स्थानीय शासन की संस्थाओं में सदस्य एवं पार्षदों को एक “पिस्टन” की भूमिका में रहना चाहिए

 (*रमेशचन्द्र चन्द्रे*)

मन्दसौर २४ नवंबर ;अभी तक;    जिस प्रकार इंजन में एक पिस्टन की भूमिका होती है, जो इंजन को गति प्रदान करता है इसी तरह किसी भी स्थानीय शासन की संस्था जैसे जनपद, जिला पंचायत, नगर पालिका- निगम में भी  सदस्य या पार्षद इंजन में “पिस्टन” की भूमिका अदा करते हैं। पिस्टन जितना राउज होता है उतना ही इंजन स्मूथ गति से चलता है।

                         सार्वजनिक जीवन में भी  जनप्रतिनिधियों को अपने-अपने अधिकार तथा कर्तव्य के क्षेत्र में सदैव “पिस्टन” की तरह सक्रिय होना आवश्यक है। यदि आप निष्क्रिय रहेंगे तो आपसे संबंधित संस्था गतिमान नहीं हो सकती और इसके दूरगामी  परिणाम कभी भी सुखद नहीं होते।
                              प्रातः काल होते ही अपने-अपने कार्य क्षेत्र में क्षेत्रफल के अनुसार आपके दौरा एवं संपर्क कार्यक्रम चलते रहना चाहिए तथा अपने मतदाता एवं कार्यकर्ताओं से निरंतर आपका जीवित संपर्क ही आपसे संबंधित संस्था को गतिमान कर सकता है।
                          सार्वजनिक जीवन में सेवा करने का संकल्प लेने वाले व्यक्ति को “लाभ-हानि” के गणित में कभी नहीं पडना चाहिए, किंतु अनुचित कार्यों एवं निर्णयों के प्रति उसमें विरोध करने की क्षमता भी होना आवश्यक है परंतु इसके मूल में भी जनता की सेवा ही उसका लक्ष्य होगा तो जीवन में उसे लाभ ही लाभ मिलेगा ,चाहे उसके सामने विरोधी बनकर उसके अपने या पराये भी खड़े हो तो भी उसका मार्ग बाधित नहीं कर सकते तथा उसके सेवा कार्यों का मूल्यांकन करने वाले भी उसके साथ पक्षपात नहीं कर सकते, यदि आपकी सेवा से प्रसन्न होकर जनता जनार्दन आपके साथ होगी तो ईश्वर भी कदम-कदम पर आपका साथ देगा। इसी विश्वास के साथ हर एक सदस्य और पार्षद को एक पिस्टन की भूमिका में काम करना चाहिए। ,