4 साल की बच्ची से रेप करने वाले को फांसी, जज बोलीं- बच्ची अपनी इच्छाशक्ति से बची वर्ना आरोपी ने उसे मारने में कसर नहीं छोड़ी थी

मयंक शर्मा

खंडवा २४ अप्रैल ;अभी तक;  यहां अदालत ने एक फैसले मेे 4 साल की मासूम बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के प्रयास के मामले में आरोपी राजकुमार (25साल)को फांसी की सजा सुनाई। कोर्ट ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए स्पष्ट कहा कि आरोपी को तब तक फांसी पर लटकाया जाए जब तक उसकी मौत न हो जाए। विशेष न्यायाधीश प्राची पटेल ने टिप्पणी में कहा कि पीड़ित बच्ची की अदम्य इच्छा शक्ति व जीजीविषा के कारण ही वह जीवित रही, वर्ना आरोपी ने पीड़िता की हत्या करने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी। इसलिए सिर्फ आजीवन कारावास या दंडादेश पर्याप्त नहीं हो सकता है, मृत्युदंड ही जरूरी है।

                                  सजा सुनने के बाद भी आरोपी राजकुमार के चेहरे पर कोई भाव नहीं दिखा। सुनवाई के दौरान भी वो कोर्ट रूम के भीतर कटघरे में गर्दन झुकाकर खड़ा था।  न्यायाधीश ने राजकुमार को धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत मृत्युदंड और धारा 363, 450, 201 भारतीय दंड विधान में 7-7 वर्ष के कठोर कारावास व 307 भारतीय दंड विधान में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। आरोपी पर आठ हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है।चार साल की बच्ची के रेपिस्ट को फांसीरूगला घोंटा, मरा समझकर झाड़ियों में फेंका था; कोर्ट ने कहा- मृत्युदंड से कम सजा पर्याप्त नहीं

घटना कर पडताल कर रहे नगर केे रामनगर चैकी प्रभारी सब इंस्पेक्टर सुभाष नावड़े ने बताया कि जांच के दौरान कई बार वे रात घर ही नहीं गए।  ं 6 महीने के भीतर अनुसंधान पूरा कर कार्य दिवस के 4 महीने 23 दिन में कोर्ट में 36 गवाहों के बयान कराना किसी चुनौती से कम नहीं था। आरोपी को कठोर सजा मिले, इसके लिए कोर्ट में आरोपी का कबूलनामा और फॉरेसिंक जांच में डीएनए रिपोर्ट का परीक्षण कर न्यायालय ने  फांसी की सजा सुनाई।

डीपीओ हुक्मलवार ने बताया कि अभियोजन पक्ष के अनुसार यमीपस्थ ग्राम टिठिया जोशी इलाके के एक खेत में मजदूर परिवार रहता था। इनके घर के पास ही एक ढाबा है, वहां आरोपी राजकुमार भी काम करता था। 30-31 अक्टूबर 2022 की दरमियानी रात मजदूर परिवार की चार वर्षीय बेटी झोपड़ी में सो रही थी। आरोपी राजकुमार वहां पहुंचा और उसने बच्ची का मुंह दबाकर अपहरण कर लिया। फिर घर से करीब 100 मीटर दूर ले जाकर गन्ने के खेत में उसके साथ दुष्कर्म किया। गला दबाकर उसे मारना चाहा। जब बच्ची बेहोश हो गई तो मृत समझ आम के बगीचे के पास झाड़ियों में उसे फेंक दिया। अगले दिन सुबह परिवार जागा तो बच्ची गायब थी। चाबर मिलनेके बाद पुलिस उसे तलाशती रही। परिजन को राजकुमार पर शक था। आरोपी को पुलिस ने पकड़कर सख्ती दिखाई तब उसने जुर्म कबूला। आरोपी की निशानदेही पर 14 घंटे बाद बच्ची को अर्धनग्न हालत में झाड़ियों से बरामद किया। खून से लथपथ बच्ची की सांसे चल रही थी। उसे इंदौर के अस्पताल ले जाया गया, तब जाकर उसकी जान बची।

ृ पुलिस ने आरोपी को गिरफतार अनुसंधान पूणी अभिसोगप.न्सासालस में पंेस कियां आरोपी को फांसी की सजा दिलवाने में तत्कालीन एसपी विवेक सिंह, सीएसपी पूनमचंद्र यादव के साथ रामनगर चैकी प्रभारी सुभाष नावड़े, महिला थाना प्रभारी सुलोचना गहलोत की टीम ने कड़ी मेहनत की। जिसके दम पर अभियोजन के पक्ष में ये फैसला आया है। गवाहों से लेकर फॉरेंसिक जांच इस केस का मुख्य आधार बने। इसके आधार पर कोर्ट में आरोपी दोषी सिद्ध हुआ।

जांचकर्ता चैकी प्रभारी सुभाष ने   कहा कि पुलिस के 12, परिवार व जनता से जुड़े 15 लोग, 4 डॉक्टर यानी इस तरह कुल 44 लोगों की गवाही इस केस में हुई। 36 गवाहों ने कटघरे में खड़े होकर बयान दिए। साथ ही आरोपी ने जुर्म कबूल किया, उसकी निशानदेही पर बच्ची को झाड़ियों से बरामद किया। घटनास्थल पर आरोपी की चप्पल ने मौजूदगी बयां की। इनके अलावा आरोपी ने बच्ची की पेंट के साथ खुद के खून सने कपड़े ढाबे के पास थैले में छिपाए थे। उन कपड़ों में लगे खून के धब्बों के सैंपल लिए तो उसकी डीएनए रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई।

डीपीओ चंद्रशेखर हुक्मलवार के कहा कि पीडित बच्ची के कपड़े और घटनास्थल (खेत) पर सीमेन मिला था। फॉरेंसिक जांच में साबित हुआ कि ये आरोपी का था। बच्ची की मेडिकल रिपोर्ट की बात करें तो बच्ची को जब गला दबाकर मारने की कोशिश की तो ऑक्सीजन की कमी हो गई। इसका असर उसके दिमाग पर पड़ा। वह आज भी बोल नहीं पाती है। घटना ने उसे दिमागी रूप से कमजोर कर दिया। झाड़ियों में फेंकने के कारण पीठ के नीचे चोट आई। इससे उसे चलने फिरने में परेशानी होती है।

शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश प्राची पटेल की कोर्ट ने सजा सुनाया। कोर्ट ने कहा कि जिस बर्बरता से आरोपी ने बच्ची के साथ घटना की, उसे देखते हुए मृत्युदंड की सजा से कम नहीं हो सकता। इसके लिए उम्रकैद पर्याप्त नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी को तब तक फांसी पर लटकाया जाए, जब तक कि प्राण नहीं निकल जाएं।