थे। इसलिए आज महावीर जयंती पर सभी को यह प्रेरणा लेना चाहिए कि किसी भी रूप में हमें अहिंसा नहीं करना है ताकि हमारा आने वाला भविष्य सुकून भरा और सुरक्षित रहे।