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भारतीय किसान संघ ने नई अफीम नीति में संशोधन करने सहित किसानों की विभिन्न समस्याओं को लेकर दिया ज्ञापन

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर ७ नवंबर ;अभी तक ;   भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय आह्वान के तहत भारतीय किसान संघ मालवा प्रांत जिला मंदसौर द्वारा केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन के नाम एक ज्ञापन सुशासन भवन में नई अफीम नीति 2024-25 में संशोधन सहित आगामी वर्षों में अफीम किसानों की विभिन्न समस्याओं के समाधान तथा मंदसौर जिले के किसानों की समस्याओं को लेकर ज्ञापन जिला कलेक्टर प्रतिनिधि अपर कलेक्टर स्वाति तिवारी को दिया गया।
                                          ज्ञापन के पूर्व भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष बद्रीलाल पाटीदार देहरी के नेतृत्व में मंदसौर व गरोठ जिले से आये किसान एस.पी. कार्यालय के सामने एकत्र हुए जहां से रैली के रूप में सुशासन भवन पहुंचे। रैली मार्ग में किसानों ने अपनी मांग के समर्थन में नारेबाजी की। रैली व ज्ञापन कार्यक्रम में प्रांतीय सदस्य भंवरसिंह पंवार, जिला संरक्षक राधेश्याम पाटीदार करजू, जिला मंत्री मंदसौर राधेश्याम ठन्ना फतेहगढ़, जिला प्रचार प्रमुख मुकेश जाट काचरिया जाट, जिला युवा वाहिनी के रमेश जाट, सीतामऊ तहसील अध्यक्ष बालेश्वर पाटीदार, गरोठ तहसील अध्यक्ष कृपालसिंह, मंत्री रामनिवास बैरागी, दलौदा तहसील अध्यक्ष देवराम पाटीदार, मल्हारगढ़ तहसील अध्यक्ष अनिल पाटीदार,  मदनसिंह सिसौदिया, रामप्रसाद पाटीदार, भगवतीलाल रिछालालमुहां, कारूलाल कुमावत बाबरेचा, अनुराग जाट काचरिया, कोषाध्यक्ष भगवानदास बैरागी, बालमुकुंद चौधरी सहित सैकड़ों संख्या में किसान एकत्र हुए।
                                                   ज्ञापन में कहा कि भारत सरकार की ओर से हाल ही में नई अफीम नीति घोषित की गई है। जिसमें कुछ प्रावधान सरकार की ओर से पांच वर्ष हेतु किसानों को जारी पट्टों के विरोधाभासी है। वही भारतीय किसान संघ की मांग व सुझावों पर पूर्व में बनी सहमति के बिंदु भी हाल में जारी नई अफीम नीति में शामिल नहीं हुए है। अतः नई अफीम नीति 2024-25 में संशोधन सहित विभिन्न समस्याओं का सकारात्मक समाधान कर राहत दिलाई जावे। सीपीएस पद्धति के पट्टे जो पहले दिए गए वो पांच वर्ष के लिए दिए गए थे। जिसकी किसानों से एडवांस में पांच वर्ष की फीस भी जमा करवाई गई थी। हाल में जारी वर्ष 2024-25 की नई अफीम नीति में 67.5 किलो प्रति 10 आरी से कम डोडा देने वाले किसानों के पट्टो को रोकना कतई ठीक नहीं है। अतः अफीम नीति में संशोधन कर पूर्व में जारी सभी पट्टे बहाल कराए जावें। सरकार द्वारा वर्ष 1995-96 से वर्ष 1997-98 तक के 25 की औसत ओर पट्टे जारी किए थे जबकि 1993-94 तथा वर्ष 1994-95 के ऑनलाइन अफीम पट्टे ऑनलाइन थे। उन्हें भी जारी किया जाना था। अतः वर्ष 1990-91 से 1997-98 तक के अफीम लाइसेंस को शून्य औसत या छपी लिस्ट के आधार पर जारी करवाया जावें। केन्द्रीय वित्त मंत्री के साथ तीन वर्ष पूर्व भारतीय किसान संघ की दिल्ली में अफीम नीति से सबंधित जो वार्ता हुई थी। उसमें उनके द्वारा संगठन प्रतिनिधि मंडल को अफीम किसानों की मांगों और सुझावों पर आश्वस्त किया था कि आने वाले तीन वर्षों में पुराने रुके हुए अथवा कटे हुए सभी पट्टे किसानों को रोजगार हेतु बहाल कर दिये जायेंगे। लेकिन अभी तक 1990 से रुके और कटे सभी किसानों के पट्टे बहाल नहीं हो पाए है। ऐसे में सभी रुके व कटे हुए पट्टे जीरो औसत पर बहाल करवाये जावें। पूर्व में चली आ रही अफीम नीति जिसमें किसानों को दो प्लॉट में लुवाई चिराई वाले पट्टे जारी किए जाते थे लेकिन गत वर्ष जारी अफीम नीति में किसानों को एक ही प्लॉट में बुवाई की अनुमति के पट्टे जारी करने शुरू किए जिसमे इस