राष्ट्रीय महिला संघ द्वारा दो दिवसीय शिविर संपन्न

महावीर अग्रवाल 

मंदसौर ३१ मार्च ;अभी तक;  जिनशासन गौरव, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी म.सा. एवं प्रज्ञा रत्न उपाध्याय श्री जितेशमुनिजी म.सा., महाश्रमणी रत्ना श्री प्रभावती जी म.सा. आदि ठाणा का होली चातुर्मास के मंगलमय पावन प्रसंग पर दशपुर की धरा मंदसौर पर पदार्पण हुआ।  इस दौरान  राष्ट्रीय महिला संघ द्वारा दो दिवसीय शिविर का आयोजन का किया गया।
                              प्रथम क्लास आदर्श सेवारत्न श्री विनोदमुनि जी म.सा. द्वारा ली गई जिसमें  पांच अभिगम  के बारे में विस्तृत रूप से बताया कि जैसे धर्म स्थान जाने के पांच अधिगम है। इसी प्रकार कर्म स्थान में भी प्रवेश के साथ जानकारी होना चाहिए, दो कर्म स्थान बताए है, पहला घर परिवार  दूसरा बाजार, व्यापार,दुकान,समाज आदि। घर के पांच अभिगम स्नेहशीलता, श्रमशीलता, सृजनशीलता, संवेदनशीलता और सहनशीलता है। ऐसे ही श्रावक के लिए दुकान, ऑफिस एवं औद्योगिक क्षेत्र के भी पांच अभिगम जिम्मेदारी,वफादारी ईमानदारी,बहादुरी और समझदारी है। जहां इनका ध्यान रखा जाता है वहां शुभ नाम कर्म का बंध होता है।
                            द्वितीय क्लास तरुण तपस्विनी विदुषी महासती श्री युग प्रभा जी म.सा. ने आपका चौका आपका चरित्र के ऊपर समझाईस देते हुए बताया कि पेड़ का आधार उनकी जड़ होता है उसी प्रकार शरीर का आधार भोजन है भोजन बनाते समय द्रव्य,क्षेत्र,काल, भाव की शुद्धि जुड़ती है इसलिए भोजन बनाते समय मन में यह भाव रखे कि यह भोजन जिसके भी शरीर में जावे,उसके ज्ञान,दर्शन,चारित्र,तप की आराधना में सात पहुंचे।भोजन बनाते समय कभी भी निगेटिव विचार मन में नहीं लाना चाहिए।
                               तृतीय क्लास प्रज्ञा रत्न,उपाध्याय  श्री जितेशमुनि जी म.सा ने नवकार महामंत्र महाशक्तिशाली  कैसे  अपनाए के बारे में विस्तृत जानकारी नवकार का परिचय देते हुए बताया की नो तत्व में से अरिहंत का जीव तत्व एवं पुण्य तत्व है,सिद्ध का जीव तत्व है,आचार्य का संवर तत्व उपाध्याय का निर्जरा तत्व एवं साधु का मोक्ष तत्व है।जीव से शिव बनना है-  साधक से मोक्ष जाना है। इस लक्ष्य को पाने के तीन तत्व सहायक हैं पुण्य,संवर और निर्जरा। संवर एवं निर्जरा यही धर्म है और पुण्य धर्म का प्रोटोकॉल है।
                            द्वितीय दिवस प्रथम क्लास विद्वान संत श्री कौशल मुनि जी म.सा. ने संस्कार निर्माण में नारी की भूमिका विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया कि संस्कार के बीजारोपण में नारी की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, अपने बच्चों को संस्कारित करने के लिए पहले स्वयं अपनी जीवन चर्या को सुधारना होगा।इतिहास के बहुत से उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि नारी कैसे संयमित एवं अनुशासित रहते हुए संस्कारवान संतान प्राप्ति के लक्ष्य को पा सकती है एवं अपने परिवारजनों को संस्कारवान बनाने के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकती है। द्वितीय क्लास आदर्श संयम रत्न श्री विशालप्रिय जी म.सा. द्वारा तनाव मुक्ति के उपाय -इस विषय को विस्तार से समझाते हुए बताया कि तनाव एवं दुखी मन के लक्षण क्या है।तनाव ग्रस्त होने कारण क्या है और हम इस दुख और तनाव से कैसे बच सकते हैं। महाराज श्री ने फरमाया कि तनाव एवं दुख के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं बाह्य एवं अभ्यंतर।तनाव के सभी पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए जीवन को तनाव मुक्त करने के प्रभावी उपाय भी बताएं।
राष्ट्रीय महिला संघ अध्यक्ष अंजना जैन ने स्वागत उद्बोधन देते हुए बताया कि शिविर की सफलता इस बात पर निर्भर है कि आप शिविर के माध्यम से अधिक से अधिक सीख पाए एवं अपने जीवन में चरितार्थ करने का प्रयास करें। कोषाध्यक्ष मोनिका बाफना ने बताया कि समय-समय पर महिला संघ द्वारा विभिन्न धार्मिक गतिविधियां संचालित की जाती रही है। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष किरण जैन ने बताया कि शिविर में बीकानेर, चित्तौड़गढ़,ब्यावर,रतलाम,सरवानिया महाराज, चिकारड़ा, भदेसर, फतेहनगर उदयपुर, चेन्नई, मुंबई, दुर्ग, अजमेर, सूरत जावरा, इंदौर, मंदसौर आदि अनेक क्षेत्रो से 200 से अधिक बहनों ने उपस्थिति दर्ज कराकर शिविर को सफल बनाया है। सचिव प्रियंका मूणत ने बताया कि सभी बहनों ने शिविर के प्रत्येक विषय को गहराई से समझा एवं जाना और अपने जीवन एवं परिवार को उन्नत बना सकते हैं। शिविर में भाग लेने वाले सभी शिविरार्थियों को उपहार स्वरूप पोषध सेट दिया गया। उपरोक्त जानकारी किरण जैन द्वारा दी गई ।