आदिवासियों के हित सरक्षण में बनाये गये कानून कायदे बेअसर साबित

आनंद ताम्रकार

बालाघाट ६ मार्च ;अभी तक;  जिले में भोले भाले आदिवासियों के स्वामित्व की पैतृक जमीन पर लगे कीमती इमारती पेडों को टिम्बर माफियाओं द्वारा आर्थिक प्रलोभन देकर अवैध कटाई की जा रही है और वनसंपदा को हड़पने का कुचक्र चल रहा है।

आदिवासियों के हित सरक्षण में बनाये गये कानून कायदे बेसर साबित हो रहे है वहीं प्रशासन रसूखदार माफियाओं के विरूद्ध कोई कार्यवाही ना कर अवैध गतिविधियों को सरक्षण दे रहा है।

ऐसी विसंगतियों से जुड़ा मामला जिले के उत्तर सामान्य वनमडल के अंतर्गत दक्षिण उकवा वनक्षेत्र में जो की नक्सल प्रभावित दुर्गम तथा पहुंचविहिन दुरस्थ वनक्षेत्र में स्थित है लगभग 2000 बड़े इमारती वृक्षों की अवैध कटाई से जुड़ा हुआ है प्रकाश में आया है।

वन बीट 1941 तथा 1943 बीट के समीप निजी भूस्वामी की भूमि में इमारती तथा अन्य प्रजातियों एवं औषधी परख वृक्षों को तहसीलदार से अनुमति लेकर काट दिये गये जबकी तहसीलदार कटाई की अनुमति देने के लिये प्राधिकृत नहीं है। शासन के द्वारा सन 2000 में दिये गये निर्देशों के अंतर्गत मध्यप्रदेश आदिवासी तथा जनजातियों के हित संरक्षण अधिनियम लागू किया गया है। जिसके तहत आदिवासियों तथा जनजातियों के स्वामित्व की निजी भूमि पर लगे वृक्षों की कटाई के लिये अनुमति दिये जाने हेतु कलेक्टर को प्राधिकृत किया गया है।

इसके बावजूद बिरसा के तहसीलदार ने अधिकार ना होने पर भी 1273 वृक्षों को काटने की अनुमति प्रदान कर दी। जिसके एवज में टिम्बर माफियां ने 1920 वृक्ष काट दिये जिसमें से 1357 घन मीटर लकड़ी 2822 चटटे बनाकर रखे गये ताकी उनका परिवहन किया जा सके। काटे गये वृक्षों तथा लकड़ी के चट्टों कीमत करोड़ों रुपये आंकी गई है।

परिवहन के लिये ट्रांजिट पास बनाये जाने के लिये एसडीओ फारेस्ट को आवेदन पत्र मार्च 2023 में दिया गया था। आवेदन पत्र के आधार पर उकवा वनमण्डल के एसडीओ श्री प्रशांत साकरे ने मौके का मुआयना किया तो अवैध कटाई किये जाने का मामला उनके संज्ञान में आया।

एसडीओ श्री साकरे ने तहसीलदार बिरसा द्वारा दी गई अनुमति को नियम विरुद्ध बताते हुए प्रकरण के तथ्यों से कलेक्टर बालाघाट के संज्ञान में लाया गया तथा विधिसंगत कार्यवाही किये जाने की अपेक्षा की।

यह अवैध कटाई जिस क्षेत्र में की गई  वह आसपास चारों ओर घना जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ है तथा नक्सल प्रभावित सोनगुड्डा ग्राम पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत चारघाट ग्राम में स्थित है। जिसमें भूस्वामी आदिवासी सूरज पुसाम की 116 एकड़ भूमि है। जिसमें लगभग 40-50 एकड़ भूमि पर पेड़ लगे हुए है।
सूरज पुसाम ने भी कलेक्टर बालाघाट के समक्ष इस मामले की शिकायत की है जिसमें कहा है की उसे गुमराह कर प्रलोभन देकर उसकी भूमि पर अवैध कटाई की है। प्रकरण की सुनवाई कलेक्टर न्यायालय में चल रही है। जिसमें पेशी दर पेशी आदिवासी सूरज पुसाम जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर दूर से आना पड रहा है।

इस संबंध में उकवा वनमण्डल के एसडीओ प्रशांत साकरे ने अवगत कराया की काटी गई वनोपज बाहर ना जाये इस लिये वेरियर और नाको को अलर्ट किया गया है। आदिवासी परिवार को इतने अधिक पेड़ों की कटाई की अनुमति नही दी जा सकती तहसीलदार अनुमति देने के लिये सक्षम नही है। जिन्होने मौका निरीक्षण किये बिना ही वनमाफियों के साथ मिलकर कटाई की अनुमति दे दी।
कलेक्टर के निर्णय की प्रतीक्षा की जा रही है।