श्री प्रेमप्रकाश आश्रम में संकट मोचन श्री हनुमान जन्मोत्सव का महापर्व एवं चेत्र मेला 102 संगत ने श्रद्धा के साथ मनाया

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर १० अप्रैल ;अभी तक;  संकट मोचन श्री हनुमान जन्मोत्सव एवं सतगुरु टेऊरामजी महाराज की स्थापित सिन्धी हिन्दू समाज की प्रमुख धर्मपीठ का 102वां चैत्र मेला के निमित्त श्री गोस्वामी तुलसीदास कृत सुन्दरकाण्ड, श्री हनुमान चालीसा, श्रीमद् भागवत गीता एवं श्री प्रेमप्रकाश ग्रंथ के पाठों का भोग चौत्र मास की पूर्णिमा की मासिक श्री सत्यनारायण भगवान की संगीतमय कथा का श्रवण का धार्मिक कार्यक्रम श्री प्रेमप्रकाश महिला मण्डली की प्रमुख दादी पुष्पा पमनानी के सानिध्य में श्रीमती माला मुलचंदानी वह योगेश गोविंदयानी श्री प्रेम प्रकाश महिला मंडली ने संगत के साथ पूर्ण निष्ठा एवं धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत श्री प्रेमप्रकाश आश्रम में सम्पन्न किया।

                                 इस आशय की जानकारी सेवा मण्डली के अध्यक्ष पुरूषोत्तम शिवानी ने देते हुए हनुमान जन्मोत्सव दिनांक 6 अप्रैल को था किन्तु इस वर्ष 102वां चैत्र मेला जयपुर दरबार अमरापुर स्थान में दिनांक 4 से 8 अप्रेल को आयोजित मेले में अधिक संगत के सम्मिलित होने के कारण चैत्र मेला एवं संकट मोचन हनुमान जन्मोत्सव रविवार 10अप्रेल को मनाया गया।
सृष्टि के संकट मोचक श्री हनुमान जन्मोत्सव पर भगवान श्री लक्ष्मीनारायण, श्री सत्यनारायण भगवान, आचार्य सतगुरू स्वामी टेऊँरामजी महाराज के चित्रों का अत्यन्त ही सुन्दर दिवान सजाकर धार्मिक अनुष्ठान किया गया।  संगत ने सामूहिक रूप से एक लय एक स्वर के साथ मंत्रमुग्ध होकर श्री गोस्वामी तुलसीदास कृत सुन्दरकाण्ड एवं श्री हनुमान चालीसा के पाठों के स्वर से , दरबार साहिब के सत्संग हाल को गुंजाकर सकारात्मक व धार्मिक वातावरण में उपस्थित संगत को श्री हनुमान के प्रेम में मंत्रमुग्ध कर दिया।
हमें सुन्दरकाण्ड पाठ से यह संदेश प्राप्त होता है कि हे महामानव, सदैव याद रखे कि संसार में जो हो रहा है, वह सब ईश्वरीय विधान है। हम और आप तो केवल निमित्त मात्र है। इसलिये कभी भी ये भ्रम न पाले कि मैं न होता तो क्या होता।
ना मैं श्रेष्ठ हूॅ,  ना ही मैं खास हूूॅ,
मैं तो बस छोटा सा भगवान का दास हूॅॅ।।
अंजना गर्भ सम्भूतं, कपीन्द्र सचिवोत्तम।
रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमन् रक्ष सर्वदा।।
अर्थात- हे अंजनी के गर्भ से प्रकट होने वाले, हे कपियों के राजा सुग्रीव के उत्तम मंत्री। हे राम के प्रिय हे हनुमान जी। आपके लिए नमस्कार करता हूॅ मेरी रक्षा करो।
श्री हनुमान चालीसा-
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहू सूर भूप।
आप सुन्दर काण्ड का पाठ किसी भी कामना को लेकर यदि कर रहे है, तो वह कामना अवश्य पूर्ण होगी, सत्यम, शिवम सुन्दरम तीनों को ही प्राप्त करने का साधन है सुन्दरकाण्ड का पाठ।
चैत्र मेले के महत्व के संबंध में शिवानी ने संगत को बताया कि चेत्र मेला सत्संग भक्ति श्रद्धा व प्रेम के ज्ञान का मिलाप ही मेला है। आज से शताब्दी याने 102 वर्ष पूर्व मंगलमूर्ति आचार्य सतगुरु टेऊँरामजी महाराज ने अविभाजित हिंदुस्तान के सिन्ध प्रान्त के टण्डा आदम में एक रेत के टीले पर सुन्दर स्थान सत्संग का थला (चबूतरा) बनाकर लोक व मानव जाति के कल्याण के लिए सत्संग आरंभ किया जो कुछ वर्षों के पश्चात् आज के 102 वर्ष पूर्ण होने पर 102वां मेला यानी सनातन धर्म की सिन्धी हिन्दू समाज की प्रमुख धर्मपीठ का वार्षिकोत्सव के रूप में मनाया जाता है जो संवत के हिसाब से चैत्र मास 12 संवत 1980 अर्थात 1923 से 5 दिन सुचारू रूप से प्रतिवर्ष अमरापुर स्थान श्री प्रेमपकाश आश्रम जयपुर में मनाया जाता है। यह मेला 84 लाख योनियों के अनुरूप 84 घण्टे का आयोजित किया जाता है।
उस समय मेले के स्वरूप के संबंध में गुरू महाराजजी ने कहा था मेला अर्थात मेलाप इस जीव का ज्ञान से मेलाप हो और आपस में प्रेम हो अर्थात ज्ञान और प्रेम का मेलाप ही मेला है। आपस में प्रेम बढ़े जैसेः-
सरवर को हंसा जपे, गिरिवर जय है मोर।
हम तुमको ऐसे जपे, जैसे चन्द्र चकोर।।
सत्संग भक्ति प्रेम ज्ञान का मेला ही मेला है।
इस पंच दिवसीय श्री हनुमान जन्मोत्सव, 102 चेत्र मेले पर संकट मोचक हनुमान अष्टक पाठ, हनुमान चालिसा, साई टेऊँराम चालिसा का पाठ केक प्रसाद के साथ महाआरतीया करने वालों में सैकड़ों की संख्या में सिन्धी समाज व सनातन धर्मियों ने धर्म प्राप्त किया। इसमें प्रमुख रूप से नंदू आडवाणी, ठाकुरदास खेराजानी,मेघराज एवं बम कोठारी,दयाराम जैसवानी, नरेंद्र संगतानी, देवीदास प्रधनानी, दिनेश रामचंदानी, हरिश उतवानी, पिन्टू पमनानी, सुंदरदास आसवानी मोहनदास, नरेश मुकेश  फतनानी, मनोहर लालवानी, सुरेश बाबानी, गुरमुख दास सेवाधारी आदि उपस्थित थे।
अंत में देश व मानव जाति के सुख, समृद्धि, यश, वैभव का विशेष पल्लव अरदास कर पंच दिवसीय कार्यक्रम को समाप्त कर श्रीमती पुष्पा पमनानी ने प्रकट किया।