प्रदेश
महारानी लक्ष्मीबाई कन्या उ.मा.विद्यालय में हुआ दो दिवसीय गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर २० जुलाई ;अभी तक; सीएम राईज महारानी लक्ष्मीबाई कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शासन के निर्देशानुसार आज दो दिवसीय गुरु पूर्णिमा के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त उत्कृष्ट प्राचार्य शिक्षाविद श्री पृथ्वीराज परमार, विद्यालय प्राचार्य श्री के.सी. सोलंकी एवं वरिष्ठ अध्यापक श्री हमीद जैदी ने मां शारदे को माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का प्रारंभ किया।
आरंभ में संस्था प्राचार्य श्री के.सीत्र सोलंकी ने छात्रों को प्रेरक उद्बोधन देते हुए कहा कि गुरु की महिमा सर्वाेपरि है गुरु के मार्गदर्शन से सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं प्राचीन काल में भी गुरुकुल व्यवस्था प्रचलित थी और उसका भारतीय संस्कृति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है आज भी गुरु शिष्य परंपरा पारंपरिक रूप से चली आ रही है छात्रों को गुरु पर अगाध श्रद्धा रखनी चाहिए उनके बताएं मार्ग पर चलकर अपना चौमुखी विकास करना चाहिए। अध्ययन नियमित रूप से करना चाहिए और उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करना चाहिए।
हिंदी विषय उच्च माध्यामिक शिक्षक श्रीमती रेणुका आचार्य ने कहा कि पूरे संसार की पृथ्वी को कागज पूरे वनों के वृक्षों की लकड़ी से कलम और सातों समुद्र के पानी की स्याही बना ली जाए तब भी गुरु की महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता है। उच्च माध्यामिक शिक्षक श्रीमती रचना आर्य ने गुरु की महिमा प्रतिपादित करते हुए कहा कि छात्रों को गुरु की आज्ञा का पालन करना चाहिए माता-पिता और गुरु के नाम को रोशन करना चाहिए। भारतीय संस्कृति का पालन करना चाहिए।
विद्यालय के शिक्षक श्री चेतनदास गणछेड़ ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि सदैव गुरु का सम्मान करो गुरु की कृपा से विद्यार्थी सर्वाेच्च स्थान प्राप्त करता है गुरु के आशीर्वाद से हमेशा कल्याण होता है गुरु शिष्यों को हमेशा अंधकार से उजाले की ओर अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाता है।
मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त उत्कृष्ट प्राचार्य श्री पृथ्वीराज परमार ने कहा कि सदैव गुरु पर श्रद्धा रखनी चाहिए क्योंकि गुरु ही ब्रह्म है गुरु ही विष्णु है गुरु ही महेश्वर है गुरु साक्षात पर ब्रह्म है ऐसे गुरु को हमेशा नमन करना चाहिए उन्होंने विनम्र रहने के भी लाभ बताएं कि जब आंधी चलती है बड़े-बड़े वृक्ष उखड़ जाते हैं परंतु छोटी घास का कोई नुकसान नहीं होता है क्योंकि वह नम जाती है माता-पिता हमारे प्रथम गुरु हैं उन्हें सदैव प्रणाम करके ही दिन की शुरुआत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरु पर कभी भी अविश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि यदि शीश देकर भी गुरु मिले तो भी सस्ता समझना चाहिए। गुरु कुम्हार के समान होता है शिष्य घड़े के समान होता है जिस प्रकार कुम्हार घड़े को पीट-पीट कर उसकी अशुद्धियों को दूर करता है उसी प्रकार गुरु भी शिष्य की अशुद्धियों को फटकार कर, डांट कर दूर करता है और उनका उत्तम चरित्र का निर्माण करता है। अंत में आभार वरिष्ठ अध्यापक श्री हमीद जैदी ने माना उन्होंने भी छात्राओं को सदैव अच्छे कार्य करते रहने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का संचालन अध्यापक कुंदन सांखला ने किया।
आरंभ में संस्था प्राचार्य श्री के.सीत्र सोलंकी ने छात्रों को प्रेरक उद्बोधन देते हुए कहा कि गुरु की महिमा सर्वाेपरि है गुरु के मार्गदर्शन से सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं प्राचीन काल में भी गुरुकुल व्यवस्था प्रचलित थी और उसका भारतीय संस्कृति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है आज भी गुरु शिष्य परंपरा पारंपरिक रूप से चली आ रही है छात्रों को गुरु पर अगाध श्रद्धा रखनी चाहिए उनके बताएं मार्ग पर चलकर अपना चौमुखी विकास करना चाहिए। अध्ययन नियमित रूप से करना चाहिए और उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करना चाहिए।
हिंदी विषय उच्च माध्यामिक शिक्षक श्रीमती रेणुका आचार्य ने कहा कि पूरे संसार की पृथ्वी को कागज पूरे वनों के वृक्षों की लकड़ी से कलम और सातों समुद्र के पानी की स्याही बना ली जाए तब भी गुरु की महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता है। उच्च माध्यामिक शिक्षक श्रीमती रचना आर्य ने गुरु की महिमा प्रतिपादित करते हुए कहा कि छात्रों को गुरु की आज्ञा का पालन करना चाहिए माता-पिता और गुरु के नाम को रोशन करना चाहिए। भारतीय संस्कृति का पालन करना चाहिए।
विद्यालय के शिक्षक श्री चेतनदास गणछेड़ ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि सदैव गुरु का सम्मान करो गुरु की कृपा से विद्यार्थी सर्वाेच्च स्थान प्राप्त करता है गुरु के आशीर्वाद से हमेशा कल्याण होता है गुरु शिष्यों को हमेशा अंधकार से उजाले की ओर अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाता है।
मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त उत्कृष्ट प्राचार्य श्री पृथ्वीराज परमार ने कहा कि सदैव गुरु पर श्रद्धा रखनी चाहिए क्योंकि गुरु ही ब्रह्म है गुरु ही विष्णु है गुरु ही महेश्वर है गुरु साक्षात पर ब्रह्म है ऐसे गुरु को हमेशा नमन करना चाहिए उन्होंने विनम्र रहने के भी लाभ बताएं कि जब आंधी चलती है बड़े-बड़े वृक्ष उखड़ जाते हैं परंतु छोटी घास का कोई नुकसान नहीं होता है क्योंकि वह नम जाती है माता-पिता हमारे प्रथम गुरु हैं उन्हें सदैव प्रणाम करके ही दिन की शुरुआत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरु पर कभी भी अविश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि यदि शीश देकर भी गुरु मिले तो भी सस्ता समझना चाहिए। गुरु कुम्हार के समान होता है शिष्य घड़े के समान होता है जिस प्रकार कुम्हार घड़े को पीट-पीट कर उसकी अशुद्धियों को दूर करता है उसी प्रकार गुरु भी शिष्य की अशुद्धियों को फटकार कर, डांट कर दूर करता है और उनका उत्तम चरित्र का निर्माण करता है। अंत में आभार वरिष्ठ अध्यापक श्री हमीद जैदी ने माना उन्होंने भी छात्राओं को सदैव अच्छे कार्य करते रहने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का संचालन अध्यापक कुंदन सांखला ने किया।