हत्यारे को आजीवन कारावास की सजा

दीपक शर्मा

पन्ना, 10 फ़रवरी , अभीतक

सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी रोहित गुप्ता ने बताया कि, दिनांक 02.09.2022 को मिन्ता आदिवासी (अभियुक्त) ने थाना सलेहा में सूचना दी। कि उक्त दिनांक की रात्रि करीब 1 बजे घर मे दडाम की आवाज सुनाई देने से उसकी भतीज बहू ने उठकर देखा तो भतीजा घर के बगल से दूसरे कच्चे घर जाने के लिये जहां घर का खाना पीना बनता है सीढी से नीचे उतरने के लिये आगन है उसमें करीब छह फुट गहराई है जाते समय सीढी से फिसलकर गिरने से उसके सिर में पक्की दीवाल लग जाने से आई गंभीर चोट से खत्म हो गया है। उक्त सूचना के आधार पर मर्ग कायमी की गई थी मर्ग जांच के कथन लेख किये गये, जांच दौरान तथ्य सामने आये कि दिनांक 01.09.2022 को रात्रि 7 बजे मृतक बलवाना आदिवासी की बहू सुमन आदिवासी अपने चाचा ससुर मिंता आदवासी के घर बैठने गयी थी तो रात्रि में मृतक अपने घर आया बहू न मिलने पर चाचा मिंता के घर जाकर बहू सुमन आदिवासी से कहा कि तुम घर में क्यो नहीं रहती हो चलो, इसी बात पर सुमन को डाटने लगा। राजकुमार जो मृतक बलवाना से पहले से बुराई मानता था मृतक से वाद विवाद कर गाली गलौच करने लगा और दोनों में लिपटा झपटी होने लगी। तभी राजकुमार कोल अपने घर से कुल्हाडी ले आया और मृतक बलवाना आदिवासी के सिर में मार दिया जिससे मौके पर ही आगन में जमीन पर गिर गया व खून निकलने लगा जिस कारण उसकी मृत्यु  हो गई।

तब राजकुमार ने पिता मिंता को बुला लाया मिंता ने आंगन में डले खून में  मिटटी मिलवाकर बोरे मे भरवाकर साक्ष्य छिपाने की नियत से राजकुमार से बाहर फिकवाया जांच उपरांत थाना सलेहा अपराध 253/22 धारा 302,201,34 भादस राजकुमार कोल एवं मिंता के विरूद्ध पंजीबद्ध कर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध की। सम्पूर्ण विवेचना उपरांत आरोपीगणों के विरूद्ध अभियोग पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। प्रकरण का विचारण माननीय न्यायालय श्रीमान महेन्द्र मंगोदिया जी के न्यायालय मे हुआ। शासन की ओर से पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री संदीप कुमार पाण्डेय के मार्गदर्शन में अपर लोक अभियोजक श्री लक्ष्मीनारायण द्विवेदी द्वारा की गयी। अभियोजन द्वारा साक्ष्य को क्रमबद्ध तरीके से लिपिबद्ध कराकर न्यायालय के समक्ष आरोपीगण के विरूद्ध अपराध को संदेह से परे प्रमाणित किया तथा आरोपीगण के कृत्य को गंभीरतम श्रेणी का मानते हुये कठोर से कठोरतम दंड से दंडित किया जाने का अनुरोध किया। अभिलेख पर आई साक्ष्य और अभियोजन के तर्को एवं न्यायिक दृष्टांतो से सहमत होते हुए माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी-राजकुमार को धारा 302, 201 भादस के आरोप में क्रमशः आजीवन कारावास,4 वर्ष का सश्रम कारावास एवं जुर्माना क्रमशः 1000 रूपये, 500 रूपये एवं आरोपी मिंता आदिवासी को धारा-201 भादसं.के आरोप में 4 वर्ष का सश्रम कारावास एवं जुर्माना 500 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।