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वाल्मीकि समाज ने आराध्य देव संत वाल्मीकि की जयंती बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १७ अक्टूबर ;अभी तक ; संत वाल्मीकि जयंती प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी वाल्मीकि समाज द्वारा बड़े धूमधाम से मनाई गई। यह दिन संत वाल्मीकि की शिक्षाओं और उनके योगदान को याद करने का अवसर होता है। इस अवसर पर समाज के लोग विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जैसे कि भजन, कीर्तन, और विचार गोष्ठियाँ। संत वाल्मीकि को भारतीय साहित्य का महान संत माने जाते है और उनकी रचनाएँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।
वाल्मीकि समाज ने गांधी चौराहा पर श्याम बाबा हरदेव लाला के मंदिर में एकत्रित होकर आराध्य देव वाल्मीकि की जयंती धूमधाम से मनाई। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की, भजन-कीर्तन किए और संत वाल्मीकि के योगदान को याद किया। कार्यक्रम में समाज के नेताओं ने उनके विचारों और शिक्षाओं पर प्रकाश डाला, जिससे युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिले। इस तरह के आयोजन सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने का काम करते हैं।
वाल्मीकि समाज ने गांधी चौराहा पर श्याम बाबा हरदेव लाला के मंदिर में एकत्रित होकर आराध्य देव वाल्मीकि की जयंती धूमधाम से मनाई। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की, भजन-कीर्तन किए और संत वाल्मीकि के योगदान को याद किया। कार्यक्रम में समाज के नेताओं ने उनके विचारों और शिक्षाओं पर प्रकाश डाला, जिससे युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिले। इस तरह के आयोजन सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने का काम करते हैं।
वाल्मीकि जयंती के अवसर पर समाज के लोगों ने संत वाल्मीकि की प्रतिमा पर पुष्पमाला चढ़ाई। तथा सभी ने मिलकर संत के जीवन को याद किया। कार्यक्रम में श्रद्धा और सम्मान के साथ पूजा-अर्चना की गई, जिससे समाज में एकता और भक्ति का भाव बढ़ा। यह अवसर संत वाल्मीकि के योगदान को मनाने का था, जो आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।
इस अवसर पर समाज के अध्यक्ष राजाराम तंवर, समाज के पटेल मुकेश चनाल, नरेश चौधरी, जीवन गोसर, बसंत परमार, विजय परमार, मंगल कोटीयाना, विष्णु मकवाना, चेतन गछेड, सतीश खेरालिया, दिलीप बागडीया, भेरुलाल बांसुरिया, शैलेंद्र डागर आदि समाज जन मौजूद थे।