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वर्ल्ड गौरया दिवस 20 मार्च ; विलुप्त होने की कगार पर गौरैया, संरक्षण के प्रयासों में लगे खंडवा के मुकेश
मयंक शर्मा
खंडवा १९ मार्च ;अभी तक; मकान के छज्जे, खिड़की तो कभी खुले आंगन में फुदकती गौरैया हम सब ने देखी है। उनका कलरव सुनकर हम बडे़ हुए हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में अचानक गौरैया गायब सी हो गई है, अब वो इतनी आसानी से नहीं दिखती। हम सब ने तो गौरैया के हमारे आस-पास से चले जाने पर गौर नहीं किया है, लेकिन एक युवा ने गौरैया की इस अनुपस्थिति को भांप लिया है। अपने छोटे से आकार वाले खूबसूरत पक्षी चिड़िया या गौरैया का कभी इंसान के घरों में बसेरा हुआ करता था और बच्चे बचपन से इसे देखते बड़े हुआ करते थे। अब स्थिति बदल गई है। गौरैया के अस्तित्व पर छाए संकट के बादलों ने इसकी संख्या काफी कम कर दी है।
20 मार्च आज वर्ल्ड गौरेया दिवस है, गौरैया चिड़िया धीरे-धीरे विलुप्त होने को है। घर-आंगनों में चहलकदमी करने वाली यह अद्भुत चिड़िया अब कहीं दिखाई नहीं देती। इसके बिना आंगन भी सूने लगते हैं। चिड़िया को बचाने या फिर जो बची हैं उन्हें संरक्षित करने के लिए कुछ लोगों ने बीड़ा उठाया हुआ है। उन्ही में एक पर्यावरण प्रेमी खंडवा के दादाजी वार्ड निवासी मुकेश काले जी जिन्होंने 10 साल की मेहनत से अपने छत पर टेरेस गार्डन तैयार किया है। मित्र हेमन्त मोराने बताते है मुकेश जी ने अपने घर की छत पर एक लोहे के एंगल पर पक्षी घर भी बनवाया और उसमें दाना पानी रखने हेतु सुविधा की छत में भी पानी की व्यवस्था की, छायादार जगह बनाकर वहां पानी के बर्तन भर कर रखें। पक्षियों के लिए चना, चावल, ज्वार, गेंहूं आदि जो भी घर में उपलब्ध हो उस चारे की व्यवस्था छत पर की गई। देखते ही देखते कुछ सालों में गौरैया चिड़िया ने घोसला बनाना शुरू कर अण्डे भी देने शुरू कर दिया। अब उनके छत के गार्डन में कई पक्षियों ने घोंसला बना रखा है। भूख प्यास से भटक रहे पक्षी उसमे आराम से बैठ कर अपनी भूख और प्यास मिटाते है । साथ ही विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे लगा रखे है जिससे पक्षियों को उनके घर जैसा एहसाह हो और वह वहां अपना घोंसला भी बना सके।
काले जी बताते है सुबह आंखें खुलते ही घर की छत पर और आस-पास गौरेया, मैना व अन्य पक्षियों की चहक मन को मोह लेती है। घरों के बाहर फुदकती गौरेया बच्चों सहित बड़ों को भी अपनी ओर आकर्षित करती है। गर्मियों में घरों के आसपास इनकी चहचहाहट बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि लोग पक्षियों से प्रेम करें और उनका विशेष ख्याल रखें। अपने छोटे से आकार वाले खूबसूरत पक्षी चिड़िया या गौरैया का कभी इंसान के घरों में बसेरा हुआ करता था और बच्चे बचपन से इसे देखते बड़े हुआ करते थे। अब स्थिति बदल गई है। गौरैया के अस्तित्व पर छाए संकट के बादलों ने इसकी संख्या काफी कम कर दी है। घरों को अपनी चीं..चीं से चहकाने वाली गौरैया अब दिखाई नहीं देती और कहीं कहीं तो अब यह बिल्कुल दिखाई नहीं देती। पहले यह चिड़िया जब अपने बच्चों को चुग्गा खिलाया करती थी तो इंसानी बच्चे इसे बड़े कौतूहल से देखते थे। लेकिन अब तो इसके दर्शन भी मुश्किल हो गए हैं और यह विलुप्त हो रही प्रजातियों की सूची में आ गई है।
पेशे से व्यवसायी मुकेश काले जी जिन्होंने नो साल पहले एक दो फूल के पौधे लगाने के बाद दादाजी वार्ड खंडवा, के मुकेश काले को प्रकृति से ऐसा प्यार हुआ कि उन्होंने अपने घर की 600 स्क्वायर फ़ीट छत पर ही सुन्दर गार्डन बना लिया, जहां वह सुकून से समय बिताते हैं। पेशे से बिजनेसमैन मुकेश काले, जिस घर में रहते थे, वहां आस-पास बिल्कुल कम हरियाली थी। आस-पास के किसी घर में भी कोई गार्डनिंग नहीं करता था। लेकिन प्रकृति प्रेमी मुकेश को यह बात बड़ी खलती थी। समय और जानकारी की कमी के कारण वह खुद भी गार्डनिंग नहीं कर पा रहे थे। लेकिन वह कहते हैं न कभी-कभी एक छोटी सी सोच से बड़े बदलाव आ जाते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ उनके साथ भी, नो साल पहले कुछ एक दो पौधे लगाने के बाद उन्हें गार्डनिंग में इतनी रुचि बढ़ गई कि आज उन्होंने अपने घर की छत को हरा-भरा बना दिया है।
तभी अपने घर की छत पर बर्ड हाउस बनाने का विचार आया उन्होंने गार्डन में पक्षियों को आकर्षित करने के लिए एक सुन्दर स्टैंड खुद डिज़ाइन करके बनवाया है, जिसमें पौधे लगाने के लिए जगह के साथ-साथ पक्षियों के लिए फ़ूड स्टैंड भी बने हैं। पहले इस वीरान सी छत में ज्यादा पक्षी नहीं आते थे, लेकिन आज उनके गार्डन में तरह-तरह के पक्षी, तितलियां और मधुक्खियाँ नियमित आती रहती हैं।
उनकी पत्नी पूर्णिमा काले और पुत्र आदित्य अथर्व पिता जी गोविंद काले सभी
पूरे परिवार पक्षियों का ध्यान रखते है। कितने ही चिड़ियों और कबूतरों ने यहाँ अपना घोंसला भी बना रखा है।
उन्होंने वर्ल्ड गौरैया दिवस पर लोगो से अपने पास आस पक्षियों की प्यास बुझाने घर की छत पर दाना पानी रखने की अपील की है। लोगों का थोड़ा सा प्रयास घरों के आस पास उड़ने वाले परिंदों की प्यास बुझाकर उनकी जिंदगी बचा सकता है।