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सीएए को लेकर विरोधियों द्वारा फैलाई जा रही भ्रांतियों में न आये मुस्लिम समाज
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १४ मार्च ;अभी तक; देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू हो गया है। इस कानून को लेकर कई भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। खासकर मुस्लिम समाज को बहकाने की कोशिश की जा रही है, जबकि भारत के मुस्लिमों पर इस कानून का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
उक्त बात कहते हुए सामाजिक कार्यकर्ता रविन्द्र पाण्डेय ने नागरिकता संशोधन कानून के महत्वपूर्ण बिन्दूओं को बताते हुए कहा कि इस कानून में अन्य धर्मों वाले भारतीय नागरिकों की तरह भारतीय मुस्लिमों के लिए आजादी के बाद से उनके अधिकारों के उपयोग की स्वतंत्रता और अवसर को कम किए बिना, सीएए यानी नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार और 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आने वाले लोगों के उत्पीड़न की पीड़ा को कम करने और उनके प्रति उदार व्यवहार दिखाने के उद्देश्य से नागरिकता के लिए आवेदन की योग्यता अवधी को 11 से कम कर 5 साल कर दिया है।
श्री पाण्डेय ने सिटीजनशीप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सीएए याने नागरिकता संशोधन कानून 2019 तीन पड़ोसी देशों (पाकिस्तान अफगानिस्तान बांग्लादेश) के उन अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का रास्ता खोलता है जिन्होंने लंबे समय से भारत में शरण ली हुई है। इस कानून में किसी भी भारतीय चाहे वह किसी मजहब का हो की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से खतरा नहीं है।
सीएए लागू होने के बाद नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास होगा। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी। बता दें कि जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आकर बस गए थे, उन्हें ही नागरिकता मिलेगी।