मध्य प्रदेश सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा प्रायोजित वनवासी लीला में “लछमन चरित” का मंचन तुरंत बंद होना चाहिए-रमेशचन्द्र चन्द्रे, मुख्य कथा को मिशनरियों एवं बाद में वामपंथियों ने तोड़ा मरोड़ा है

महावीर अग्रवाल
      मन्दसौर एक जून ;अभी तक;    मध्य प्रदेश सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा प्रायोजित विभिन्न जिला स्थानों पर जो प्रस्तुतियां वनवासी लीला के माध्यम से दी जा रही है उसमें दिनांक 31 मई 2023 को मंदसौर में लक्ष्मण चरित नामक नाटक  प्रस्तुत किया गया जो गोंडवी रामायणी पर आधारित था।
                              गोंडवी रामायणी का कोई लिखित आधार मौजूद नहीं है यह गोंड समाज में लोककथा के आधार पर गायन और मंचन के साथ प्रस्तुत किया जाता है इस समाज की राम कथा में कथा के केंद्र में लक्ष्मण का चरित्र मुख्य होता है इसके साथ ही राम सीता और हनुमान तथा पंडवानी कथा के अंतर्गत भीम यह गोंड समाज के आदर्श हैं किंतु सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा मंचित लक्ष्मण चरित्र में लक्ष्मण को अत्यंत ही कमजोर सिद्ध करने का प्रयास किया गया है जिसमें उन्हें एक बाजा बजाते बजाते 12 साल तक सो जाने वाला तथा एक कमजोर चरित्र के रूप में प्रस्तुत किया है इस प्रसंग में इंद्र की पुत्री इंद्र कामिनी लक्ष्मण को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए षड्यंत्र करती है और कभी बाज और मक्खी बनकर लक्ष्मण को परेशान करती है और एक बार तो वह मंत्र शक्ति से लक्ष्मण को बकरा बना कर इंद्रपुरी ले जाती है जहां से भगवान श्री राम उन्हें छुड़ाकर लाते हैं एक स्थान पर इंद्र की यह पुत्री सीता से युद्ध करती पाई जाती है इसके बाद असंख्य भंवरों की सेना लेकर लक्ष्मण पर आक्रमण कर उसे बंदी बना लेती है जहां श्री राम, भीम की सहायता से उन्हें छुड़ाने जाते हैं और भीम वहां पराजित हो जाते हैं उसके बाद हनुमान जी लक्ष्मण जी को मुक्त करते हैं इस कथा में लक्ष्मण  को अपने चरित्र की शुद्धता को सिद्ध करने के लिए राम द्वारा निर्देशित अग्निपरीक्षा से भी गुजरना होता है।
                        उक्त कथा का वाल्मीकि रचित एवं तुलसीकृत रामायण से कोई संबंध नहीं है यह राम लक्ष्मण के चरित्र को विकृत रूप से प्रस्तुत किया जाने का कुत्सित  प्रयास है।  इसके साथ ही इस लक्ष्मण चरित नामक नाटक में रामायणी एवं पंडवानी कथा का घालमेल कर हिंदू समाज को भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है।
                                उक्त वक्तव्य देते हुए शिक्षाविद रमेशचन्द्र चन्द्रे ने कहा कि आज से 300 साल पूर्व अंग्रेजों के द्वारा भेजी गई मिशनरियों ने आदिवासी गोंड जाति के धर्मांतरण को लेकर अभियान चलाया था जिसमें उन्होंने हिंदुत्व के प्रति कट्टरता की भावनाओं को खंडित करने के लिए वहां के गोंड रामायणी एवं पंडवानी गायको, पंडित एवं पुजारियों को भय एवं लालच के दबाव देकर उन्हें उक्त कथा को प्रभावित कर तथा इसे विकृत करने का षड्यंत्र रचा गया था ताकि गोंड समाज जो लक्ष्मण राम सीता तथा हनुमान एवं भीम के अनन्य भक्त थे उनकी श्रद्धा इन महापुरुषों प्रति खंडित हो जाए और इस समाज के मन में यह बात उत्पन्न हो जाए कि राम लक्ष्मण बहुत कमजोर देवता थे इसी बात को बाद में वामपंथी दलों ने निरंतर बनाए रखने का प्रयास किया।
                                 श्री चन्द्रे ने कहा कि दुर्भाग्य है कि मध्य प्रदेश में भाजपा की हिंदुत्ववादी  सरकार होने के बावजूद और सांस्कृतिक मंत्रालय में दुर्गा वाहिनी की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष उषा ठाकुर मंत्री के रूप में होने के बाद भी हिंदू समाज को तोड़ने के इस षड्यंत्र को वह समझ नहीं पा रहे हैं और इस लक्ष्मण चरित्र नाटक को मंचित करने की अनुमति दे दी।
                          श्री चन्द्रे  ने मुख्यमंत्री एवं सांस्कृतिक मंत्री श्रीमती उषा ठाकुर को पत्र लिखकर मांग की है कि सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा मंचित किए जाने वाले लक्ष्मण चरित को आगामी सभी जिलों में रद्द कर देना चाहिए अन्यथा उन्होंने यह भी कहा है कि मौका पड़ने पर जिन जिलों में इस चरित्र का प्रदर्शन होगा वहां जन जागरण की दृष्टि से वे स्वयं जाकर दर्शकों को सत्य से अवगत कराएंगे।