बार भी बदलाव नहीं हुआ। अतः इसमें संशोधन कर पुनः दो प्लॉट में बुवाई का आदेश जारी करवाये जावे। डोडाचूरा को एनडीपीएस एक्ट से बाहर निकालकर राज्यों के आबकारी एक्ट में शामिल किया जावे क्योंकि इसमें नाम मात्र का नशा होता है जो किसी भी लेबोरेटरी में प्रतिशत के रूप में दर्शाया नहीं जाता है और सजा दस वर्ष अथवा इससे भी ज्यादा दी जाती है वहीं प्रतिवर्ष हजारों निर्दोष लोग सजा काट रहे हैं, इस धारा का अधिकांशतः दुरुपयोग ही हो रहा है। हर वर्ष अफीम नीति सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह में हर हाल में घोषित होनी चाहिए क्योंकि यदि फसल बुवाई लेट होती है तो उत्पादन घटता है इस वर्ष की अफीम नीति पिछले 22 वर्षों में सबसे ज्यादा देरी से जारी हुई है जो सही नहीं है, हर वर्ष नवरात्रि से दीपावली के मध्य अफीम फसल की बुवाई हेतु मौसम अनुकूल होता है इस वर्ष काफी विलंब से नीति घोषित होने से किसानों के लिए अफीम उत्पादन को प्रभावित करने वाला होगा।  सभी सीपीएस पद्धति वाले पट्टे भी लुवाई चिराई से अफीम निकालने में बदल कर जारी किए जाने हेतु । यह कि अफीम के भाव बढ़ाये जाये अफीम फसल लेने पर किसानों को बहुत खर्च उठाना पढ़ता है। इसलिये अफीम के भाव 10,000 रु. प्रति किलो किया जावे। जिसकी मांग विगत पांच वर्षों से किसानों द्वारा आंदोलन एवं ज्ञापन के माध्यम से की जा रही है। अफीम लाइसेंस की नामांतरण प्रक्रिया सरल कि जाकर नामिनी के आधार पर नामांतरण किया जावे। वृद्ध किसानों का जो आने जाने में तथा आंखों से देखने में भी असमर्थ है उन लाइसेंसधारी किसानों की सहमति के आधार पर जीवित रहते हुए नामांतरण किया जावे। भारतीय किसान संघ के विभिन्न सुझावों व मांगों का त्वरित सकारात्मक समाधान करवाया जाकर अफीम किसानों को राहत दिलाई जावें ।
                                               साथ ही जिला कलेक्टर के नाम ज्ञापन में कहा कि  भारतीय किसान संघ मालवा प्रांत कार्यकारिणी द्वारा बिजली की समस्याओं को लेकर इंदौर सीएमडी के बीच दिनांक 23-10-2024 को बैठक हो चुकी है पर अभी तक उन बिन्दुओं पर विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा कोई सुधार नहीं किया गया।  विद्युत पोल जहां पर झुक रहे व त्तार झूल रहे है। इससे बार-बार लाईन फाल्ट होती है उन्हें तुरंत ठीक किये जावे। ओवरलोड ट्रांसफार्मर को अंडरलोड किये जाये।  घरेलू उपभोक्ताओं को विद्युत कम्पनी द्वारा एवरेज बिल दिये जा रहे वे बिल रीडिंग के आधार पर दिये जावे। जिन उपभोक्ता के बिजली मीटर बंद पडे उन्हें तुरंत दुसरे मीटर लगाये जावे। ट्रांसफार्मर जल जाता है तो विद्युत वितरण कम्पनी की जवाबदेही है। वह उसे खोल कर ले और वापस लगाये।  अगर किसानों के ट्रैक्टर, ट्राली का उपयोग लिया जाता है तो उसका भुगतान तुरंत किया जावे एवं किराये की सूची दूरी के मान से चस्पा की जावे। सिंचाई पंपों का शेड्यूल चलता है तो समय से आधा घंटा लेट लाइट दी जाती है व आधे घंटे पहले बंद कर दी जाती है व बार-बार लाइट ट्रिपींग कर किसानों का समय बर्बाद होता है एवं सिंचाई प्रभावित होती है। जो शेड्यूल के अनुसार पूरे समय बिजली देने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जावे। राजस्व विभाग द्वारा समय पर नामांतरण व बंटवारे नही किये जाते है। राजस्व बंटवारे एवं नामांतरण समय अवधि में करने हेतु राजस्व अधिकारियों को निर्देशित किया जावे।  जिले का जल स्तर बहुत नीचे जा चुका है। इसलिये ट्यूबवेल खनन इस वर्ष के लिये पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया जावे। ज्ञापन में कहा कि समय सीमा में अगर किसानों की समस्याओं की समाधान नहीं हुआ तो संगठन स्तर पर चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा।
यह जानकारी भारतीय किसान संघ जिला प्रचार प्रसार प्रमुख मुकेश जाट द्वारा दी गयी है।

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