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भारत में संतरे की खेती तीसरे प्रमुख फल-फसल के रूप मे ली जाती है- डा. ज्योति कंवर 

महावीर अग्रवाल
मंदसौर 28 मई ;अभी तक;  मन्दसौर जिले में एचडीएफसी बैंक परिवर्तन एवं बाएफ लाइवलीहुड्स मध्यप्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में क्रियान्वित की जा रही एफडीपी वाडी परियोजना अन्तर्गत एक दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र सह उद्यानिकी महाविद्यालय मन्दसौर में किया गया जिसमें ग्राम आगर, खेरखेडी, धामनिया झाली एवं गुराडिया नरसिंह के 22 वाड़ी प्रतिभागियों द्वारा भाग लिया गया।
                          कार्यक्रम में आये सभी वाडी प्रतिभागियों का परियोजना के टीम लीडर श्री आर0जी0 गुप्ता द्वारा मंचासीन वैज्ञानिका से परिचय कराया गया तथा सीतामऊ व गरौठ विकास खण्ड में संचालित एचडीएफसी बैंक परिवर्तन के सामाजिक उत्तरदायित्व के अन्तर्गत वाडी परियोजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी जिसमें श्री गुप्ता द्वारा बताया गया कि इस परियोजना में उक्त ब्लाकों के चयनित 50 ग्राम सम्मिलित किये गये है जिनमें 1200 किसानों को परियोजना से जोडने का लक्ष्य रखा गया है जिसमें से गत वर्ष तक 730 प्रतिभागियों को जोडे जाकर उनके यहाँ एक एकड क्षेत्र में 723 संतरे तथा 07 निम्बु की तकनीकी रुप से वाड़ियाँ स्थापित की जा चुकी है शेष वाड़ियों का कार्य अमल में है  साथ ही किसानों को परियोजना से किये जा रहे सहयोग जिसमें बेसल डोज के रुप में खाद, पौध पोषण तथा संरक्षण हेतु आवश्यक सामग्री, हेण्ड टूल्स, निराई गुडाई एवं प्रुनिंग में सहयोग के साथ-साथ समय-समय पर तकनीकी प्रशिक्षण एवं शैक्षणिक/प्रक्षेत्र भ्रमणों, किसानों के साथ नियमित बैठके आदि का नियमित तोर पर आयोजन किया जा रहा है।
                                    साथ ही बताया गया कि वाड़ी परियोजना मंे स्थापित वाडियों में अधिक मूल्य आधारित अन्तवर्तीय फसलों हेतु भी सहयोग किया जा रहा है। जिससे कि किसानों को नवीन पद्धतियों से अवगत कराते हुए अधिक आय की ओर ले जाया जा सके। कार्यक्रम में उपस्थित उद्यानिकी महाविद्यालय, मन्दसौर की डॉ ज्योति कंवर (फल विभाग) के द्वारा वाड़ी परियोजना के द्वारा किये जा रहे सहयोग से क्षेत्र के किसानों को प्राप्त हो रहे लाभ एवं नकनीकी ज्ञान हेतु एचडीएफसी बैंक परिवर्तन व बाएफ लाइलीहुडस टीम को सराहा एवं उक्त प्रकार की अभिनव पहल के लिये प्रत्येक स्तर पर परियोजना को महाविद्यालय स्तर से सहयोग के लिये आश्वस्त किया गया। साथ ही उपस्थित प्रतिभागी किसानों को बताया कि भारत में संतरे की खेती तीसरे प्रमुख फल फसल के रूप मे ली जाती है व मंदसौर जिला इसमें अग्रणी भूमिका निभाता है। डॉ. कंवर द्वारा संतरे की वाडियों को लगाने के लिए की जाने वाली तैयारियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जिसमें भूमि का चयन, मिट्टी का परीक्षण, गडढा खुदाई कार्य, पौधे से पौधे की दूरी, गडढे में डाली जाने वाली खाद, गडढे को भरे जाने के दौरान मिट्टी को पलाटना, पौध का चयन, पौध रोपाई, थाला निर्माण, ड्रिप का प्रयोग, पौध को सहारा, लगने वाली बीमारियों का उपचार, फलों की छटाई तथा ग्रेडिंग एवं पैकिग कर परिवहन के माध्यम से बाहर भेजने तक के बारे में वीडियों के माध्यम से जानकारी दी साथ ही कार्यक्रम मे उपस्थिति डॉ आर.पी. पटेल (पौध रोप वैज्ञानिक) द्वारा पौधों में लगने वाली बीमारियों कीट आदि में उपयोग करने वाली दवाइयों के बारे में विस्तृत जानकारी दी एवं उपस्थित प्रतिभागियों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का जवाब भी दिया।
                                          इस अवसर पर वाड़ी हितग्राही ग्राम खेरखेडी के श्री परमेश्वर जी द्वारा मंचासीन वैज्ञानिको को अपने अनुभव सांझा करते हुए बताया गया कि इस वाड़ी परियोजना की शुरुआत जे0एल0पाटीदार जी के मार्गदर्शन में जनवरी 2022 से प्रारम्भ की गयी जिसमें तकनीकी विधि से एक एकड क्षेत्र में 110 संतरे के गुणवत्तायुक्त पौधो का रोपण कराया गया है साथ ही वाड़ी परियोजना में प्रत्येक स्तर पर सहयोग किया गया जो कि आम तौर पर किसान द्वारा बगीचे में नहीं किया जाता है यहि कारण है तक आज वाड़ियों में पौधो की ग्रोथ ऐसी हो रही है कि एक साल के पौधे तीन-तीन वर्ष के लगने लगे है। सम्पूर्ण क्षेत्र की ओर से उन्होने एचडीएफसी बैंक परिवर्तन एवं बाएफ संस्था को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
                                   प्रशिक्षण कार्यक्रम के पश्चात् डॉ. कंवर द्वारा उद्यानिकी महाविद्यालय प्रक्षेत्र का भ्रमण कराया गया जिसमें संतरा, ऑवला, बेल, अमरूद के बगीचे, उनकी किस्म तथा ग्रीन नेट में तैयार किये जाने वाले पौधे व देखरेख, बीजू पौधे को कलमी पौधे बनाने के लिए कलम तैयार करना व उनका प्रतिस्थापन के बारे में जानकारी दी तथा उपस्थ्ति किसानों को भ्रमण कराया। प्रक्षेत्र भ्रमण का प्रबन्धन बाएफ लाइवलीहुड्स श्री सुरेश सिंह मेवाडा श्री पुरूपोत्तम मीना द्वारा किया गया।

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