प्रदेश
श्री प्रेमप्रकाश आश्रम में टेऊँराम चालीसा महोत्सव का आनन्द ही आनन्द
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १८ जून ;अभी तक; सिन्धी हिन्दू समाज की प्रमुख धर्मपीठ श्री प्रेमप्रकाश पंथ की मंदसौर शाखा श्री प्रेमप्रकाश आश्रम में सनातन धर्म के प्रवर्तक मंगलमूर्ति आचार्य सतगुरू स्वामी टेऊँरामजी महाराज के 138वें जन्मदिवस के अंतर्गत चालीसा महोत्सव जो 1 जून से 11 जुलाई 2024 तक बड़े ही श्रद्धा, उमंग व प्रेव पूर्वक मनाया जा रहा है। जिसमें प्रतिदिन सुबह व शाम सत्संग प्रवचनों का एवं भोग प्रसाद व भण्डारे का आयोजन हो रहा है। इसके अंतर्गत आज 17वें दिवस 17 जून को संत श्री शंभूलाल के पावन सानिध्य में पूजा अर्चना एवं सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में संगत ने संत श्री की अमृतमयी वाणी का श्रवण किया।
उक्त आशय की जानकारी श्री प्रेमप्रकाश सेवा मण्डली के अध्यक्ष पुरूषोत्तम शिवानी ने देते हुए बतलाया कि संत श्री शंभूलालजी प्रेमप्रकाशी ने कहा कि सामान्य व्यक्ति का जन्मदिवस एक दिन तो क्या कुछ घण्टों में ही समाप्त हो जाता है किन्तु आचार्य सद्गुरू का जन्मोत्सव 40 दिन तक देश-विदेश के प्रमुख शहरों, घरों एवं प्रेमप्रकाश आश्रम में मनाया जाता है। विरले महापुरूष होंगे जिनका जन्मोत्सव उनके अनुयायी 40 दिन तक मनाते है। गादिनशीन सतगुरू भगतप्रकाशजी महाराज के सुंदर भजन ‘‘स्वामी टेऊँरामजी की महिला अपार, बेड़ा सभिन जा कन्दो अपार’’ के माध्यम से साधकों एवं अनुयायी के चालिसे उत्सव में नाम, ध्यान, तप, साधना, भक्ति आधार, गुनाह न करने की प्रतिज्ञा जैसी 40 साधनों का गुणगान किया गया है जिससे एक व्रत करके अपने मन को सतगुरू में लगायेगा तो आपकी नैया इस भवसागर से पार लग जायेगी। आपने कहा कि चालिसे का पर्व एक उपवास है, जीवन में सत्संग, श्रवण करने से समय सफल होता है तो सत्संग को अपने जीवन में लागू करने से आपका जीवन सफल होना है। स्वामी टेऊँरामजी महाराज की महिला अपरम्पार है। वे दानी दातार है, हर मनुष्य का बेड़ा पार कर देते है।
संतश्री ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति को देखकर हमारे देश में भी कुछ लोग रात्रि 12 बजे अपना जन्मोत्सव म नाते है वो घोर निंदनीय है। संत महात्माओं का जन्मदिवस अमृतवेला सुबह 3 बजे एवं गृहस्थ जीवन के मनुष्यों का अपना जन्मोत्सव सूर्योदय के समय भगवान सतगुरूओं के दर्शन एवं जरूरतमंद को भोजन एवं गाय माता की सेवा के साथ मनाना चाहिये।
अंत में आभार प्रदर्शन महिला मण्डली प्रमुख श्रीमती पुष्पा पमनानी ने प्रकट किया। संत श्री शंभूलालजी के विशेष अरदास ‘‘पल्लव’’ के उपरांत प्रसादी भण्डारे का आयोजन रखा गया था।
उक्त आशय की जानकारी श्री प्रेमप्रकाश सेवा मण्डली के अध्यक्ष पुरूषोत्तम शिवानी ने देते हुए बतलाया कि संत श्री शंभूलालजी प्रेमप्रकाशी ने कहा कि सामान्य व्यक्ति का जन्मदिवस एक दिन तो क्या कुछ घण्टों में ही समाप्त हो जाता है किन्तु आचार्य सद्गुरू का जन्मोत्सव 40 दिन तक देश-विदेश के प्रमुख शहरों, घरों एवं प्रेमप्रकाश आश्रम में मनाया जाता है। विरले महापुरूष होंगे जिनका जन्मोत्सव उनके अनुयायी 40 दिन तक मनाते है। गादिनशीन सतगुरू भगतप्रकाशजी महाराज के सुंदर भजन ‘‘स्वामी टेऊँरामजी की महिला अपार, बेड़ा सभिन जा कन्दो अपार’’ के माध्यम से साधकों एवं अनुयायी के चालिसे उत्सव में नाम, ध्यान, तप, साधना, भक्ति आधार, गुनाह न करने की प्रतिज्ञा जैसी 40 साधनों का गुणगान किया गया है जिससे एक व्रत करके अपने मन को सतगुरू में लगायेगा तो आपकी नैया इस भवसागर से पार लग जायेगी। आपने कहा कि चालिसे का पर्व एक उपवास है, जीवन में सत्संग, श्रवण करने से समय सफल होता है तो सत्संग को अपने जीवन में लागू करने से आपका जीवन सफल होना है। स्वामी टेऊँरामजी महाराज की महिला अपरम्पार है। वे दानी दातार है, हर मनुष्य का बेड़ा पार कर देते है।
संतश्री ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति को देखकर हमारे देश में भी कुछ लोग रात्रि 12 बजे अपना जन्मोत्सव म नाते है वो घोर निंदनीय है। संत महात्माओं का जन्मदिवस अमृतवेला सुबह 3 बजे एवं गृहस्थ जीवन के मनुष्यों का अपना जन्मोत्सव सूर्योदय के समय भगवान सतगुरूओं के दर्शन एवं जरूरतमंद को भोजन एवं गाय माता की सेवा के साथ मनाना चाहिये।
अंत में आभार प्रदर्शन महिला मण्डली प्रमुख श्रीमती पुष्पा पमनानी ने प्रकट किया। संत श्री शंभूलालजी के विशेष अरदास ‘‘पल्लव’’ के उपरांत प्रसादी भण्डारे का आयोजन रखा गया था।