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श्री प्रेमप्रकाश आश्रम में साई टेऊराम चालीहा महोत्सव का आनन्द

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर ५ जून ;अभी तक;  सिन्धी हिन्दू समाज की प्रमुख धर्मपीठ श्री प्रेमप्रकाश पंथ की प्रमुख धर्मपीठ मदसौर शाखा श्री प्रेमप्रकाश आश्रम में सनातन धर्म के प्रवर्तक मंगलमूर्ति आचार्य सदगुरू स्वामी टेऊँराम महाराज के 137 वें जन्म दिवस के अंतर्गत 14 मई से 23 जून तक सद्गुरू टेऊँराम चालीहा महोत्सव बड़े ही श्रद्धा, समर्पण, उत्साह एवं उमंग के साथ मनाया जा रहा है। प्रतिदिन शाम 5 से 7 बजे तक गुरू दरबार श्री प्रेमप्रकाश आश्रम में संगत उमड़ रही है और महिला मण्डल की प्रमुख श्रीमती पुष्पा पमनानी व महिला मण्डली प्रेमप्रकाश ग्रंथ एवं श्रीमद् भगवत गीता की अमृतमयी वाणी का सत्संग वर्खा कर रही है।
                          इस आशय की जानकारी श्री प्रेमप्रकाश सेवा मण्डली के अध्यक्ष पुरुषोत्तम शिवानी ने देते हुए बताया कि रविवार 4 जून को सन्त श्री शम्भूलाल प्रेमप्रकाशी जो गद्दीनशीन सदगुरू भगतप्रकाश महाराज व संत मण्डल के साथ विदेश के बैंकाक, सिंगापुर, जकार्ता की धार्मिक यात्रा के बाद लौटकर चालिहा उत्सव के 22 वें दिवस को श्री प्रेमप्रकाश आश्रम मंदसौर पधारे नीमच, पिपलियामंडी में सत्संग के बाद मंदसौर पधारे जहां पर गुरू दरबार के सत्संग हाल में खचाखच संगत पर अपने मुखारविंद से अपनी अमृतमयी वाणी में कहा कि चालीहा उत्सव के शुभ दिवस चल रहे है। इन दिनों में संगत के श्रद्धालु सदगुरू व भगवान की कामना करके जो भी आराधना,  साधना व तपस्या करते है वो अवश्य पूर्ण होती है।
                           टेऊँरामजी महाराज की माता कृष्ण ने भी साधुओं के वेश में पधारे, भगवान के वरदान से 40 दिवस तक भगवान शिवशंकर के प्रति व्रत रखकर आराधना की थी कि योगिया मेरी कोख से का अवतार हो उसका परिणाम था कि भगवान स्वरूप टेऊँराम महाराज का अवतार हुआ। देश के विभाजन के पूर्व गिनती के 3-4 आश्रम ही थे किन्तु आज हमारी दूसरी बादशाही सद्गुरू स्वामी सर्वानन्द महाराज की तपस्या व मेहनत का परिणाम है जो देश विदेश के हर प्रमुख शहर में श्री प्रेमप्रकाश आश्रम की शाखा है और सनातन धर्म का खूब प्रचार कर पंथ का डंका गूंज रहा है।  आपने संगत को 40 दिवस में गुरू आराधना से मानव सेवा नर नारायण सेवा, लोभ व अहंकार त्यागने की प्रेरणा दी।
आपने अपनी विदेश यात्रा के अच्छे एवं प्रेरणादायक संस्मरणों को बतलाते हुए कहा कि सिंगापुर में एक ऐसा माल है जहां पर ग्राहक स्वयं अपनी आवश्यकता की वस्तु लेकर उसकी निर्धारित कीमत का ऑनलाइन पेमेंट कर वस्तु ले जावे। कोई कर्मचारी आपको टोकने वाला नहीं हैं यह एक ईमानदारी की मिसाल है। हमें साफ सफाई, अनुशासन, विदेशों से आज भी सिखना चाहिये।
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