प्रदेश

सुरक्षा क नााम पर नेताओ को धक्का देने पर  भाजपा आक्रेाशित, युवा माोर्चे  ने खोला मोर्चा

मयंक शर्मा

खंडवा  ५ अप्रैल ;अभी तक; मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की मंगलवार को यहां जनसभा के दौरान वनमंत्री विजय शाह के पुत्र व जिला पंचायत उपाध्यक्ष दिव्यदित्य शाह को पुलिस द्वारा धक्का देने का वीडियो वायरल होने के बाद मामला गर्मा गया है। वनमंत्री विजय शाह ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि जनप्रतिनिधियों से बदतमीजी करने वाले बर्दाशत नहीं किए जाएंगे। मुझे नहीं लगता कि एसपी बहुत दिनों तक अब रह पाएंगे।तूल पकड गया मामले मे  युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष अनूप पटेल ने कहा कि इस मोर्चा बुधवार को दोपहर 12 बजे एसपी कार्यालय का घेराव करेगा। जब तक एसपी को सस्पेंड नहीं किया जाता है, चरणबद्ध आंदोलन जारी रहेगा।

मामले मे एसपी ने स्पष्ट करण  मे प्र्रेस से कहा कि  मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के प्रोटोकाल के तहत आइडी मांगी थी और कहा था कि आइडी नहीं है तो नीचे उतर जाएं। मैं नया हूं । उनके बारे में मुझे नहीं पता था। जैसे ही मुझे पता चला कि वे जिला पंचायत उपाध्यक्ष हैं और साथ में  अन्य प्रतिनिधि हैं तो मैंने उन्हें आने दिया।

वायरल हुए वीडियो में जिला पंचायत उपाध्यक्ष दिव्यदित्य शाह मंच की सीढ़ी पर चढ़ने का प्रयास करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसी दौरान कुछ पुलिस अधिकारी उन्हें रोकते हुए सीढ़ियों से धक्का देते नजर आ रहे हैं। एसपी सत्येंद्रकुमार शुक्ल भी वहां मौजूद  हैं। भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा दिव्यदित्य शाह के बारे में एसपी को बताया गया। तब उन्हें मंच पर जाने दिया गया। इस पूरे मामले को लेकर वनमंत्री शाह ने प्रेसवार्ता लेकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि एसपी ने भाजपा नेत्री सुमित्रा काले के साथ भी बदतमीजी की। अध्यक्ष के साथ युवा मोर्चा के पदाधिकारी मेरे पास आए थे। इस मामले में मैं मुख्यमंत्री को एसपी के गुस्से से अवगत कराऊंगा।

मामले में विधायक व युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री राम दांगोरे ने कहा कि पंधाना जनपद अध्यक्ष सुमित्रा काले और दो-तीन कार्यकर्ताओं को महिला जनप्रतिनिधियों पर धक्का देकर फेंकने का काम किया है। अगर एक आइपीएस अधिकारी ऐसी हरकत करता है तो उसको किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जनपद अध्यक्ष को मैं बुलाने के लिए गया तो मुझे ही सीढ़ियों से नीचे उतरने नहीं दिया जा रहा था। कलेक्टर को मुझे बुलाना पड़ा। सीएम  वालेंटियर्स से चर्चा कर रहे थे, उस दौरान वहां जाने से मुझे भी रोका गया।

उन्‍होंने कहा कि ऐसा आइसीएस अफसर  खंडवा में नहीं होना। माफी जैसा कोई मामला नहीं है जो 24 घंटे में गिरगिट की तरह रंग बदल ले। इनसे बड़े-बड़ों को हमने रस्ते लगाया है। जो जनप्रतिनिधि को नहीं समझे वो जनता को क्या समझेगा।

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