23 और 24 मई को धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा वनवासी रामकथा का आयोजन लेकिन आदिवासी समाज ने लामबंद होकर आयोजन का बहिष्कार ही नहीं विरोध करने एवं कार्यक्रम को निरस्त किये जाने की रणनीति बनाई
आनंद ताम्रकार
बालाघाट ११ मई ;अभी तक; मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में आगामी 23 और 24 मई 2023 को धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा वनवासी रामकथा का आयोजन किया जा रहा है लेकिन इस वनवासी रामकथा के विरोध में आदिवासी समाज ने लामबंद होकर आयोजन का बहिष्कार ही नहीं विरोध करने एवं कार्यक्रम को निरस्त किये जाने की रणनीति बनाई है।
विगत 10 मई को परसवाड़ा में संपन्न आदिवासी विकास परिषद की बालाघाट ईकाइ की बैठक इस विषय पर चर्चा करने के लिये आयोजित की गई थी जिसमें बैहर,बिरसा,परसवाड़ा के विकासखड के आदिवासी उपस्थित हुये।
वनवासी रामकथा का आयोजन प्रदेश के आयुष मंत्री श्री रामकिशोर कावरे करा रहे है उनके विधानसभा क्षेत्र में हो रहे कार्यक्रम की तैयारियों में जिला प्रशासन लगा हुआ है लेकिन आयोजन के पूर्व ही विरोध के स्वर मुखरित होना शुरू हो गये।
यह उल्लेखनीय है की बालाघाट जिले में कलार समाज के बाद अब आदिवासी समाज भी धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की वनवासी रामकथा का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। कोई भी आदिवासी इस कार्यक्रम शामिल नहीं होगा ऐसा संकल्प भी लिया है।
आदिवासी समाज ने इस आयोजन में पेसा एक्ट का उल्लंघन किये जाने की भी चर्चा की है और आरोप लगाया की रामकथा के आयोजन के लिये ग्राम पंचायत की अनुमति ली गई ना ही ग्राम सभा की बैठक बुलाई गई ना ही सरपंच एवं ग्रामवासियों को कोई सूचना दी।
आदिवासी विकास परिषद बालाघाट के अध्यक्ष श्री दिनेश कुमार धुर्वे ने आरोप लगाया है की यह आयोजन केवल वोट बैंक बनाने की कवायद है।
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में ऐसे आयोजन प्रतिबंधित है।
उन्होंने इस बात पर भी आपत्ति जताई है की जिला कलेक्टर ने अपने बयान में धीरेन्द्र शास्त्री को सरकार कहा है। आदिवासी समाज इसका विरोध करता है सरकार को कोई भी अधिकारी कर्मचारी किसी महाराज को सरकार कहे ये संविधान का अपमान है।
जिला पंचायत सदस्य मनसाराम मडावी जो की आदिवासी विकास परिषद के मंत्री भी ने कहा की सरकारी अमला संविधान के अनुच्छेद 19/5 का उल्लंघन कर रहा है कानून के मुताबिक आदिवासी क्षेत्र में ऐसा कोई काम नहीं किया जाना चाहिए जिससे उनके रीति रिवाज और संस्कृति पर असर पडे़।