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श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस प.पू. श्री उत्तम स्वामीजी ने कहा ;मनुष्प पापकर्म करने से बचे, पापकर्म जीवन में दुख देते है

महावीर अग्रवाल
मंदसौर १८ दिसंबर ;अभी तक;  गर्ग (केडिया) व काबरा परिवार के तत्वावधान में रूद्राक्ष माहेश्वरी धर्मशाला में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा (ज्ञान गंगा महोत्सव) का आयोजन किया जा रहा है। दिनांक 17 से 23 दिसम्बर तक प्रतिदिन दोप. 1 से सायं 5 बजे तक परम पूज्यनीय महर्षि 1008 महामण्डलेश्वर श्री श्री उत्तम स्वामीजी के मुखारविन्द से यह श्रीमद् भागवत कथा हो रही है। रामगोपाल बापूलाल काबरा परिवार, पन्नालाल सालगराम गर्ग (केडिया) व पन्नालाल दुलीचंद गर्ग (केडिया) परिवार के द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का विराट आयोजन हो रहा है। इस कथा महोत्सव में प्रतिदिन हजारों धर्मालुजन रूद्राक्ष माहेश्वरी धर्मशाला में आकर कथा का रसपान कर रहे है।
                                   सोमवार को श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस प्रहलाद रामगोपाल काबरा, सत्यनारायण गर्ग (केडिया), पीयूष ट्रेडर्स परिवार व प्रहलाद पीयूष गर्ग (केडिया) परिवार एवं प.पू. उत्तम स्वामी गुरू भक्त मण्डल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री तपन भौमिक के द्वारा भागवत पोथी का पूजन किया गया। पोथी पूजन के उपरांत प.पू. महर्षि महामण्डलेश्वर श्री उत्तमस्वामीजी ने धर्मसभा में कहा कि मनुष्य को पाप व पुण्य के भेद को समझना चाहिये। जीवन में यदि पाप करोगे तो उसका परिणाम दुखद ही होगा। तथा पुण्य का परिणाम सुखद होगा। श्रीमद् भागवत हमें पाप व पुण्य का भेद समझाती है। भागवत कथा मनुष्य के विवेक को जागृत करती है तथा जीवन में प्रभु भक्ति का गुण बड़ाती है। यदि नास्तिक व्यक्ति भी इसका श्रवण करता है तो वह धर्म के प्रति आस्थावान बन जाता है। श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस प.पू. श्री उत्तमस्वामीजी के श्रीमुख से श्रीकृष्ण के भक्ति गीतों को सुनकर धर्मालुजनों ने नृत्य भी किया।
                                        प.पू. श्री उत्तमस्वामीजी ने पाप के प्रकारों का वर्णन करते हुए कहा कि भागवत व धर्मग्रंथों में 1100 प्रकार के पापकर्म बताये गये है। तथा उनका भिन्न भिन्न फल बताया गया है। मद्यपान (शराब) पीना, चोरी करना, विद्वान सद्गुणी व्यक्तियों को परेशान करना श्रीमद् भागवत में पाप बताया गया है। जो ऐसे पाप करता है मनुष्य को ऐसे व्यक्तियों की संगति भी नहीं करना चाहिये। आपने कहा कि चिंता करने या दुख से शरीर घटता है, पाप करने से पुण्य घटता है। जीवन में यदि पुण्य बड़ाना है तो पापकर्म करना छोड़ों। पापकर्म करने से बचो और पुण्य कर्म करने का प्रयास करे। जीवन में यदि आप दुखी है तो विचार करें कि यह दुख क्यों है ? यदि हम पापकर्म करते है तो हमें उसका परिणाम दुख के रूप में ही भोगना पड़ता है। जीवन में यदि संतान होने  पर भी संतान के कारण दुख है विवाहित होने पर भी पत्नी के कारण दुख है तो जीवन में आत्मचिंतन की जरूरत है। आपने कहा कि जीवन में यदि दुख है तो उसे केवल गुरूजनों के सामने प्रकट करो और क्या समाधान है पूछो। यदि आप दुख के किस्से दूसरों को सुनाओगे तो तुम्हारा मजाक ही उड़ेगा। तुम्हारे दुखों पर तर्क वितर्क होगा, लेकिन समाधान नहीं होगा।
