सीएम का दांच के लिये विजय शाह प्रतीक्षारत लेकिन केबीनेट मं शमिल होने के सशक्त दो दावेदार

मयंक शर्मा

खंडवा ८ दिसंबर ;अभी तक; भारतीय जनता पार्टी  के संसदीय बोर्ड ने मध्य प्रदेश,के लिए पर्यवेक्षक तय कर दिए हैं। मध्यप्रदेश के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण, राष्ट्रीय सचिव आशा लाकड़ा के नाम शामिल है।। इनकी मौजूदगी में विधायक दल का नेता चुना जाएगा।

सीएम को चेहरा कोई भ हो लेकिन उनके केबिनेट में शामिल होने के लिये निमाड के पूर्वी अचंल के कई चेहरे लालायित है। मौजूदा वन मंत्री विजय शाह दिल्ली परिक्रमा पर है। उनका पुन ेकबीनेट  में आना लगभग निश्चित है।

वे प्रदेश के एक बडे  आविासी नेता है और दस बार विस चुनाव में भाजपा को भर पल्ले आउिवासियों का बोट मिला है। फिलहाल सीएम पद के लिये ओबोसी  चेहरें पर निगाहें गहरी क जा रही है लेकिन श्री शाह समर्थक दा तोड तोड  में है कि प्रदेश में आदिवासी मुख्ययमं.त्र.ी की मांग प्रबलता के साथ खडी है। प्रदे?स मे आदिसवासियो ेा मिला समर्थन और 6 माह बाद होने जा रहे लोकसभा चुनाव को देखते हुये अजजा वर्ग को हाशियें पर नहीं छेाडा जा सकता है । श्री शाह भी अतरंग रूप से प्रतीक्षारत है कि मौका आये तो वे ही अग्रणी चेहरे होगे। फिलहाल सीएम की कुर्सी नहीं मो  केबीनेठ मं जगह तो होगी।

निमाड के पूर्वी अचल  के एक ओर जिले बुरहानपुर  सीट से विजयी पूर्व  मंत्री अर्चनस चिटनीस समर्थक भी  बडी उम्मीद लगायें है। वे 2018 के चुनाव में शिकस्त खा गयी थी लेकिन इस बार भाजपा विदे्राही हर्ष चैहान के शिकस्त देकर बिजयी हुई है।ज्ञाातव्य है कि बुरहानपुर सीट पर टिकट वितरण से नाराज भाजपा के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं द्वारा इस्तीफे दिये है।  े भाजपा के बागी और स्व. नंदकुमार सिंह चैहान के पुत्र हर्षवर्धन सिंह चैहान  द्वारा पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर चुनाव लडां । भाजपा विदेा्रही होकर हर्षबर्धन मैदान में रहे लेकिन चुनाव हार गये। है।
अर्चना चिटनीस के  मंत्री बनाने को लेकर महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि  खंडवा में सांसद के
खिलाफ घेराबंदी, जोर पकडती जा रही हध्े। खंडवा संसदीीय क्षेत्र की  में से 7 सीट बीजेपी ने जीती हैं.लेकिन पांच विधायको के टिकट कटने की वजह उन्होने सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल को बताते हुए उनके खिलाफ एकजुट होकर मोर्चा खोल दिया है.। मैाजूदां सर्दी के सीजन में राजनीतिक गर्मी बढ़ गयी है.। सांसद पाटिल बकौल कह रहे हैं पार्टी जीतने वालों पर दांव लगाती है.। अंतरंग तौर पर खंडवा संसदीय क्षेत्र में टिकट कटने से नाराज विधायकों ने काकस तैयार कर लिया है. । खंडवा, पंधाना, नेपानगर और बड़वाह में इनकी बैठकें भी हो गई हैं. जबकि संसदीय क्षेत्र के मांधाता, बुरहानपुर, बागली और भीकनगांव में ये रणनीति बनाने की तैयारी में हैं.। इसके साथ ही भाजपा की अंदरूनी कलह सामने आ रही है।. ये सारे नेता अपना टिकट कटने के लिए सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल को जिम्मेदार मान रहे हैं.। असंतुष्ट विधायकों ने अब सांसद पाटिल का टिकट कटवाने के लिए लॉबिंग शुरू कर दी है.।इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने खंडवा संसदीय क्षेत्र के 4 सिटिंग एमएलए खंडवा से देवेंद्र वर्मा, पंधाना से राम दांगोरे, नेपानगर से सुमित्रा कास्डेकर और बागली से पहाड़ सिंह का टिकट काटा दिया था. अब इनके साथ ही बड़वाह से पूर्व विधायक रहे हितेंद्र सिंह सहित भीकनगांव और बुरहानपुर और मांधाता के नाराज नेता भी साथ आने लगे हैं. ।पूर्व विधायकों ने कहा पूर्व सांसद नंदकुमार सिंह चैहान ढाई लाख वोट से जीते थे. जबकि उपचुनाव में ज्ञानेश्वर पाटिल सिर्फ 80 हजार वोट से जीते थे. खंडवा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के रिजल्ट से ज्यादा इस राजनीतिक उठापटक की चर्चा ज्यादा हो रही है.

0 ये बोले
टिकट कटने से नाराज विधायकों के लामबंदी करने पर सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने भी कटाक्ष किया है. उन्होंने कहा ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. कुछ लोगों की आदत ही इस तरह की फितरत फैलाने की है. उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि पार्टी जीतने वालों पर दांव लगाती है. मैं संसदीय क्षेत्र में लोगों के काम कराने में व्यस्त हूं. मेरी मालिक जनता और पार्टी है. इनका जो आदेश होगा, उसका पालन करूंगा.।
ज्ञातव्य है कि टिकट कटने के बाद खंडवा विधायक देवेंद्र वर्मा कार्यकर्ताओं के बीच फफक फफक कर रो पड़े थे. उन्होंने सोशल मीडिया पर पूछा आखिर आदिवासी विधायकों के टिकट क्यों काटे जाते हैं? किसकी सीनियरिटी को खतरा है? खंडवा संसदीय क्षेत्र की 8 में से 5 सीटों पर जनजाति का प्रभाव है. जबकि अनुसूचित जनजाति भी प्रभावी है. ऐसे में इन वर्गों के नाराज विधायकों की लामबंदी भाजपा खेमे की चिंता बढ़ा रही है।