                                         परम पूज्य श्री उत्तम स्वामीजी ने यह भी कहा कि अहंकारी व्यक्ति सदैव ही माथे पर बैठने की कोशिश करता है। दुर्योधन जब भगवान कृष्ण से मिलने द्वारिका गया था तब उसने श्री कृष्ण से युद्ध में सहायता मांगने की कामना से कृष्ण के सिर के पास बैठ गया था तो दूसरी ओर अर्जुन कृष्ण के पैर के पास बैठे। अर्थात जो सद्गुणी व्यक्ति होता है वह प्रभु के चरणों में बैठता है और जो अहंकारी व्यक्ति होता है वह माथे पर ही बैठता है। श्री उत्तम स्वामीजी ने महाभारत की कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि नारायण से मांगने और नारायण को मांगने में फर्क है। जब दुर्योधन के पास श्री कृष्ण को मांगने का अवसर था तब उसने 18 अक्षुणी सेना मांगी और कृष्ण को नहीं मांगा। उसका विचार था कि निहत्था श्री कृष्ण मेरे किस काम का है लेकिन दूसरी ओर अर्जुन जो प्रभु श्री कृष्ण के भक्त थे उन्होंने 18 अक्षुणी सेना मांगने के बजाय श्री कृष्ण को मांगा। श्री उत्तम स्वामीजी ने महाभारत की कथा का वृतान्त बताते हुए कहा कि जीवन में हमें युधिष्ठिर जैसा सत्यवादी व अर्जुन जैसा पराक्रमी बनने का प्रयास करना चाहिये। लेकिन हमें दुर्योधन व अश्वथामा जैसा पाप कर्म करने वाला व्यक्ति नहीं बनना चाहिये क्योंकि दुर्योधन ने अपने ही भाईयों की सम्पत्ति हड़पने का पाप किया तो अश्वथामा ने रात्रि में सोते हुए पांच पाण्डव कुमार पुत्रों का वध कर दिया और उत्तरा के गर्भ में पल रहे गृभस्थ शिशु पर ब्रह्मास्त्र का प्रहार किया। प्रभु श्री कृष्ण की कृपा से अभिमन्यु का पुत्र राजा परीक्षित के रूप में जन्मा और उसने श्री कृष्ण की ऐसी भक्ति की कि आज भी कृष्ण भक्त के रूप में राजा परीक्षित का नाम संसार में अमर है।
इन्होंने किया पौथी पूजन-
                                    श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस सोमवार को दोपहर में कथा शुभारंभ अवसर पर गर्ग (केडिया) व काबरा परिवार के सदस्यगणों ने पौथी पूजन किया। गर्ग परिवार की ओर से हरिश गर्ग, महेश गर्ग, रमेश (रम्मु) अग्रवाल, सूरजमल गर्ग, जगदीश गर्ग, विनोद गर्ग, दिलीप गर्ग, प्रहलाद गर्ग, ब्रह्मप्रकाश गर्ग, पियुष गर्ग, हितेश गर्ग, हिमांशु गर्ग, कैलाश अग्रवाल रतलाम, काबरा परिवार की ओर से प्रहलाद काबरा, कल्याणमल न्याती, नारायण अजमेरा, लक्ष्मीनारायण जमीदार, दामोदर, मणीलाल, रामेश्वर काबरा व गर्ग परिवार के आग्रह पर मंदसौर कथा श्रवण करने पधारे प्रतीक काले नासीक महाराष्ट्र, सुरेश पटेल जावरा, रामजीवन यादव सिहार, जीवन यादव देवास, हरिश माहेश्वरी बदनावर, ईश्वर मालवीय आगर, सूरज जोशी इंदौर, इकबाल भाई झालोद गुंजरात, सुरेश पांचाल जावरा, कमल आंजना नीमच, कमल गर्ग, नरेन्द्र गर्ग, रामेश्वर गर्ग, जनपद पंचायत मंदसौर अध्यक्ष बसंत शर्मा, युवा कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सोमिल नाहटा, युवा भाजपा नेता डॉ. भानुप्रतापसिंह सिसौदिया, युवा प्रेस क्लब अध्यक्ष महावीर जैन, रोटरी क्लब के अध्यक्ष पवन पोरवाल, सचिव अनिल चौधरी, दिनेश जैन सीए, भूपेन्द्र सोनी, डॉ. अजय व्यास, प्रवीण उकावत, श्रवण अग्रवाल, दिनेश रांका, संजय गोठी, अजय नागोरी, राजेश संचेती, डॉ. वीणा व्यास, हनुमंत राणावत, मनीष गर्ग आदि ने भागवत पौथी की आरती की।

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